स्कूल के टोइलेट में पहली बार अपने यार से चुद गयी और फिर कई बार छिपकर चूदी

हेलो दोस्तों, आप सभी तो तान्वी तिवारी का बहुत बहुत नमस्कार. मैं कई सालों से नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर चुदाई, सेक्स और ऐयाशी की कहानियां पढ़ रही हूँ. मैं आपको बता दूँ की मैं भी कोई कम ऐयाश नहीं हूँ. पता नहीं कितनो से चुदवाया है मैंने, पता नहीं कितनों से गांड मराई है मैंने. तो आप अभी को मैं अपनी ऐयाशी की कहानी सुनाना चाहती हूँ. मैं देखने में काफी खूबसूरत हूँ. साधे पांच फिट लम्बी हूँ. मेरा बदन भी भरा हुआ है. तो मैं सीधे कहानी पर आती हूँ. मैं तन्वी, मानवी, नीतू, शशि ४ बहने थी. हम चारों में १ २ साल के फर्क था. मैं तो १० १२ साल पहले जवान हो गयी थी, पर आप तो जानते है की हिंदुस्तान में लाइन से शादी होती है. तो मेरी ऐयासी की सूरत ऐसे हुए. जब मैं १८ साल की जवान चुदवाने लायक सामान हो आ तो मुझसे बड़ी ३ बहनों की शादी करनी थी.
मेरे डैडी मुझसे बड़ी ३ बहनों की शादी के लिए यहाँ वहां लड़का देखने लगे. मैं जान गयी की अभी ५ ६ साल तक तो मुझको लंड मिलने से रहा. तो खुद ही मुझको अपने लंड का इंतजाम करना पड़ेगा. इसलिए स्कुल कॉलेज में जो लड़का मुझको लाइन देता, मैं ले लेती और बाथरूम, टोइलेट में जाकर चुदवा लेती. हाँ , मुझको याद याद मेरी पहली चुदाई दुर्जोय नमक लडके ने स्कुल के टोइलेट में की थी. मैं उस वक्त १०वि में थी. मेरे क्लास की सभी लडकियां टोइलेट में ही जाकर अपने अपने यारों से बूर फड़वाती थी. मेरी एक सहेली कुसुम ने मुझसे कहा की मैं हमेशा क्लास में बस बैठ के पढ़ती रहती हूँ. उधर लडकियां नए नए लड़कों का नया नया लंड का रही है. कुसुम ने मुझको बताया की जो लडकियां क्लास में बैठ के बस पढ़ती ही रह जाती है, उनकी लाइफ बड़ी बोरिंग हो जाती है. आगे जब उनकी शादी होती है तो वो अपने पति को खुस नहीं रख पाती. इसलिए हर जवान लड़की की किसी न किसी लडके से जरुर चाकर चलाना चाहिए और शादी से पहले क. दोस्तों, मेरी बेस्ट फ्रेंड से मुझको समझाया. उसने मुझसे बताया की दोर्जोय जो मेरे क्लास में ही पढता है मुझको पसंद करता है और मुझसे फ्रेंडशिप करना चाहता है.
दोस्तों, धीरे धीरे मेरी दुरजोय से मुलाकते बढने लगी. मैं अभी छोटी थी , इसलिए मेरे पास कोई मोबाइल भी नयी था. इसलिए मैं और दुर्जोय लव लेटर लिख लिख कर एक दूसरे से बात करते थे. एक दिन जब हमारी हिस्टरी की बोरिंग क्लास चल रही थी, दुर्जोय से मुझको बेच के निचे से चट्टी थी की रिसेस में मैं उससे टोइलेट में आकर मिली. जब रिसेस हुआ तो मैं अपनी लेडिस टोइलेट में मूतने गयी थी. जैसे मैं अंदर गयी दुर्जोय ने मुझको अंदर खींच लिया.
