चांदनी रात में चूत विहार : चूत एक नौका
यह कथा मेरे ससुराल की है, जहां एक रात हमने उस गांव देहात में छत पर चांदनी रात में चूत का आनंद लिया। मेरा नाम आजाद है और मैं आप लोगों को यह अनुभव अपने शब्दों में पात्रों के नामों के साथ हल्के हेर फेर के साथ सुनाने जा रहा हूं जिससे कि किसी की गोपनीयता भंग न हो और आपके अंतर्मन में छुपी कामेच्छा जग उठे। मैं ससुराल अक्सर आता जाता रहता हूं क्योंकि मेरे साले मनोज की बीबी अत्यंत खूबसूरत और दिलफेंक हसीना है।
उपर वाले ने उसे फुर्सत से दिलों का कत्ल करने के लिए बनाया है, उसकी आकर्षक गठीली पर मुलायम छत्तीस इंच की गांड का प्लेटफार्म जिसे मटकते देख कर लंड से पानी अपने आप निकलने लगता है, उसकी छ्त्तीस की ही चूंचियां जिनको हिलते देख कर कायनात हिल जाती है और जिसकी अठ्ठाइस की कटिली कमर देख दीवाने हो जाते हैं हर उम्र के लोग। ऐसी सरहज ( साले की बीबी ) सुषमा को चोदने के लिए कौन नहीं दीवाना हो जाएगा।
तो उस दिन मैं शाम को फिर से इस शादीशुदा पर हुस्न की मल्लिका, चूत की रानी को चोदने की आस में ससुराल गया। सच तो ये है कि उसका पति मनोज भी किराने की दुकान पर दिन भर नमक तेल बेचता, एक दम कछुए जैसा मोटा और भोंदू हो गया है, शादी के तीन साल बाद तक उसे कोई बच्चा नहीं हुआ और होता भी कैसे, दुकान से आकर वो जवानी का ताला खोलता ही नहीं, थक कर सो जाता है और खर्राटे लेने लगता है।
उस रात पूनम की चांदनी थी, और मेरा बिस्तर छत पर ही लगाया था सुषमा ने। दोनो पति पत्नी भी छ्त पर ही बने एक कमरे में सो गये थे। मुझे नींद नहीं आ रही थी और मैं बस उपर वाले से सही मौके पर चूत देने की दुआ कर रहा था कि सुषमा मुझे पेटीकोट और ब्लाउज में कमरे से बाहर निकल के पेशाब करने के लिए आती दिखाई दी। मैंने आंखें मूंद लीं, रात को वो बेधड़क पेटीकोट उठा के मूतने जा रही थी, उसकी चिकनी कदली सरीखी जंघाएं व संकीर्ण कटि प्रदेश देख कर मेरा लंड एक दम उन्नत हो रहा था कि उसने पेटीकोट पूरा उपर उठा दिया, उफ्फ!! बिना बालों वाली हसीन चूत देख कर मेरा जी ललचा गया, वो मेरे जगने से बेखबर मेरी तरफ अपनी खूबसूरत इंडियन गांड करके मूत रही थी।
मूतने से सीटी की आवाज सी मेरे कानों में टकरा रही थी और लंड को चौकन्ना कर रही थी। ये सब मेरी बर्दास्त से बाहर जा रहा था, मैं दबे पांव उठा और जाकर उसे मूतते हुए ही दबोच लिया, वो आधा ही मूत पायी थी कि मैने उसे पीछे से पकड़ कर बैठे हुए मुद्रा में ही गोद में उठा लिया और वो अपना पेश्साब ना रोक पायी, मेरे उपर मूतती मुझे भिगोती चली गयी।
इससे पहले कि वो चिल्लाती मैंने अपने होट उसके होटों में सटा के किस करना शुरु कर दिया। वो आश्चर्यचकित भयभीत और आनंदमय हो गयी थी। ऐसी कल्पना शायद उसने की नहीं थी। मैने उसे अपनी खाट पर लाके सुला दिया, उसका पेटीकोट उलट गया था और भीगी चूत मेरे सामने थी। मैने पेशाब लगा होने की परवाह न की और उसके जांघों के बीच घुस गया, अपनी जीभ से उसके जांघों के बीच चूत के होटों में मुह लगाकर जीभ उपर नीचे करते हुए मैने उसके दोनों चूंचे पकड़ लिए। वह आह्ह्ह! जीजा जी! प्लीज ऐसा ना करिये कहके अपनी गर्दन आनंद के मारे दायें बाएं कर रही थी और बदन ऐंठ रही थी। मैने अपनी मुखमैथुन क्रिया जारी रखी।
