उधर मेरी भाभी भैया से चूत में लौड़ा ठुकवाती रही और इधर मैं उनके भाई से बुर चुदवाती रही

मैं अदिति अपनी मस्त सेक्सी कहानी आपको सिर्फ और सिर्फ कामुक स्टोरी डॉट कॉम पर सुना रही हूँ. कुछ दिनों पहले मेरी भाभी का भाई विनोद मेरे घर आया. होली में भाभी के पापा ने ढेर सारे फल, मिठाइयाँ, कपड़े और अन्य चीज भेजी थी. विनोद जब मेरे घर आया तो मुझे बहुत अच्छा लगा. वो मेरी ही तरह २२ २३ साल का था, मैं भी २१ की थी. हम दोनों की जवान थे इसलिए हम दोनों में खूब पटरी खाती थी. मैं अक्सर विनोद से फोन पर बात करती थी और फेसबुक पर चैटिंग करती थी. वैसे तो विनोद रिश्ते में मेरा भाई लगता था पर उससे हमेशा मजाक किया करती थी. वो बहुत सीधा था, संसार में कुछ जानता ही नही था, इस वजह से मैं उसको चम्पू चम्पू कहकर बुलाया करती थी. रात में मैंने कितनी ही बार विनोद को सोच कर चूत में ऊँगली की थी.
‘ऐ विनोद !! तुम्हारी दीदी को रात में भैया से खूब मजे लेती है. क्या तुम जानते हो कैसे मजे लिए जाते है??’ मैंने उससे पूछती थी. वो घबराकर मेरे पास से भाग खड़ा होता था. आज के कलयुग में जब छोटे से छोटा लड़का भी चूत मारना जानता है विनोद बेहद सीधा था. उसे ये तक पता नही था की किस तरह लडकी चोदी जाती है. उसको भैया ने मेरे कमरे के बगल वाले कमरे में टिकाया था. मैं इस बार सोच लिया था भोले भाले विनोद को अपने रूप में जाल में फांसकर मैं उसका लौड़ा जरुर खाऊंगी. अभी विनोद को आये ३ दिन ही हुए थे. की एक रात मैं उसके कमरे में चली गयी. वो नींद में था. बड़ी नीद में उठकर उसने दरवाजा खोला.
‘अबे चम्पू!! तू चम्पू ही रह जाएगा. चल मेरे साथ चल’ मैंने उसका हाथ पकड़ के कहा
‘अरे अदिति!! ये कहाँ लेकर जा रही हो??’ वो बोला
‘जो मैं तुमको दिखाउंगी उसे देखकर तेरी नींद उड़ जाएगी बच्चू!!’ मैंने कहा. उसको जबरदस्ती पकड़कर मैं भाभी वाले कमरे की तरह आई. खिड़की खुली थी. भाभी किसी देसी कुतिया की तरह दोनों टांग फैलाई थी. मेरे भैया उनकी चूत को अपने बड़े से लौड़े से कूट रहे थे.
‘अबे घोंचू विनोद!! देख उधर देख! तुम्हारी दीदी कैसी चुदवा रही है. देख ! कैसे मजे मार रही है!’ मैंने कहा. ज्युही विनोद ने कमरे की तरह देखा तो देखता ही रह गया. आज विनोद जान गया की किस तरह लकड़े लडकियों को पेलते खाते है. मेरी भाभी का भाई टकटकी बाँध के अपनी दीदी को चुदते देखने लगा. उसकी नींद उड़ गयी. मैं उसका हाथ पकड़ के अपने कमरे में ले आई.
‘देख विनोद! मैं जानती हूँ की तू चम्पू है. बस तू फ़िकर मत कर. मैं तुमको सब बता दूंगी’ मैंने कहा और उसे बाहों में भर लिया. वो थर थर कपने लगा. ‘तुमको बच्चा हो गया तो??’ विनोद डरते हुए बोला. मैंने उसे डपट दिया. मैंने उसको अपने साथ बिस्तर पर लिटा लिया. मैं ही उसके होठ पीने लगी. धीरे धीरे विनोद भी मेरे होठ पीने लगा. काम बन गया. फिर मैंने अपना सूट निकाल दिया. ब्रा निकाल दी. जैसे ही मेरी नयी नयी छातियाँ उसने देखी विनोद की निगाहें मेरे चूचो पर ठहर गयी. ‘क्यूँ हैं शानदार??’ मैंने पूछा. विनोद हंस दिया. विनोद का हाथ मैंने खुद हाथ में लिया और अपनी छातियों तक ले आई. ‘चल दबा विनोद!! गारंटी है तुझे जन्नत का मजा मिलेगा!’ मैंने कहा. मेरी भाभी का भाई विनोद मेरे मम्मे दबाने लगा. ऐसे शानदार बूब्स उसने आजतक नही देखेगा. मैंने खुद अपने बूब्स उसके मुँह में दे दिए. ‘चल पी!!’ मैंने उसे डाटा. वो दूध पीने लगा.
