एक रंडी की आपबीती
हैल्लो दोस्तों, हिन्दी में लिखने का अलग ही मज़ा है, बहनचोद सारी भड़ास निकल जाती है, जिधर भी देखती हूँ चारों तरफ भूखे ही नज़र आते है और रोटी से ज़्यादा उन्हें जिस्म की तलाश रहती है। पहले में भी अपने बूब्स को छुपाते-छुपाते परेशान हो जाती थी, लेकिन अब तो पल्लू हटाने में भी शर्म नहीं आती, शायद ये उम्र ही ऐसी है। एक सीधी साधी महिला को भी रांड बनने पर मजबूर कर देती है, मगर मेरा कोई दोष नहीं है, दोष इस जिस्म का है, दोष इस चूत की भूख का है जो आदमी को देखते ही मचलने लगती है। चाणक्य ने कहा था कि औरत में पुरुषो के मुक़ाबले 8 गुना ज़्यादा कामुकता होती है, लेकिन मुझे तो लगता है कि साली हज़ार गुना ज़्यादा होती है।
ये बात एक शाम की है जब में पार्लर में थी और एक कस्टमर की मसाज कर रही थी, वो पीठ के बल लेटा था और में अपने हाथों में ठंडा तेल लिए उसकी पीठ मल रही थी। जब मैंने काले कलर का टॉप पहना था और काले शॉर्ट्स, अंदर काली ब्रा और पेंटी पहनी थी। अब मसाज करते-करते में उसकी टाँगों तक पहुँच गई और अब मेरी गांड उसकी तरफ थी। फिर उसने अपने हाथ से मेरी गांड को सहलाया। फिर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।
में – साहब, सेक्स करने का मूड है क्या?
वो : हाँ डार्लिंग।
में – 15000 रुपये लगेंगे।
वो : और भी दूँगा।
फिर इतना कहकर वो उठा और अपने पर्स से पैसे निकाल कर मुझे पकड़ा दिए। फिर मैंने कहा कि अब बस आप देखते जाओ। फिर मैंने अपनी दोनों टाँगे उसकी टाँगों के बगल में रखी और उसके ऊपर आ गई और उसकी चड्डी में उसका लंड खड़ा था।
फिर मैंने उसके ऊपर अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया। अब उसके हाथ मेरे बूब्स पर जा चुके थे। फिर उसने पूछा कि इनका साईज़ कितना है? तो मेरे मुँह से आ आह्ह्ह के साथ निकला 36D है। अब इससे पहले कि वो कुछ और पूछता मैंने अपनी टॉप उतार फेंकी और पीछे से ब्रा की हुक खोल दिये। अब मेरे बूब्स उसके सामने लटके हुए थे। फिर मैंने उसकी और देखा और उसके होंठो पर टूट पड़ी। मैंने पहले उसका ऊपर वाला होंठ चूसा। फिर उसका नीचे वाला होंठ चूसा और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। अब वो भी जोर से मेरे होंठ चूस रहा था और मेरे बूब्स को दबा रहा था। अब उसकी उंगलियां मेरे नितंबो को दबाने से नहीं चूक रही थी और हर बार दबाने के बाद मेरे मुँह से आ आ की आवाज़ें निकल रही थी। अब उसकी उंगलियों ने अपना जादू दिखाना शुरू कर दिया था और अब मेरे नितंब बिल्कुल खड़े थे।