उसका गुप्तांग मारे पानी पानी के लबालब किसी प्याले की तरह भर चुका था और मैं प्याले का रस किसी आदी शराबी की तरह पी रहा था। हम दोनों ही वासना के नशे में बह रहे थे और वो पांच मिनट के गहन मुखमैथुन क्रिया के बाद मेरे मुह में स्खलित होकर निढाल पड़ गयी। इतना सुखद अनुभव उसकी काम जीवन में शायद ही कभी हुआ हो। उसने मुझे अपने उपर खींच लिया और थोड़ी देर के लिए शिथिल पड़ गयी पर मुझे चैन कहां था, मैने अपना लंड जो कि फूल के लौकी की तरह हो चुका था, उसके मुह में दे दिया। वो आराम से किसी लेमनचूस की तरह चूसती रही और मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा। अब मैने दो उंगलिया निकाल कर बड़ी वाली उसकी गांड में और तर्जनी उंगली उसकी चूत में करनी शुरु कर दी।
चूत के उपरांत गांड मर्दन
सच तो ये है कि इस तरह से चूत से निकले कामरस से गांड में भी चिकनाई आ गयी थी। मैने सुषमा के गांड की सेवा पहले लेनी की सोची, चूंकि कंवारी इंडियन गांड भी काम जीवन को परम सुख देती है। मैने उसकी टांगे पकड़ के खटिया के किनारे खींच लिया, अब उसकी गांड खटिया के सहारे थी और दोनों पैर मेरे कंधे पर, मैने कठोर मोटे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड के नन्हें संकीर्ण छेद पर रख कर उसकी दोनों चूंचियां मसलनी शुरु कीं, जैसे ही मैने उसकी चूंचियों को जोर से मसला वो छटपटाई और कराही, उसी दौरान एक तेज धक्के ने लंड के मोटे सुपाड़े को गांड की गहराई में पहुंचा दिया। मैने होटों सेउसके होटों को बंद कर दिया था। किस करते हुए और स्तन मर्दन करते हुए मैने उसकी गांड की गहराई में उतरना जारी रखा और फिर पूरे स्विंग से गांड को आध घंटे तक चोदा।
जब मुझे लगा कि मैं अब उसकी गांड में ही स्खलित हो जाउंगा तो मैने लंड को बाहर खींच थोड़ी देर के लिए उसके मुह में दे दिया। उसने फिर उसे किसी लालिपाप की तरह चूसण करने में जरा भी हिचक ना दिखाई। अब मैं उसकी योनि की थाह लेने को तैयार था, उसे इतना मोटा लंड कभी नसीब न हुआ था और वो आनंद की पूर्वानुभूति में अपनी आंखें बंद करके अपने को समर्पित कर चुकी थी। मैने उसकी गांड तले तकिया रख चूत को पोजिशन में लिया। और उपर आकर मिशनरी स्टाइल में उसके जांघों के बीचोबीच लंड को रास्ता दिखाया, चमकती चांदनी में चांद सा हुस्न और जवान हसीना को चोदने के अनुभूति में मेरा बदन का रोम रोम खड़ा था।
मैने हल्के हल्के उसकी चूत में लंड को उतारना शुरु किया और वो कराहते हुए अपने गर्दन को ऐंठने लगी, मानो कोई उसे चीर रहा हो बीचो बीच। पंद्रह मिनट तक मैं उसे चोदता रहा इस तरीके से और वो कराहती रही पर धीरे धीरे उसकी सहभागिता बढती चली गयी और उसने अपने नितंब उपर नीचे करके ताल लय में चुदाई करवानी शुरु कर दी। मैने उसे अपने उपर ले लिया और उसके चूंचे पकड़ कर मसलते हुए नीचे से पचाक पचाक पचाक धचाक उसकी चूत में झटके मारने शुरु किये। वह खुद ही कमर लचका लचका के मुझे चोद रही थी।
उसने मुझे गहरे चुम्बन देते हुए चोदा और आखिर मैं स्खलित हो ही गया, क्योंकि उसने अपनी स्पीड लगातार बेतहाशा बढा दी थी। उसने अपनी वीर्य से भरी लबालब चूत जिसमें कि उसका खुद का भी कामरस मिला हुआ था मेरे लन्ड से निकाल कर मेरे मुह पर रख दी। मैं उसे पी गया और फिर एक नयी ताजगी प्राप्त की। उस पूरी रात अल्ल सुबह तक मैने कइ बार चांदनी रात में चूत विहार किया।
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