कुछ देर बाद विनोद चुदासा हो गया. उसके अंदर का मर्द जाग उठा. वो खुद ब खूब मेरी नर्म नर्म दूध सी सफ़ेद छातियाँ पीने लगा. कुछ देर बाद वो मेरी छातियों को उसी तरह दबाने और पीने लगा जैसे भैया भाभी के दूध पीते है. मुझे बहुत अच्छा लगा. मैं मन ही मन इश्वर को धन्यवाद करने लगी की उसने मुझे ऐसा रिश्तेदार दिया. मैंने अपनी सलवार का नारा खोल दिया. अपनी चड्ढी भी निकाल दी. विनोद के हाथ को पकड़ मैंने अपनी चूत पर रख दिया. वो सहलाने लगा. मुझे बहुत अच्छा लगा. कुछ समय और बीता तो मुझे उसे कुछ समझाने की जरुरत नही थी. वो जोर जोर से आवाज करता हुआ मेरे मम्मे पी रहा था और हाथ की उँगलियों से चूत सहला रहा था. कुछ देर बाद उसके अंदर की हवस जाग गयी. ये वही मर्दाना हवस थी जो जनाना चूत की देखना, छूना, सहलाना और पीना चाहती है.
मेरी कुवारी चूत को देखकर मेरी भाभी का भाई बिलकुल पगला गया. झुककर मेरी चूत को पास से देखने लगा. फिर मुँह लगाकर पीने लगा. मैं बहुत खुश थी. मैं जान गयी थी की अब आज मुझे चोदकर विनोद मर्द बन जाएगा. उसे अब कुछ समझाने की जरुरत नही थी. वो भर भरके मेरी कुवारी चूत पी रहा था. मुझे बड़ा मजा आ रहा था. यही तो कुदरत होती है. जवान चुदासा नर मादा के गुप्तांगों को देखकर अपने होश खो बैठता है. यही विनोद के साथ हुआ था. आज तक अपने शर्मीले और संकोची व्यक्तित्व के कारण विनोद किसी लडकी से बात नही कर पाया था. पर आज उसकी किस्मत चमकी हुई थी. असली चूत के दर्शन विनोद को हो गए थे. फिर वो अपनी जीभ के सिरे से मेरी चूत को लपर लपर करके किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा. फिर उसने कपड़े निकाल मेरी कुवारी चूत में लौड़ा दे दिया. कुछ देर तक वो मेरी चूत ढूढ़ता रहा. मैंने ही उसको ऊँगली से बताया की यही चूत है. यही पर उसे लौड़ा पेलना है और मेरी कुवारी चूत की सील तोडनी है.
