पड़ोसन आंटी की चुत चुदाई करके चोदना सीखा
बात उन दिनों की है जब मैं पढ़ता था। उन दिनों मेरे पापा की पोस्टिंग दिल्ली में थी, वे सरकारी सर्विस में थे। हम तीन भाई बहन और मम्मी पापा ही दो कमरों के एक घर में पहली मंजिल पर रहते थे। ऊपर एक कमरा और था जो उन दो कमरों से अलग था, जो स्टोर से थोड़ा बड़ा था। उसमें लाइट भी नहीं लगी थी क्योंकि उसका बल्ब फ्यूज था।
इस स्टोरी की नायिका सपना आंटी है जो हमारे नीचे वाले फ्लोर पर अपने पति व तीन साल के बेटे के साथ रहती थी। सपना आंटी का मेरी मम्मी के पास बहुत आना जाना लगा रहता था। उनके पति का बिज़नेस कोई बहुत बढ़िया नहीं चल रहा था अतः अंकल अक्सर कई दिनों के लिए शहर से बाहर भी रहते थे, वे आर्डर बुकिंग के लिए 15-15 दिन के लिए बाहर जाते थे। फिर आते ही माल तैयार करवा कर सप्लाई करते और फिर चले जाते थे।
सपना आंटी बहुत ही अच्छे स्वभाव की, कोई 35-36 साल की मिलनसार लेडी थी, मेरी मम्मी के काम में हाथ बंटाती रहती थी। वह गजब की सुन्दर, गदराये बदन की हसीन औरत थी। उसका साइज़ लगभग 36-30-36 रहा होगा। भरे गोरे शरीर की, थोड़ी छोटे कद की औरत थी, जिसकी बड़ी और कसी हुई चूचियाँ तथा गजब की उठी हुई गांड थी, जिसे देख कर कोई भी मुठ मारने को तैयार ही जाए। वह कभी साड़ी तो कभी घाघरी स्कर्ट पहनती थी।
मेरी तब तक सेक्स की बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उस समय नहाते वक्त कभी कभी अपने लंड को देखता तो लगता था कि वह कुछ बड़ा और मोटा होने लगा था। उसका साइज़ 5 इंच का होगा। परन्तु बड़े और जवान आदमी के लंड जैसा नहीं था। लम्बा और पतला था। कभी कभी उसमें खारिश होती थी तो मैं हाथ से मसल लेता था।
कभी कभी मैं खारिश करता था तो सपना आंटी देख लेती थी और मुझे बड़े शोख़ अंदाज में टोक देती थी। कई बार सपना आंटी मुझे बड़े अजीब से प्यार से भी देखती थी और मज़ाक में छेड़ती रहती थी। परन्तु मैं अक्सर शरमा जाता था। मुझे कई बार उनका छेड़ना अच्छा भी लगता था।
एक रोज घर पर मैं बाहर छत पर एक पलंग पर लेटा हुआ था तो सपना आंटी आई और मेरे पास पलंग पर बैठ गई। मेरी मम्मी नीचे सब्जी लेने गई थी, छोटे भाई बहन बाहर खेलने गए थे, पापा ऑफिस से नहीं आये थे।
सपना आंटी ने मुझसे पूछा तो मैंने बता दिया कि घर पर कोई नहीं है। सपना आंटी ने एक मादक अंगड़ाई ली और बैठे बैठे मेरे ऊपर बीचों बीच लेट गई। यानि कि मेरे ऊपर सीधा न लेटकर कमर के बल क्रॉस लेट गई। उनके हिप्स तो वहीं थे जहाँ बैठी थी, उनकी कमर मेरी जांघों पर टिक गई।
उनकी कमर इतनी सॉफ्ट, गर्म और गदराई हुई थी कि धीरे धीरे मेरा लंड गर्म हो कर अकड़ गया और सपना आंटी की कमर में चुभने लगा। सपना आंटी थोड़ी हिली और हल्का हल्का दबाव देने लगी।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। कोई आ न जाए, शायद इस डर से सपना आंटी मेरे ऊपर से उठी और उठते हुए उन्होंने मेरे लोअर में अकड़े हुए लंड को हाथ में भींचते हुए मुझसे कहा- राजा, तू अब जवान हो गया है, तेरा इलाज करना पड़ेगा।