दुर्जोय!! यहाँ क्यूँ बुलाया?? ये लेडिस टोइलेट है! कहीं किसी ने देख लिया तो खामखा बवाल हो जाएगा! मैंने नाराज होकर कहा
अरे तान्वी ! तू बहुत डरती है. इतना डरेगी तो कभी कुछ नहीं कर पाएगी!! दुर्जोय बोला. उसने मुझको बाँहों में भर लिया. किसी लडके से मिलने का मेरा ये प्रथम अनुभव था. आज तक तो मैं कभी अपनी किताब कापियो और पढ़ने लिखने वाली जिंदगी से बाहर नहीं आई थी. दोस्तों, मैं स्कूल की झक सफ़ेद शर्ट और नीली शोर्ट स्कर्ट पहन रखी थी. दुर्जोय ने मेरे नए नए मम्मो पर अपने हाथ रख दिया. मेरा तो दिल धड़क गया दोस्तों. उसके छूने से मेरे अंदर की किशोरी की चुदास जाग गयी थी. वो मेरे गोल गोल सोलिड गठीले स्तनो लो छुने सहलाने लगा. आज मुझको पहली बार पता चला की मैं सिर्फ एक स्टूडेंट नही बल्कि चोदने लायक एक जवान लड़की भी हूँ. मेरा दिल धक् धक करने लगा. मेरी सांसे और धडकन तेज हो गयी. बिना विलम्ब किया दुर्जोय ने अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिया.
वो मेरे होंठों की लाली चुराने लगा. मुझको बहुत अच्छा लगा. अब मैं भी बिना पीछे हटे उसके होंठों को पीने लगी. हम दोनों अब जबरदस्त चुम्बन करने लगे. कुछ देर बाद तो हम दोनों बहुत गरम हो गए. दुर्जोय ने मेरी टाई निकाल दी. मेरी उपर की गलाबंद वाकी बटन भी उसने खोल दी. वो मेरे गले पर सब जगह चुमने लगा. धीरे धीरे मेरी उत्तेजना शिकार पर पहुचने लगी. मेरे गले पर पीछे मेरे बालों के नीचे अनेक हल्के हल्के रेशे से थे. जब मेरा यार दुर्जोय मुझको वहां चूमने लगा तो एक ओर जहाँ थोड़ी गुद्गुदी लग रही थी, वहीँ बड़ा अच्छा लग रहा था. मैं तो अभी तक कापी, किताबों, पेंसिल, पेन से ही खेली थी,पर किसी विपरीत लिंग का स्पर्श कैसे होता है ये मुझको आज पता चला. दुर्जोय ने मेरी झक बिलकुल चकाचक सफ़ेद नील की हुई शर्त के उपर के बटन खोल दिए और मेरी पीठ पर हाथ फिरने लगा. अब तो मैं और भी उत्तेजित हो गयी. अब मैं चुदासी और गर्म हो गयी थी. मैंने टोइलेट की कुण्डी अंदर से ठीक से बंद कर ली थी, वरना कोई भी लड़की अचानक से वहाँ आ सकती थी. अब मस्त गोलमटोल मम्मो को दुर्जोय से वैसे बाहर से तो खूब ताड़ा था, पर आज उसे मेरे मम्मो को पास से छूने और देखने परखने का आज मौका मिला था. उसने मेरी ब्रा को ऊपर उचका आकर मेरे मम्मो को बाहर निकाल लिया जैसे डॉक्टर ओप्रसन करके पेट से बच्चा बाहर निकाल लेता है.
आह !! ओह्ह्ह माँ!! मम्मी!! मैं गरम गरम सिस्कार लेने लगी. दुर्जोय मेरे दूध से खेलता रहा. कितने दिनों बाद आज उसकी ये जवलंत खवाहिश पूरी हुई थी. आज से पहले तक उसने मेरे मम्मो या कहे मेरी इज्जत को सिर्फ सफ़ेद शर्ट स्कूली ड्रेस में देखा था, पर आज उसे इसे असली रूप में देखने का सौभाग्य मिला था. दोस्तों, दुर्जोय तो अब मेरी ओर देख ही नही रहा था, जैसे मेरे दूध, मेरी छातियाँ ही उसके लिए सबकुछ थी. आप सभी चूत के पाठकों को मैं बता दूँ की वो टोइलेट जादा बड़ी थी. बहुत छोटी थी. मुझको चोदने के लिए उसे बड़ा जातन करना पड़ेगा, ये बात तो मैं जानती थी. अब जब ये बाट साफ थी की मेरा यार मुझको स्कूल की इसी टोइलेट में चोदेगा तो अब कैसा शर्माना. दुर्जोय ने मुझको पूरा नंगा नहीं किया, क्यूंकि अब दोनों किसी आराम्दायक बेडरूम में तो थे नहीं, बल्कि एक टोइलेट में थे. थोड़ी बू भी आ रही थी. इसलिए उसने मुझको नंगा नहीं किया. न की मेरे कपड़े उतारे. बस इतना कर लिया की मुझको वो चोद ले, बस इतना ही उसने किया. मेरी शर्ट के ऊपर के ३ बटन दुर्जोय से खोल दिए और मेरे मस्ट कलश जैसा बेहद खूबसूरत मम्मो को बाहर निकाल लिया और पीने लगा. उसने इंग्लिश टोइलेट सीट का ढक्कन बंद कर दिया. अब मुझको उसपर बठने के लिए पर्याप्त सीट मिल गयी थी. दुर्जोय ने मुझको छोटी सी उस इंग्लिश सीट पर बैठा दिया था और पीछे वाश बेसिन ने टिका दिया था. दोस्तों, भला हो नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम का की वो मेरी कहानी आप तक लेकर आई है. वरना मेरी इस ऐयाशी के बारे में मैं किसी को ना बता पाती.