विनोद ने अपना बड़ा सा लौड़ा मेरी चूत के छेद पर रख दिया. और जोर से धक्का दिया. मेरी सील टूट गयी. एक और धक्का मारा और उसका लौड़ा मेरी चूत में घुस गया. जब उसने लौड़ा निकाला तो सुपाडे की खाल पीछे को भाग गयी थी. विनोद का गुलाबी सुपाडा मेरी बुर के गहरे खून से सन गया था. विनोद अलसी मर्द साबित हुआ. ‘शाबाश बेटा!! ये हुई न मर्द वाली बात! चल चोद मुझको. समझ ले की मेरे बड़े भैया ने तेरी बहन को दिन रात नंगा करके चोदा खाया. समझ ले उपर वाले ने तुझे एक मौका दिया है हिसाब बराबर करने का. चल चोद!!’ मैंने कहा
जो मैंने सोचा था वही हुआ. विनोदवा [प्यार से मैं उसे विनोदवा ख देती थी] झाड़ पर चढ़ गया और मुझे चोदने लगा. आह माँ माँ उई उई माँ मर गयीईईईईईई मम्मम्म माँ !! मैं बहुत जादा गर्म थी. इस तरह की गर्म गर्म आवाजे मैं अपने मुँह से निकाल रही थी. विनोद के अंदर की हवस और वासना जाग गयी थी. वो मुझे चोद खा रहा था. ये बड़ा मीठा दर्द था. रोज मेरी सहेलियां मुझे तरह तरह की चुदाई वाली कहानियाँ सुनाती थी. कितने दिन का मेरा अरमान था की कैसी लडके का असली लौड़ा खाऊ. कबतक चूत में ऊँगली करुँगी. आज कितने दिनों बाद ये सपना सच हुआ था. मेरी भाभी का भाई मुझको टांग उठाकर चोद रहा था. मैं मजे से आह आह हा हा करके चुदवा रही थी. विनोद के मोटे लौड़े से मेरी चूत सिकुड़ गयी थी. बड़ी कसी कसी रगड़ थी वो. क्यूंकि मैं आज पहली बार चुद रही थी.
चुदते चुदते मेरे पेट में मरोड़ उठने लगी. इसके साथ ही मेरे बदन में बड़ी अजीब सुखद लहरें उठने लगी तो मेरी चुदती चूत से उठ रही थी और पुरे बदन में फ़ैल रही थी. मैं फटर फटर करके चुदवा रही थी. अब मुझे पता चला की हर लड़की चुदाई और ठुकाई की इतनी तारीफ़ क्यूँ करती है. विनोद को अब कुछ समझाने की जरुरत नही थी. वो सब जान गया था. किसी तेज तर्रार लडके की तरह वो मेरे साथ संभोग कर रहा था. कुछ देर बाद विनोदवा बहुत जादा चुदासा हो गया और बिना रुके किसी मशीन की तरह मेरी चूत मारने लगा.
फटर फटर करके उसकी कमर मेरी कमर से टकरा रही थी. चट चट की आवाज कमरे में बज रही थी. मैं कुवारी थी पर अब चुद रही थी. विनोद मेरी छातियों को जोर जोर से मीजने लगा और दबाने लगा. मेरी चूत गीली हो गयी. विनोद का लौड़ा सट सट करके मेरी चूत ले रहा था. वहीँ मेरे पेट में मरोड़ उठ रही थी. इसके साथ ही आनंद की सुखद लहरे चूत से लगातार उठ रही थी. इस गजब की उतेजना के दौर में विनोद ने चट चट मेरे गाल पर २ ४ थप्पड़ भी जड़ दिए. मुझे अच्छा लगा की भोला भाला विनोद किसी असली मर्द जैसा व्यव्हार कर रहा है. वो मुझे और जोर जोर से ठोकने लगा. फिर उसने अचानक रफ्तार बड़ी तेज कर दी. मैंने उसको बाहों में कस लिया. मैं जान गयी की वो झड़ने वाला है. फिर एकाएक विनोद का चेहरा सिकुड़ गया. अपने लौड़े का गर्म गर्म पानी मैंने अपने भोसड़े में महसूस किया. विनोद झड चुका था.
‘छोड़ दिया ??’ मैंने आहे भरते पूछा
‘हाँ!!’ वो हफ्ते हुए बोला. मैं भी हाफ रही थी. विनोद पसीना पसीना हो मेरे उपर गिर गया. मैं बहुत चुदासी थी. मैंने नंगे नंगे ही उसे जिस्म से लगा लिया. उसके मत्थे पर मैंने प्यार भरी चुम्मी दी. अपनी भाभी के भाई के साथ ये मेरी पहली चुदाई थी. फिर मैंने विनोद को उसके कमरे में भेज दिया. रात में मुझे बार बार यही सपना आ रहा था की विनोद और मैं प्यार ही प्यार कर रहे है. अगला दिन बहुत अच्छा बीता. विनोद के मैं लखनऊ के दर्शनीय स्थल घुमाने ले गयी. मैंने उसे भूल भुलैया, अमीनाबाद, हजरतगंज आदि जगहों पर ले गयी. मैं बजार में घूम जरुर रही थी पर बार बार कल की ठुकाई वाली रात याद आ रही थी. मैंने विनोद का हाथ अपने हाथ में ले रखा था.