मैं शरमा गया, परन्तु मुझे अच्छा भी लगा।
थोड़ी ही देर में मम्मी आ गई और किचन में चली गई।
सपना आंटी जाते हुए मुझे बोल गई- किसी से कुछ कहना नहीं, नहीं तो मैं बुरा मान जाऊंगी।
मैं ड्राइंग रूम में बिछे दीवान पर ही सोता और पढ़ता था। छोटे भाई बहन अंदर वाले कमरे में या सोफे पर पढ़ते थे। सर्दियों के दिन थे, सपना आंटी अक्सर आकर दीवान पर मेरी रजाई में अपने पाँव डाल कर बैठ जाती थी, पास ही मम्मी पापा भी होते थे। पापा अक्सर ऑफिस से आने के बाद अंदर वाले कमरे में ही रहते थे।
उस रोज सपना आंटी आई और मेरी रजाई में मुझसे सट कर बैठ गई और अपने पाँव से मेरे पाँव को छूने लगी। मैं भी ऊपर से तो किताब पढ़ने का बहाना करने लगा परन्तु अंदर ही अंदर उन्हें छूने लगा।
आंटी ने अचानक अंदर ही अंदर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे अपने नर्म मुलायम हाथ से सहलाने लगी। मेरा लंड पूरा अकड़ कर खड़ा हो गया, किसी को कुछ भी पता नहीं चला क्योंकि मेरे दोनों हाथ बाहर किताब पर ही थे।
सपना आंटी ने मेरा लोअर रजाई में नीचे किया और अच्छी तरह से लंड को हाथ से बाहर निकाल कर धीरे धीरे मुठ मारने लगी। कुछ देर बाद मुझे दर्द होने लगा और उनसे अपना लंड छुड़ा कर पेशाब कऱने चला गया।
यह क्रम कई दिन चलता रहा, मुझे भी अच्छा लगने लगा, हम बैठे बैठे ही मजा लेने लगे।
मेरी और आंटी का सेक्स, उत्तेजना बढ़ती गई और हम मिलने का मौका ढूंढने लगे। यह काम न तो उनके घर में पॉसिबल था और न हमारे घर में, क्योंकि उनके घर में भी साथ वाले बच्चे व पड़ोसन घुसी रहती थी।
एक रोज शाम को आंटी को कुछ सामान स्टोर से चाहिए था, तो मेरी मम्मी ने मुझे कहा कि स्टोर से ढूंढ कर दे दे।
मैं स्टोर में गया, जो मेन कमरों से थोड़ा दूर था। पीछे पीछे आंटी भी आ गई। हम दोनों स्टोर में घुसते ही एक दूसरे से लिपट गए, आंटी ने मुझे जोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया मानो कई जन्मों की प्यासी हो।
मैं भी जोर शोर से आंटी के अंगों से खेलने लगा। आंटी ने मेरे हाथ अपनी चूचियों पर रख दिए, मैं उन्हें सहलाने लगा।
आंटी ने मुझे कई देर किस किया और मेरा लंड निकाल कर उसे मुँह में चूसने लगी। मुझे पहले तो कुछ अच्छा नहीं लगा और छुड़ा लिया। फिर मैं आंटी की चूत पर साड़ी के ऊपर से ही हाथ फिराने लगा। उनकी चूत का स्पर्श ऐसा लगा मानो जन्नत को छू लिया हो। उनकी जांघों के बीच भरी हुई मोटी सी जगह थी, जैसे पाव रोटी होती है। मैंने पहली बार जीवन में किसी औरत की चूत को छुआ था और चूत को सहलाते हुए एक उंगली अंदर डाल दी।
कुछ देर बाद आंटी आहें भरने लगी। जब मैं उनकी साड़ी उठा कर हाथ अंदर करने लगा तो आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और चूत तक हाथ नहीं पहुँचने दिया। मैं खड़े खड़े ही आंटी की चूत पर साड़ी के ऊपर से ही अपना लंड रगड़ने लगा।