वो मेरे दूध पर मजे से पी रहा था. मेरे कलश जैसे खुब्सूरत मम्मे दुर्जोय के लिए किसी ट्रोफी से कम नही थी. वो मस्ती से मेरी छातियों को पीने लगा. बार बार टोइलेट का दरवाजा खुलने और बंद होने की चें चें की आवाज आती थी. लड़कियों की पदचाप की आवाज आती थी. मन तो दर भी था की कहीं खुदा न खास्ता हम दोनो को पकड़ लिया तो पता नहीं क्या होगा. इस अमर्यादित कृत्य पर हम दोनों को स्कूल से निकाला भी जा सकता है. शिक्षा के मंदिर में हम दोनो इस तरह छिपकर चुदाई को अंजाम दे रहें थे, इस लिए मेरी गांड तो फटी थी दोस्तों. जबकि दुर्जोय मस्ती से मेरे मम्मे पीने में मस्त था. लडके तो बिंदास होते है, टेंशन तो बस लडकियां की करती है. मेरे दोनों मम्मो को जीभर के पीने और मेरे नीबू का सारा रस निचोड़ने के बाद अब दुर्जोय मुझको चोदना चाहता था. उसने मेरी बड़े घेरे वाली स्कर्ट ऊपर उठा दी. उसने मेरे कपड़े उतारे नहीं, क्यूंकि वहां जगह की बड़ी किल्लत थी. मेरी महरून रंग की हल्की जाली वाली बड़ी सेक्सी पैंटी जब उसने देखि तो देखा थी रह गया. फिर उसने मेरी सेक्सी महरून पैंटी उतार दी.
अरे तान्वी!! हाई स्कूल में ही तेरी झांटे भी निकल आई!! दुर्जोय हसकर बोला
भोसड़ी के!! जब तेरी माँ हाई स्कूल में होगी तब उसकी झांटे भी निकल आई होगी, पूछ लेना अपनी माँ से!! मैंने कसकर मजाक में कहा. ओह्ह !! दुर्जोय मेरी चूत पीने लगा. कितना मजा मिला मुझको. हर बाट मैं कैसे आपको शब्दों में बताऊ दोस्तों. बस यही जानिये की बड़ा मजा मिला मुझको. दुर्जोय मेरे भोसड़े को अच्छे से पीने लगा. मेरी छातियाँ, मेरे स्तन कड़े होकर तन गए, पत्तर जैसे हो गये. आज मैंने जाना की किताब कापी से गाड़ मराने के अलावा भी एक नयी सपनीली रंगीली दुनिया है. इधर मैं मजा मारती रही, वही दूसरी ओर दुर्जोय मेरी बुर का सेवन करता था. फिर उसने अपनी स्कूल बेल्ट खोल दी. उसका लौड़ा तो कबसे मेरी बुर मारने को बेक़रार था.
ऐ तन्वी!! लौड़ा चूसेगी ?? दुर्जोय ने प्यार से पूछा
दे न भोसड़ी के !! मैंने कहा.
दुर्जोय ने अपना लौड़ा मुझको दे दिया. मैंने टोइलेट सीट की उस छोटी सी सीट पर बैठी रही और अपने यार, अपने सनम का लौड़ा चूसती रही. दुर्जोय बहुत गोरा था, इसलिए उसका लौड़ा भी बड़ा गोरा, खूबसूरत था. मैं मजे से चूसने लगी. उसके लौडे की मांसपेशिया भी खूब फूल गयी थी, जिससे चूसने में वो और मोटा लग रहा था. मैं सिर आगे पीछे करके उसका लौड़ा चूसने लगी. आज पता चला की सारी क्लास तो मैं अटेंड कर रही थी , पर इस चुदाई की क्लास में मैं आज तब ना आई थी. दुर्जोय ने अपनी आँखे बंद कर ली. निश्चित रूप से उसको भी बड़ा मजा मिल रहा था. मैंने बड़ी देर तक अपने सनम का लंड चूसा. अब दुर्जोय ने मुझको जरा पीछे कर दिया, चूत सामने आ गयी. उसना लंड लगाया और पुश किया. लंड बुर फाड़ता किसी ट्रेक्टर की तरह मेरे चूत के खेत में गुस गया. धीरे धीरे दुर्जोय मुझको चोदने लगा. कुछ देर बाद मेरी चूत रवा हो गयी. मेरा सनम मुझको अब ले रहा था.