‘ऐ विनोद!! आज रात कमरे में आएगा??’ मैंने पूछा
‘हाँ !!’ बोला
आज फिर मैं भाभी के भाई का इंतजार करने लगी, पर पता नही क्यूँ भाभी आज मेरे कमरे में मेरे ही साथ सो गयी थी. सायद उनको ऍम सी आ गयी थी. पूरी रात मैं जागती रही. दोस्तों, पुरे ५ दिन मुझे इंतजार करना पड़ा. फिर भाभी की ऍम सी खत्म हो गयी. आज बड़े इंतजार के बाद मैं अकेले सो रही थी. मुझे किसी भी कीमत पर नींद नही आई. मैं फिर से चुदवाना चाहती थी. विनोद का लौड़ा अपनी बुर में लेना चाहती थी. मैंने विनोद के कमरे पर गयी और बड़ी धीमे से कुण्डी खटकाई. विनोद भी मेरी ही याद कर रहा था. विनोद ने मुझे गले लगा लिया. काफी देर तक हम प्रेमी प्रेमिका एक दुसरे को गले से लगाए रहे. कुछ देर बाद विनोद को लेकर धीरे से बिना कोई शोर मचाए मैं अपने कमरे में आ गयी. दरवाजा अंदर से मैंने बंद कर लिया.
हम जन्म जन्म के प्रेमी प्रेमिका की तरह बर्ताव करने लगे. विनोद मेरे ओंठ पीने लगा. मैं भी मुँह चला चलाकर अपने जानम के ओंठ पीने लगी. विनोद ने मुझे नंगा कर दिया. सीधा मेरी चूत पर उसने हमला कर दिया. वो जोर जोर से मेरी चूत पी रहा था. ‘क्यूँ विनोद!! अब ठुकाई में तुजे मजा आता है की नही??’ मैंने पूछा. वो चूत पीता रहा और सर हिलाकर उसने हाँ कहा. मैं एक बार फिरसे इश्वर का धन्यवाद करने लगी की उसने मेरे लिए लौड़े का इंतजाम कर दिया. कुछ देर बाद विनोद मेरी चूत में ऊँगली करने लगा. एक बार फिर से मेरी चूत से गर्म गर्म आनंद की लहरे उठने लगी. विनोद जोर जोर से चूत में ऊँगली करने लगा. मैं मजे करने लगी. फिर उसने मेरी चूत में लौडा डाल दिया और कूटने लगा. मैं बता नही सकती की कितना मजा आया. ऐसा लगा की मेरी चूत सिर्फ और सर्फ विनोद का लौड़ा खाने के लिए ही बनी थी. मेरी चूत में उसका लौड़ा बिलकुल फिट हो रहा था. विनोद जोर जोर से मुझे चोद रहा था. इसके साथ वो हांफ रहा था. मेरी चूत मारने में उसकी बड़ी ताकत खर्च हो रही थी. ये मैं साफ साफ नोटिस कर रही थी.
लडकियों को क्या है. बस टांग फैलाकर लेट जाओ. चुदवाने में कौन सी ताकत लगती है. असलो पॉवर तो लडको की खर्च होती है. जोर जोर से धक्का मार मार के पेलने पड़ता है. तब जाकर एक लौंडिया चुद पाती है. विनोद की मेहनत देख मुझे ख़ुशी हुई. उसने जरा पीछा खिसककर एडजस्ट किया. फिर से मुझे लेने लगा. उसके माथे पर पसीने की कतारें मैं साफ साफ देख रही थी. मुझे गचर गचर चोदने से विनोद के नग्न जिस्म में बड़ी गर्मी पैदा हुई थी. ये पसीना की पतली कतार भी इसी का उदाहरण था. विनोद जरा थक गया. उसने हाथ से अपने माथे का पसीना पोछा. फिर से मुझे चोदने लगा. कुछ देर बाद वो मेरी चूत में ही झड गया. मैंने उसे सीने से लगा लिया. विनोद की मेहनत पर मुझे बड़ा प्यार आया. एक सच्चे आशिक की तरह उसके मुझे चोदा था.