कुछ देर बाद मैंने आंटी तो वहाँ पड़े एक पुराने कारपेट पर लेटा लिया और उनके ऊपर चढ़ कर आंटी की चूत मारने की कोशिश करने लगा। परन्तु आंटी साड़ी उठाने को नहीं मानी। मैंने नाराज हो कर आंटी को छोड़ दिया और बाहर जाने लगा। आखिरकार उन्होंने मुझे रुकने को कहा और अपने पेटीकोट को नीचे से हटा कर, साड़ी को चूत पर ढक लिया और बोली- इसी के ऊपर से करो।
मैं मजबूर था, अतः मैंने साड़ी को थोड़ा आंटी की चूत के अंदर उंगली से किया और अपने खड़े लंड को साड़ी के ऊपर से ही चूत में डालना शुरू किया।
धीरे धीरे साड़ी गीली हो गई और निरोध का काम करने लगी। मैंने भी आंटी की चुदाई करते हुए धक्के लगाने शुरू किये। मुझे लंड में दर्द हो रहा था, थोड़े धक्कों के बाद जल्दी ही आंटी का पानी निकल गया और मुझे दूर हटाने लगी। परन्तु मेरे लंड में जबरदस्त खारिश हुई और मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा, आंटी एक बार फिर जोश में आ गई और मेरा साथ देने लगी।
कुछ देर धक्के लगाने के बाद मेरे लंड में जबरदस्त खारिश और दर्द हुआ और भयंकर खुजलाहट के साथ पहली बार मेरा वीर्य निकल कर सपना आंटी की चूत में भर गया, उनकी साड़ी लिबड़ गई थी।
उन्होंने पूछा- ये तुम्हारा पहली बार छूटा है?
तो मैंने बताया- हाँ पहली बार हुआ है।
आंटी ने मेरा जोरदार किस किया।
परन्तु एक तो स्टोर में अँधेरा था दूसरे आंटी की चूत साड़ी से ढकी हुई थी, अतः मुझे संतुष्टि नहीं हुई। मैं बस आंटी की चूत देखना चाहता था, परन्तु आंटी ने साड़ी ही नहीं उठाने दी।
हमारा यह खेल लगभग एक महीने तक चलता रहा। हम इसी तरह साड़ी, पेटीकोट या स्कर्ट अड़ा कर आंटी की चुदाई का मजा लेते रहे, आंटी पैंटी नहीं पहनती थी।
मुझे भी इस खेल में आगे क्या करना है अधिक जानकारी नहीं थी। जैसे आंटी करती वैसे ही मैं उनका साथ देता रहता था।
धीरे धीरे मेरा लंड लम्बा तथा मोटा होने लगा। मेरे लंड का साइज़ लगभग 6 इंच लम्बा और मोटा हो गया था।
हमारा घर वैसे तो हम पांचों के लिए काफी था परन्तु हमारे घर मेहमान बहुत आते रहते थे। एक दिन हमारे घर पर मेरी बुआ फूफा और उनके बच्चे 5-6 दिन के लिए आ गये। मेरी मम्मी ने सपना आंटी को कहा कि राजू कुछ दिन के लिए आपके ड्राइंग रूम में दीवान पर सो जाएगा और वहीं पढ़ लेगा।
सपना आंटी बोली- कोई बात नहीं है, चिंटू के पापा भी नहीं हैं, मुझे भी सहारा हो जायेगा, यह नीचे ही सो जाया करेगा।
और आखिर कार वह रात आ गई जब मैंने सपना आंटी को दिल लगाकर चोदा।
मैं सायं को 8 बजे खाना खाकर अपनी किताब लेकर नीचे सपना आंटी के चला गया। चिंटू सो रहा था। आंटी नहा धोकर इत्र लगाकर, एक नाईट गाउन में थी।
मेरे अंदर जाते ही उन्होंने दरवाजा बन्द कर लिया और मादक मुस्कान से बोली- कहाँ सोना है?
