खाला मेरी और चोद गया वो

 
loading...

मैं शाकिर अली हूं, 22 साल का, और लाहोर में रहता हूँ. जो वाक़िया आज आप को सुनाने जा रहा हूँ आज से चार साल पहले पेश आया था. मेरे घर में माँ बाप के अलावा एक बहन और एक भाई हैं. मै सब से बड़ा हूँ. ये तब की बात है जब में दसवीं जमात में पढ़ता था. इस वाकिये का ताल्लुक मेरी खाला से है जिनका नाम अम्बरीन है. खाला अम्बरीन मेरी अम्मी से दो साल छोटी थीं और उनकी उमर उस वक़्त क़रीब 36 बरस थी. वो शादीशुदा थीं और उनके दो बेटे थे. उनका बड़ा बेटा राशिद तक़रीबन मेरा हम-उम्र था और हम दोनो अच्छे दोस्त थे. खाला अम्बरीन के शौहर नावेज़ हुसैन की लाहोर में दुकान थी.

खाला अम्बरीन बड़ी खूबसूरत और दिलकश औरत थीं. तीखे नैन नक़्श और दूध की तरह सफ़ेद रंग. उनके लंबे और घने बाल गहरे ब्राउन रंग के और आँखें भी ब्राउन थीं. उनका क़द दरमियाना था और बदन बड़ा गुदाज़ और सेहतमंद था. कंधे चौड़े और फारबा थे. मम्मे बहुत मोटे और गोल थे जिन का साइज़ 40/42 इंच से तो किसी तरह भी कम नही होगा. उनके चूतड़ गोल और गोश्त से भरपूर थे. गर्मियों के मौसम में जब खाला अम्बरीन पतले कपड़े पहनतीं तो उनका गोरा, तंदरुस्त और गदराया हुआ बदन कपड़ों से झाँकता रहता था.

में गर्मियों में उनके घर बहुत ज़ियादा जाया करता था ताके उनके उभरे हुए मम्मों और मांसल चूतड़ों का नज़ारा कर सकूँ. खाला होने के नाते वो मेरे सामने दुपट्टा ओढ़ने का तकलूफ नही करती थीं इसलिये मुझे उनके मम्मे और चूतड़ देखने का खूब मोक़ा मिलता था. कभी कभी उन्हे ब्रा के बगैर भी देखने का इतिफ़ाक़ हो जाता था. पतली क़मीज़ में उनके हसीन मम्मे बड़ी क़यामत ढाते थे. काम काज करते वक़्त उनके मोटे ताज़े मम्मे अपनी तमामतर गोलाइयों समेत मुझे साफ़ नज़र आते थे. उनके मम्मों के निप्पल भी मोटे और बड़े थे और अगर उन्होने ब्रा ना पहना होता तो क़मीज़ के ऊपर से बाहर निकले हुए साफ़ दिखाई देते थे. ऐसे मोक़ों पर में आगे से और साइड से उनके मम्मों का अच्छी तरह जाइज़ा लेता रहता था. साइड से खाला अम्बरीन के मम्मों के निप्पल और भी लंबे नज़र आते थे. यों समझिये के मैंने तक़रीबन उनके मम्मे नंगे देख ही लिये थे. मम्मों की मुनासबत से उनके चूतड़ भी बहुत मांसल और गोल थे. जब वो चलतीं तो दोनो गोल और जानदार चूतड़ अलहदा अलहदा हिलते नज़र आते. उस वक़्त मेरे जैसे कम-उमर और सेक्स से ना-वाक़िफ़ लड़के के लिये इस क़िसम का नज़ारा पागल कर देने वाला होता था.

खाला अम्बरीन के खूबसूरत बदन को इतने क़रीब से देखने के बाद मेरे दिल में उनके बदन को हाथ लगाने का ख्वाब समा गया. मेरी उमर भी ऐसी थी के सेक्स ने मुझे पागल किया हुआ था. रफ़्ता रफ़्ता खाला अम्बरीन के बदन को छूने का ख्वाब उनकी चूत हासिल करने की ख्वाहिश में बदल गया. जब उन्हे हाथ लगाने में मुझे कोई ख़ास कामयाबी ना मिल सकी तो मेरा पागलपन और बढ़ गया और में सुबह शाम उन्हे चोदने के सपने देखने लगा. इस सिलसिले में कुछ करने की मुझ में हिम्मत नही थी और में महज़ ख्वाबों में ही उनकी चूत के अंदर घस्से मार मार कर उस का कचूमर निकाला करता था. फिर एक ऐसा वाक़िया पेश आया जिस के बारे में मैंने कभी सोचा भी नही था.