कुछ देर तक वो मेरे दूध पीता रहा. मैंने तो जन्नत के मजे ले लिए. विनोद फिर से मेरी चूत पर आ गया. इस बार पास पड़ी छोटी कांच वाली पेप्सी की बोतल उसने उठा ली और मेरी चूत में डाल दी. धीरे धीरे विनोदवा मेरी चूत में बोतल करने लगा. एक नयी तरह की सनसनी और चुदास मैंने महसूस की. लड़का सही राह पर जा रहा था. कुछ देर तक मेरी चिकनी चूत में बोतल चलाने के बाद उसने फिर से अपना मोटा लंड फिर से मेरी चूत में डाल दिया और कूटने लगा. वो जोर जोर से मुझे पेलने लगा, खेलने लगा. लगा की जैसे आज वो मेरी चूत एक ही रात में फाड़ के रख देगा. मुझे मेरी भाभी का भाई चोद रहा था और लगातार मेरी चूत के ओंठों को हाथ से सहला रहा था. वो जोर जोर से मेरी चूत की पंखुड़ियों को घिस रहा था जिससे मुझे बड़ी जोर की सनसनी हो रही थी. बसी नशीली थी वो घिसन और छुअन. मेरी फट फट करके चोदने से मेरे बुर के ओंठ पूरी तरह से खुल गये थे जैसे सीप से मोती निकालने पर सीपी खुल जाती है. ठीक उसी तरह से मेरे साथ हो रहा था. कल रात और आज चुदने के बाद मेरी चूत रवां हो गयी थी. उसका रास्ता पूरी तरह से खुल गया था.
फटर फटर करके मेरी भाभी का भाई विनोद मुझे ठोक रहा था. वो गचा गच मुझे चोद रहा था. बहुत मजा आ रहा था दोस्तों. फिर विनोद ने मेरी चूत से लौड़ा निकाल लिया और अपनी जीभ से मेरी गांड के छेद को पीने लगा. मैं सिहर गयी. विनोद ने इस बार बढ़कर छक्का मार दिया. मेरी गंद के बहुत ही बारीक सुराख़ पर उसने लौड़ा रखा और अंदर की ओर बड़ी जोर का धक्का मारा. विनोद का मजबूत लौड़ा मेरी गांड फाड़ता हुआ निकल गया और अंदर घुस गया. दोस्तों, मेरी तो माँ चुद गयी. ‘मम्मी मम्मी !! सी सी सी !’ मैंने चिल्लाने लगी. विनोद मेरी गांड चोदने लगा. करीब आधे घंटे बाद मेरा दर्द कम हुआ. अब विनोदवा हचक हचक के मुझे ठोकने लगा. मैं मस्त हो गयी. वो मेरी गांड में पूरा अंदर तक लौड़ा दे रहा था. लग रहा था कहीं लौड़ा मेरे पेट में ना घुस जाए. विनोद अपने शानदार तरह से ले रहा था. मेरी कसी कसी गांड आज पहली बार चुदी थी इसलिए बहुत कसा कसा लग रहा था. कुछ देर बाद विनोद पागलों की तरह मुझे पकड़ के फट फट की आवाज करता हुआ मेरी गांड चोदने लगा. बड़ी देर बाद वो झडा. आपको ये कहानी कैसी लगी अपनी कोमेंट्स कामुक स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दें.
और कहानिया
प्यासी चुदासी भाभी की चूत चुदाई (Pyasi Bhabhi Ki Chut Chudai)
मेरा नाम विशाल है.. यह अन्तर्वासना की साईट पर मेरी पहली कहानी है। मैं जयपुर का र...बेस्ट फ्रेंड के साथ तूफानी चुदाई (Best Friend Ke Sath Tufaani Chut Gaand Chudai)
हाय फ्रेंड्स मेरा नाम जतिन है और मैं अभियांत्रिकी का छात्र हूँ। मैं खाते पीते घर...Jungle me Mangle – Summer Special Kahani
first time aunty ko Bhopal me chodne ke baad unhe dobara fir kabhi chodne ka mau...करिश्मा की ऑफिस में क्विक सेक्स
हाई दोस्तों मेरा नाम समीर हे और मैं 23 साल का लड़का हूँ बरोडा से. लेकिन पिछले कुछ...
Humse bhi chudvalo praful from pune