मैंने कहा- आपके पास बेड पर सोना है।
हम बैडरूम में चले गए और एक दूसरे के लिपट गए। मैंने आंटी का गाउन ऊपर करके उनकी चूत को पहली बार छुआ। एकदम साफ और चिकनी चूत थी। मैं खड़ा खड़ा उस पर हाथ फिराने लगा। आंटी की सिसकारियाँ निकलने लग गई, उन्होंने चिंटू को उठा कर दूसरे कमरे में दीवान पर सुला दिया।
हम फिर एक दूसरे के लिपट गए। आंटी ने मेरे कपड़े उतार दिए और बैडरूम की लाइट बंद करके एक जीरो पॉवर का नीला बल्ब जला दिया, जो मुझे अच्छा नहीं लगा था।
आंटी ने मुझे सेक्स का पाठ समझाते हुए बताया कि औरत की चूचियाँ, जांघें, होंठ, गाल, चूतड़ और चूत प्यार करने की जगह होती हैं, इन पर हाथ फिराने से औरत को मजा आता है और वह आदमी से चूत मरवाने के लिए तैयार हो जाती है।
मुझे ज्यादा नहीं पता था, अतः मैं वैसे ही करता गया, परन्तु मैं जल्दी से जल्दी आंटी की चूत देखना और मारना चाहता था।
आंटी बेड पर लेट गई, साथ में मैं भी लेट गया और उनके बताये अंगों पर हाथ फिराने लगा, उनके गालों और होठों को चूसने लगा।
नीली रोशनी में चूत ठीक से दिखाई नहीं दे रही थी। मैं आंटी के ऊपर चढ़ा तो आंटी ने कहा कि ऐसे नहीं करना है, ऐसे तो बच्चा ठहर जाएगा। फिर आंटी पेट के बल बेड पर लेट गई और कहने लगी- पीछे से लंड को अंदर डालो।
पहले तो मैंने समझा कि आंटी गांड मरवाना चाहती है, परन्तु जब मैंने कहा कि मैंने तो चूत मारनी है तो वह बोली- चूत में ही पीछे से डालो।
मैं आंटी के ऊपर चढ़ गया और पीछे से चूत में लंड अंदर डालने की कोशिश करने लगा। परन्तु आंटी की भारी और चिकनी गाण्ड तक ही मेरा लंड पहुँच पाता था। आंटी ने अपनी टाँगें चौड़ी की परन्तु फिर भी लंड केवल चूत के टच ही कर सका।
मैं नाराज होने लगा तो आंटी ने कहा- तुम मेरे नीचे आओ।
उन्होंने मुझे नीचे लिटा लिया और मेरे ऊपर चढ़ कर, मेरे लंड को अपने हाथ से चूत के मुंह पर सेट करके एकदम मेरे ऊपर दबाव देकर लंड को चूत के अंदर ले लिया। लंड एक ही झटके में फटाक से चिकनी और प्यासी चूत में जड़ तक बैठ गया।
यह मेरा जीवन का पहला सम्भोग था।
अंदर से चूत भट्ठी की तरह गर्म थी और मेरी एकदम वीर्य की पिचकारी आंटी की गर्म चूत में निकल गई।
आंटी ने कहा- ये क्या किया?
मैंने कहा- मुझे मजा ही इतना आया कि मेरा एकदम छूट गया।
आंटी बड़बड़ाने लगी, मैं भी आंटी से नाराज था कि वह लाइट बंद करके सब करवा रही थी और मुझे कुछ भी नहीं करने दे रही थी।
आंटी ने उठकर बाथरूम में अपनी चूत साफ़ की और दोबारा बेड पर आ गई। मैं भी आंटी से नाराज होकर सोने लगा। आंटी की प्यास बुझने के बजाये भड़क चुकी थी। वह मुझे दुबारा छेड़ने लगी और बोली- दुबारा करते हैं।
तो मैंने कहा- यदि बड़ी लाइट जला कर मुझे करने दोगी तो मैं करूँगा, वरना मैं सो रहा हूँ।
आंटी ने कमरे की बड़ी दो लाइट जलाई और बेड पर सीधी कमर के बल लेट गई। उन्होंने अपनी दोनों टाँगें मोड़ कर ऊपर की और मुझे चूत दिखाते हुए बोली- ले देख ले और जो करना है कर ले!
