देसी आंटी की जवानी के जलवे
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दोस्तों आज मैं अपनी मम्मी की सहेली देसी आंटी की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिनकी चुदाई तो मेरे लिए एक हादसा ही थी | वो आंटी उम्र में मेरी माँ से कई छोटी थी पर उनकी नयी नयी शादी हुई थी और रहने वाली भी मेरी गॉंव की थी तो उनके और मेरी अम्मा के बीच काफी अच्छी बनने लगी थी | दोस्तों मैंने मुठ १९ बरस की उम्र से मारना चालू कर दिया है और उन दिनों भी मैं रात को सेक्स विडियो देखता हुआ मुठ मरकर की सोया करता था | मैं आंटी को देखता और उनके नंगे गोरे पेट और पीछे ही हिलती दुलती गांड को संतुष्ठ हो जाया करता था और उन्हें ही याद करके अपने लंड को भी कभी कभार मसल लिया करता था |
एक दिन जब आंटी मेरे घर पर आई हुई थी तो मैं अंदर वाले कमरे में दरवाज़ा हल्का सा फिराते हुए सेक्स विडियो देख अपने लंड को मसल रहा था मज़े में और मुझे कुछ भी खबर नहीं थी की वो आंटी मेरे घर पार आई हुई हैं | मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँच चूका था हस्तमैथुन करते हुए और मुठ छोड़ने की कगार पर था ही था और खुद सिसकियाँ भरते हुए आंटी. . .आंटी मुन्मुनाते हुए झड़ने ही वाला था की एकदम से दरवाज़ा खुला और आंटी मेरे सामने आ गयी | मैं एकदम से घबरा गया और लंड भी डर के मारे पूरा मुरझा ही गया | आंटी मुझे देखकर कहने लगी, जब मुझे इतना याद ही कर रहा है तो देर किस बात की . . !!
मैंने ध्यान दिया की अब घर में और आंटी ही अकेले रह गए थे क्यूंकि मेरी अम्मा किसी काम से बहार गयी हुई थी | आंटी ने अपनी साडी का पल्लू गिरा दिया उर फ़ौरन अपनी पूरी साडी खोल पलभर में मेरे सामने नंगी हो चली और सच पूछो तो दोस्तों वो सब कुछ मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था | आती जैसे ही मेरे करीब ई तो मैं भी उठकर उनके होठों को चूसने लगा जिसपर वो भी मुझसे सहयोग देते हुए मुझसे लिपटी हुई थी | मैं अपने दोनों हाथों से कसके देसी आंटी की चुचियों को दबाते मज़े लुट रहा थाऔर आंटी भी मेरे लंड को लेने के तरसती हुई मेरे नकोर और चड्डी को उतार मेरे लंड को अपनी हतेली में मसलने लगी |
हम दोनों नंगे थे और तभी मैंने उन्हें दीवार से सटा दिया और नीचे से अपने ने लंड को उनकी चुत के मुहाने पर सेट करकर अपने लंड का खड़े खड़े ही जोर से मारा जिससे मेरा लंड चुत में उनकी चुत में आराम से धंसता हुआ हकला गया आखिर वो भी एक आंटी की चिकनी चुत जो थी | आंटी दीवार से सटी हुई पगलाई जा रही थी और मैं उनको होंठों का रस चूस रहा तह और तो नीचे से हमारे गुप्त अंग आपस में ले कहा रहे थे | जैसे ही कभी मेरा लंड आंटी की चुत की गहराईयों में लुप्त हो जाता तो आंटी के एक पल के लिए आह ही निकल जाती और मुझे पता ही नहीं चला की मैं अंदर चुत में कब झड पड़ा | बस याद इतना है ही देसी आंटी फिर अपनी जवानी के जलवे बिखेरती हुई मेरे लंड को अपने मुंह में भर चुस्कियां ले रही थीं |