मेरी बड़ी खाला के बेटे इमरान की शादी पिंडी में हमारे रिश्तेदारों में होना तय हुई. बारात ने लाहोर से पिंडी जाना था. खालू ने जो फौज से रिटायर हुए थे पिंडी के आर्मी मेस में खानदान के ख़ास ख़ास लोगों को ठहराने का बंदोबस्त किया था. बाक़ी लोगों ने होटलों में क़याम करना था. हम ने 2 बस और 2 वैन किराए पर ली थीं. बस को शादी की मुनासबत से बहुत अच्छी तरह सजाया गया था. बस के अंदर लड़कियों का सारे रास्ते शादी के गीत गाने का प्रोग्राम था जिस की वजह से खानदान के सभी बच्चे और नोजवान बसों में ही बैठे थे. मैंने देख लिया था के खाला अम्बरीन एक वैन में बैठ रही थीं. मेरे लिये ये अच्छा मोक़ा था.

में भी अम्मी को बता कर उसी वैन में सवार हो गया ताके खाला अम्बरीन के क़रीब रह सकूँ. उनके शौहर माल खरीदने दुबई गए हुए थे लिहाज़ा वो अकेली ही थीं. उनके दोनो बेटे उनके मना करने के बावजूद अपनी माँ को छोड़ कर हल्ला गुल्ला करने बस में ही बैठे थे. वैन भरी हुई थी और खाला अम्बरीन सब से पिछली सीट पर खिड़की के साथ बैठी थीं. जब में दाखिल हुआ तो मेरी कोशिश थी के किसी तरह खाला अम्बरीन के साथ बैठ सकूँ. वैन के अंदर आ कर मैंने उनकी तरफ देखा. मै उन से काफ़ी क़रीब था और मेरा उनके घर भी बहुत आना जाना था इस लिये उन्होने मुझे देख कर अपने साथ बैठने का इशारा किया. मै फॉरन ही जगह बनाता हुआ उनके साथ चिपक कर बैठ गया.

खाला अम्बरीन शादी के लिये खूब बन संवर कर घर से निकली थीं. उन्होने सब्ज़ रंग के रेशमी कपड़े पहन रखे थे जिन में उनका गोरा गदराया हुआ बदन दावत-ए-नज़ारा दे रहा था. बैठे हुए भी उनके गोल मम्मों के उभार अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ नज़र आ रहे थे. कुछ देर में हम लाहोर शहर से निकल कर मोटरवे पर चढ़े और अपनी मंज़िल की तरफ रवाना हो गए. मै खाला अम्बरीन के साथ खूब चिपक कर बैठा था. मेरी रान उनकी रान के साथ लगी हुई थी जब के मेरा बाज़ू उनके बाज़ू से चिपका हुआ था. उन्होने आधी आस्तीनो वाली क़मीज़ पहन रखी थी और उनके गोरे सुडोल बाज़ू नंगे नज़र आ रहे थे. खाला अम्बरीन के नरम गरम बदन को महसूस करते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने फॉरन अपने हाथ आगे रख कर अपने तने हुए लंड को छुपा लिया.