दोस्तों, बार बार मेरे क्लास की लडकियां वह बाहर आ जा रही थी. दर लग रहा था की कहीं हम दोनों आशिकों को देख न ले. मेरा यार बिंदास बिना किसी टेंशन के मुझको पेल रहा था. कुछ देर बाद मेरी चूत पूरी तरह रवां हो गयी. अब दुर्जोय सट सट करके मुझको पेल रहा था. मैं चुदाई के महा समुन्दर में गोते लगा रही थी. मैंने अपने यार के दोनों हाथ को पकड़ रखा था. दुर्जोय ने ये साबित कर दिया की वो खिलाड़ी है. उसने टोइलेट सीट पर बैलेंस बनाये रखा और मुझको गिरने नही दिया. उसकी लंड की रगड बड़ी नशीली थी. मैं तो जैसे आज गंगा नहा गयी दोस्तों. मेरी चूत भी आज अच्छी तरह खुल गयी. दुर्जोय गच गच्च करके मुझको पेलता रहा. मैं सिस्कारियां बड़ी धीरे धीरे ले रही थी , की कहीं कोई स्टूडेंट सुन न ले. कुछ देर बाद, दुर्जोय ने रफ्तार बड़ा दी. मैं कहीं चुदवाते चुदवाते टोइलेट सीट से नीचे न गिर जाऊं , इसलिए मैंने उसके दोनों हाथों को कसके पकड़ लिया. दुर्जोय को इतना जोश चढ़ा की बहुत जोर जोर से धक्के मारने लगा. पूरी टोइलेट सीट और पीछे लगी वाश बेसिन हिलने लगी. दुर्जोय खप खप करके मुझको पेलता रहा. मैं धन्य हो गयी. चुदाई की इस पाठशाला में आज मैंने अपनी हाजरी दर्ज करवा दी. मैंने चुदाई के इस क्लास में कई ठुकाई के पाठ पढे आज. काफी देर तक उसने मुझको चोदा, फिर मेरी चूत में उसने अपना गरम गरम लावा यानि अपना माल छोड़ दिया. मैं धन्य हो गयी. आज मैं एक चुद गयी और एक सम्पूर्ण नारी बन गयी. हम दोनों ने अपने अपने कपड़े ठीक कर लिए. मैंने अपनी शर्ट के वो खुले वाले बटन बंद कर लिए. अपनी स्कूल टाई पहन ली. चुदवाकर मैं अपनी स्कर्ट नीचे कर ली, ठीक ही. मेरे कपड़ों में थोड़ी धूल भी लग गयी. वहीँ दुर्जोय ने भी शर्ट पैंट में डालकर बटन लगा ली. बेल्ट बाँध ली. फिर शर्ट इन कर ली. उसने होले से टोइलेट का दरवाजा खोला और बाहर झांक कर देखा.
जब उसने देखा की वहाँ बाहर कोई लड़की नहीं है , वो धीरे से बाहर भाग गया. कुछ देर बाद मैं भी निकल आई. दोस्तों, हम दोनों प्यार के पंछी अगर एक साथ निकलते तो पकड़े जा सकते थे. कुछ देर बाद इंटरवल खतम हो गया. हमारे मैथ के सर आने गए. अब हमारी मैथ्स की पढाई होने लगी. दुर्जोय क्लास में मेरे बगल ही बैठता था. उसने धीरे से मुझको एक पर्ची लिखकर दी.
चुदाई की क्लास कैसी लगी?? उसने पर्ची में लिखकर पूछा
बहुत मस्त लगी! मैंने उसको जवाब दिया.
उसके बाद दोस्तों, मैं दुर्जोय से पट गयी और गर्ल टोइलेट में हमने कई बार छिपकर चुदाई की पाठशाला जमाई और कई बार चुदाई की क्लास लगायी. दोस्तों, आपको मेरी ये ऐस्यासी की कहानी कैसे लगी, जरुर कमेन्ट करके बताये.
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