दोस्तो! पहली बार मैंने भरी पूरी जवान गदराई हुई, फूली हुई सुंदर और गुलाबी चूत देखी। भगवान ने चूत के मामले में मुझे मालामाल करके रखा है, परन्तु इतनी सुन्दर चूत बहुत कम औरतों की देखी है।
मैं खुश हो गया और आंटी की टांगों के बीच में अपने लंड को तान कर बैठ गया। मैंने देखा उस रात मेरा लंड और दिनों से बड़ा और मोटा लग रहा था।
मैं लंड को चूत पर रखने लगा तो आंटी ने कहा- आराम आराम से देर तक करना है, जल्दबाजी मत करना और साथ में मेरी चूचियों को हाथों से मसलते और पीते रहना।
कुछ देर सपना आंटी के बताये अनुसार करते हुए मैंने चूत को किस किया और क्लीटोरिस को चूसा। आंटी जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी और कुछ देर बाद बोली- लंड को अब अंदर डालो। मैंने अपने एक हाथ की उंगलियों से चूत को खोला और उस पर अपना तना हुआ लंड डालना शुरू किया। लंड अंदर जाने लगा और मुझे व आंटी को जन्नत का मजा आने लगा।
फिर आंटी ने कहा- अब मुझे चोदो, जोर जोर से चोदो, पर झड़ना नहीं है।
मैंने आंटी को मुड़े हुए घुटनों की पोजीशन में चोदना शुरू कर दिया, धक्कों की रफ़्तार तेज कर दी, नीचे से आंटी भी अपनी गांड को उछाल उछाल कर मेरा लंड ले रही थी। मैं सर्दी के मौसम में भी पसीने से तर हो गया।
कुछ देर बाद आंटी का शरीर अकड़ने लगा और उन्होंने अपनी टाँगें मेरी कमर के चारों और लपेट ली, अचानक मुझे जोर से भींच लिया और उनका पानी निकल गया, परन्तु मैं लगा रहा।
चूत में पानी आने से फच फच की आवाज आने लगी।
आंटी ने मुझसे कहा- मेरा हो गया है, अब तुम अपना कर लो।
कुछेक जबरदस्त धक्कों के बाद मैंने भी आंटी की चूत को अपनी पिचकारी से भर दिया और आंटी के ऊपर लेट गया।
आंटी कहने लगी- अब तो खुश है, नाराज हो कर सोने चला था।
मैं और आंटी आपस में लिपट कर प्यार करने लगे। वह मेरे लिए बादाम का दूध लाई, और मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।
अबकी बार आंटी ने मुझे कई आसान सिखाये व घोड़ी बना कर भी कई देर तक चोदा। मेरा लंड दर्द करने लगा था। परन्तु उस रात उस कमरे में सारी रात चुदाई चलती रही। मैंने आंटी को चार बार चोदा। सारी रात वीर्य की पिचकारियों से उनके मुँह, चूचियों और गांड को भिगोता रहा। सुबह के तीन बजे हम दोनों सोये।
सुबह उठा तो मेरा लंड सूजा हुआ था और मेरा पेशाब भी बहुत जलन से आ रहा था और दर्द कर रहा था।
मैंने आंटी को बताया तो वह मुझे स्कूल जाने के बहाने से उनकी एक फ्रेंड लेडी डॉक्टर के क्लिनिक पर ले गई।
लेडी डॉक्टर बनर्जी ने आंटी से कुछ पूछा तो आंटी ने पक्की सहेली होने के कारण सब बता दिया।
लेडी डॉक्टर ने आंटी से कहा- पहली बार थी इसकी, पहली बार इतना ज्यादा करते हैं क्या?
तो आंटी ने कहा- यह खुद ही सारी रात मेरे ऊपर से नहीं उतरा।
फिर लेडी डॉक्टर ने मरे लंड को बाहर निकलवा कर चेक किया, मेरे लंड पर एक क्रीम लगाने को दी और कुछ टेबलेट खाने को दी और मुझ से कहा कि एक दो दिन में मुझे दिखा देना और मेरी तरफ सेक्सी स्माइल दी।
मेरा लंड सांय तक ठीक हो गया था और अगली 5 रात, हर रोज सपना आंटी की चूत को तरह तरह से ठोकता रहा। एक हफ्ते में ही मैं सारी काम कलाएं सीख चुका था और मेरा लंड अब 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है।
दो दिन बाद लेडी डॉक्टर रास्ते में मिल गई थी जिन्होंने मुझे क्लीनिक पर आकर दिखाने को कहा।
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