खाला अम्बरीन ने कहा के में राशिद को समझाऊं के मेट्रिक के इम्तिहान की तय्यारी दिल लगा कर करे क्योंके दिन थोड़े रह गए हैं. मैंने उनकी तवजो हासिल करने लिये उन्हे बताया के राशिद एक लड़की के इश्क़ में मुब्तला है और इसी वजह से पढने में दिलचस्पी नही लेता. वो बहुत नाराज़ हुईं और कहा के मैं उसकी हरकतें उनके इल्म में लाता रहूं. इस तरह में ना सिरफ़ उनका राज़दार बन गया बल्के उनके साथ मर्द और औरत के ता’अलुक़ात पर भी बात करने लगा. वो बहुत दिलचस्पी से मेरी बातें सुनती रहीं. उन्होने मुँह बना कर कहा के आजकल की लड़कियों को वक़्त से पहले सलवार उतारने का शौक होता है. ये ऐसी कुतिया की मानिंद हैं जिन को गर्मी चढ़ी हो. ये बातें मुझे गरम कर रही थीं. मैंने बातों बातों में बिल्कुल क़ुदरती अंदाज़ में उनकी मोटी रान के ऊपर हाथ रख दिया. उन्होने क़िसी क़िसम का कोई रद्द-ए-अमल ज़ाहिर नही किया और में उनके बदन का मज़ा लेता रहा.

बिल-आख़िर साढ़े चार घंटे बाद हम पिंडी पहुंच गए. मै खाला अम्बरीन के साथ ही रहा. अम्मी, नानीजान और और कुछ और लोग मेस में चले गए. खाला अम्बरीन के दोनो बेटे भी मेस में ही रहना चाहते थे. मैंने खाला अम्बरीन से कहा के कियों ना हम होटल में रहें. कमरे में और लोग भी नही हूँगे, बाथरूम इस्तेमाल करने का मसला भी नही होगा और अगले दिन बारात के लिये तय्यारी भी आसानी से हो जायेगी. खाला अम्बरीन को ये बात पसंद आई. उन्होने अपने बेटों को कुछ हिदायात दीं और मेरे साथ मुर्री रोड पर रिजर्व एक होटल में आ गईं जहाँ खानदान के कुछ और लोग भी ठहर रहे थे. मैंने अम्मी को बता दिया था के खाला अम्बरीन अकेली हैं में उनके साथ ही ठहर जाऊंगा. उन्होने बा-खुशी इजाज़त दे दी.

होटल दरमियाना सा था. कमरे छोटे मगर साफ़ सुथरे थे. कमरे में 2 बेड थे. खाला अम्बरीन काफ़ी तक चुकी थीं. उनके बदन में दर्द भी हो रहा था. फिर हम ने कपडे तब्दील किये. खाला अम्बरीन ने घर वाला पतली सी लॉन का जोड़ा पहन लिया जिस में से हमेशा की तरह उनका गोरा बदन नज़र आ रहा था. कपड़े बदलने के बावजूद उन्होने अपना ब्रा नही उतारा था. मुझे थोड़ी मायूसी हुई क्योंके बगैर ब्रा के में उनके मम्मों को ज़ियादा बेहतर तरीक़े से देख सकता था. खैर खाला अम्बरीन को अपने साथ एक कमरे में बिल्कुल तन्हा पा कर मेरे दिल में उन्हे चोदने की खाहिश ने फिर सर उठाया. लेकिन में ये करता कैसे? वो भला मुझे कहाँ अपनी चूत लेने देतीं. मै दिमाग लड़ाने लगा.

मैंने कुछ अरसे पहले एक फिल्म देखी थी जिस में एक आदमी एक औरत को शराब पिला कर चोद देता है. शराब की वजह से वो औरत नशे में होती है और उस आदमी से चुदवा लेतीं है. मगर में वहाँ शराब कहाँ से लाता. फिर मैंने सोचा शायद होटल का कोई मुलाज़िम मेरी मदद कर सके. मुझे डर भी लग रहा था लेकिन इस मोक़े से फायदा भी उठाना चाहता था. बहरहाल में किसी बहाने से बाहर निकला तो 40/45 साल का एक काला सा आदमी जो होटल का मुलाज़िम था मिल गया. वो बहुत छोटे क़द का और बदसूरत था. छोटी छोटी आँखें और अजीब सा फैला हुआ चौड़ा नाक. ठोड़ी पर दाढ़ी के चन्द बाल थे और मूंछें भी बहुत हल्की थीं. वो हर तरह से एक गलीज़ शख्स लगता था.
में उस के साथ सीढियां उतर कर नीचे आया और उसे बताया के मुझे शराब की बोतल कहाँ मिल सकेगी. उस ने पहले तो मुझे गौर से देखा और फिर कहने लगा के कौन सी शराब चाहिये. मुझे किसी ख़ास शराब का नाम नही आता था इसलिये मैंने कहा के कोई भी चल जाएगी. हम लोग शादी पर आए हैं और ज़रा मोज मस्ती करना चाहते हैं. उसने शायद मुझे और खाला अम्बरीन को कमरे में जाते देखा था. कहने लगा के तुम तो अपनी माँ के साथ हो. कमरे में शराब कैसे पियोगे. मै ये सुन कर घबरा गया मगर खुद को संभालते हुए उससे बताया के में अपनी खाला के साथ हूँ और उनके सो जाने के बाद पीना चाहता हूँ. उसने मुझ से 1600 रुपय लिये और कहा के आधे घंटे तक शराब ले आएगा में उसका इंतज़ार करूँ. उस ने अपना नाम नज़ीर बताया.

में कमरे में वापस आ गया. मेरा दिल धक धक कर रहा था. मै डर रहा था के नज़ीर कहीं पैसे ले कर भाग ही ना जाए मगर वो आधे घंटे से पहले ही शराब की बोतल ले आया. बोतल के ऊपर वोड्का लिखा हुआ था और उस में पानी जैसी रंग की शराब थी. मुझे ईलम नही के वो वाक़ई वोड्का थी या किसी देसी शराब को वोड्का की बोतल में डाला गया था. खैर मैंने बोतल ले कर फॉरन अपने नेफ़े में छुपा ली. उसने कहा के बाथरूम के तौलिये चेक करने हैं. मै उसे ले कर कमरे के अंदर आ गया. उस ने बाथरूम जाते हुए खाला अम्बरीन को अजीब सी नज़रों से देखा. मै समझ नही पाया के उसकी आखों में क्या था. वो कुछ देर बाद चला गया.

मैंने अपने और खाला अम्बरीन के लिये 7-UP की बोतलें मँगवाईं जो नज़ीर ही ले कर आया. इस दफ़ा भी उसने मुझे और खाला अम्बरीन को बड़े गौर से देखा. उसके जाने के बाद में उठ कर कोने में पड़ी हुई मेज़ तक आया और खाला अम्बरीन की तरफ पीठ कर के 7-UP की एक बोतल में से तीन चोथाई एक ग्लास में डाली और उस की जगह वोड्का डाल दी. मैंने वो बोतल उनको दे दी. उन्होने बोतल से चन्द घूँट लिये और बुरा सा मुँह बना कर कहा के ये तो दवाई की तरह कड़वी है. ये पीने लायक नही है. मेरा दिल बैठ गया के कहीं वो पीने से इनकार ही ना कर दें. मैंने कहा के उन्हे बोतल पी लेनी चाहिये क्योंके इस से उनका दर्द ठीक हो जाएगा. वो इनकार करती रहीं मगर मेरे इसरार पर आख़िर पी ही ली.

रात के कोई साढ़े बरा बजे का वक़्त होगा. खाला अम्बरीन की हालत बदलने लगी थी. उनका चेहरा थोड़ा सा लाल हो गया था और आँखें भारी होने लगी थीं. वो मेरी बातों को ठीक से समझ नही पा रही थीं और बगैर सोचे समझे बोलने लगती थीं. उनकी आवाज़ में हल्की सी लरज़िश भी आ गई थी. वो वाज़ेह तौर पर अपने ऊपर कंट्रोल खोती जा रही थीं. कभी वो खामोश हो जातीं और कभी अचानक बिला वजह बोलने लगतीं. नशा उन पर हावी हो रहा था. उन्होने ज़िंदगी में पहली दफ़ा शराब पी थी इसलिये उस का असर भी ज़ियादा हुआ था. उन्होने कहा के अब वो सोना चाहती हैं. वो एक कुर्सी पर बैठी हुई थीं. जब उठने लगीं तो लडखड़ा गईं. मैंने फॉरन आगे बढ़ कर उन्हे बाज़ू से पकड़ लिया. उनके गोरे, मांसल और नरम बाज़ू पहली दफ़ा मेरे हाथों में आये थे.

में उस वक़्त थोड़ा घबराया हुआ था मगर फिर भी उनके बदन के स्पर्श से मेरा लंड खड़ा हो गया. मै उन्हे ले कर बेड की तरफ बढ़ा. मैंने उनका दुपट्टा उनके गले से उतार दिया और उन से चिपक गया. मेरा एक हाथ उनके सुडौल चूतड़ पर था. मैं उन्हे बेड तक लाया. मेरी उंगलियों को उनके चूतड़ के आगे पीछे होने की हरकत महसूस हो रही थी. मेरे सबर का पैमाना लबरेज़ हो रहा था. मैंने अचानक अपना हाथ उनके मोटे और उभरे हुए चूतड़ के दरमियाँ में रख कर उससे आहिस्ता से टटोला. उन्होने कुछ नही कहा. इस पर मैंने उनके एक भारी चूतड़ को थोड़ा सा दबाया. उन्होने अपने चूतड़ पर मेरे हाथ का दबाव महसूस किया तो मेरे हाथ को जो उनके चूतड़ के ऊपर था पकड़ कर अपनी कमर की तरफ ले आईं लेकिन कहा कुछ नही.

उन्हे बेड पर बिठाने के बाद मैंने उन से कहा के वो बहुत थक गई हैं इसलिये तबीयत खराब लग रही है. में उनके कपड़े बदल देता हूँ ताके वो आराम से सो सकैं. उनके मुँह से अजीब सी भारी आवाज़ निकली. शायद वो समझ ही नही सकी थीं के में क्या कह रहा हूँ. मैंने उनकी क़मीज़ पेट और कमर पर से ऊपर उठाई और उनका एक बाज़ू उठा कर उसे बड़ी मुश्किल से क़मीज़ की आस्तीन में से निकाला. अब उनका एक गोल और सूजा हुआ मम्मा सफ़ेद रंग के ब्रा में बंद मेरी आँखों के सामने था. उनका दूसरा मम्मा अब भी क़मीज़ के नीचे ही छुपा हुआ था. मैंने उनके मम्मे के नीचे हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही उसे पकड़ लिया. खाला अम्बरीन का मम्मा भारी भरकम था और उससे हाथ लगा कर मुझे अजीब तरह का मज़ा आ रहा था. फिर मैंने दूसरे बाज़ू से भी क़मीज़ निकाल कर उन्हे ऊपर से बिल्कुल नंगा कर दिया. उनके दोनो मम्मे ब्रा में मेरे सामने आ गए. मैंने जल्दी से पीछे आ कर उनके ब्रा का हुक खोला और उससे उनके बदन से अलग कर के उनके मम्मों को बिल्कुल नंगा कर दिया.

ये मेरी ज़िंदगी का सब से हसीन लम्हा था. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. खाला अम्बरीन के मम्मे बे-पनाह हसीन, गोल और उभरे हुए थे. सुर्खी मा’आइल गुलाबी रंग के खूबसूरत निप्पल बड़े बड़े और बाहर निकले हुए थे. निपल्स के साथ वाला हिस्सा काफ़ी बड़ा और बिल्कुल गोल था जिस पर छोटे छोटे दाने उभरे हुए थे. मैंने उनका एक मम्मा हाथ में ले कर दबाया तो उन्होने मेरा हाथ अपने मम्मे से दूर किया और दोनो मम्मों के दरमियाँ में हाथ रख कर अजीब अंदाज़ से हंस पड़ीं. शायद नशे ने उनकी सोचने समझने की सलाहियत पर असर डाला था.

मैंने अब उनके दूसरे मम्मे को हाथ में लिया और उस के मुख्तलीफ़ हिस्सों को आहिस्ता आहिस्ता दबाता रहा. मैंने ज़िंदगी में कभी किसी औरत के मम्मों को हाथ नही लगाया था. खाला अम्बरीन के मम्मे अब मेरे हाथ में थे और मेरी जहनी कैफियत बड़ी अजीब थी. मेरे दिल में खौफ भी था और ज़बरदस्त खुशी भी के खाला अम्बरीन मेरे सामने अपने मम्मे नंगे किये बैठी थीं और में उनके मम्मों से खेल रहा था. उन्होने उंगली उठा कर हिलाई के में ऐसा ना करूँ. उनका हाथ ऊपर की तरफ आया तो शलवार में अकड़े हुए मेरे लंड से टकराया लेकिन शायद उन्हे एहसास नही हुआ के में अपना लंड उनकी चूत में डालने को बेताब था. मै उसी तरह खाला अम्बरीन के मम्मों को हाथों में ले कर उनका लुत्फ़ उठाता रहा.

अचानक कमरे का दरवाज़ा जो मैंने लॉक किया था एक हल्की सी आवाज़ के साथ खुला और नज़ीर अंदर आ गया. नज़ीर ने फॉरन दरवाज़ा लॉक कर दिया. उस के हाथ में मोबाइल फोन था जिस से उसने मेरी और खाला अम्बरीन की उसी हालत में तस्वीर बना ली. ये सब पलक झपकते हो गया. मै फॉरन खाला अम्बरीन के पास से हट गया और उनकी क़मीज़ उठा कर उनके कंधों पर डाल दी ताके उनके मम्मे छुप जायें. नज़ीर के बदनुमा चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी. उस ने अपनी जेब से 6-7 इंच लंबा चाक़ू निकाल लिया मगर उससे खोला नही. खौफ से मेरी टांगें काँपने लगीं.

नज़ीर ने कहा के वो जानता था मुझे शराब क्यों चाहिये थी. मगर में फ़िक्र ना करूँ क्योंकि वो किसी से कुछ नही कहेगा. उसे सिर्फ़ अपना हिस्सा चाहिये. अगर हम ने उस की बात ना मानी तो वो होटल मॅनेजर को बतायगा जो पोलीस को खबर करेगा और आगे फिर जो होगा हम सोच सकते हैं. उसने कहा के शराब पीना तो जुर्म है ही पर अपनी खाला को चोदना तो उस भी बड़ा जुर्म है. मुझ से कोई जवाब ना बन पड़ा. खाला अम्बरीन नशे में थीं मगर अब खौफ नशे पर हावी हो रहा था और वो हालात को समझ रही थीं. मेरा दिल भी सीने में ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.

मुझे सिर्फ़ पोलीस के आने का ही खौफ नही था. होटल में खानदान के और लोग भी ठहरे हुए थे. अगर उन्हे पता चलता के में शराब पिला कर खाला अम्बरीन को चोदना चाहता था तो क्या होता? खाला अम्बरीन की कितनी बदनामी होती. खालू नॉवज़ क्या सोचते? उनका बेटा राशिद मेरा दोस्त था. अगर उसे पता चलता के मेरी नीयत उसकी माँ की चूत पर थी तो उस पर क्या गुज़रती? मेरे अब्बू ने सुबह पिंडी पुहँचना था. उन्हे पता चलता तो क्या बनता? बड़ी खाला के बेटे की शादी अलग खराब होती. मेरा दिल डूबने लगा. खाला अम्बरीन ने हल्की सी लड़खड़ाई हुई आवाज़ में कुछ कहा. नज़ीर उनकी तरफ मुड़ा और उन्हे मुखातिब कर के बड़ी बे-बाकी से बोला के अगर वो अपनी चूत उसे दे दें तो कोई मसला नही होगा. लेकिन उन्होने इनकार किया तो पोलीस ज़रूर आएगी. खाला अम्बरीन चुप रहीं मगर उनके चेहरे का रंग ज़र्द पड़ गया. उन्होने अपनी क़मीज़ अपने नंगे ऊपरी बदन पर डाली हुई थी.

नज़ीर ने मुझसे पूछा के क्या मैंने पहले किसी औरत को चोदा है. मैंने कहा नही. वो बोला के औरत नशे में हो तो उससे चोदने का मज़ा नही आता. वो खाला अम्बरीन के लिये तेज़ कॉफी ले कर आता है जिसे पी कर उनका नशा कम हो जाएगा. फिर वो चुदाई का मज़ा देंगी भी और लेंगी भी. उस ने अपना मोबाइल जेब में डाला और तेज़ क़दम उठाता हुआ कमरे से निकल गया. खाला अम्बरीन ने उसके जाते ही अपनी क़मीज़ ब्रा के बगैर ही पहन ली.

जब उन्होने क़मीज़ पहनने के लिये अपने हाथों उठाये तो उनके मोटे मोटे मम्मे हिले लेकिन उनके नंगे मम्मों की हरकत का मुझ पर कोई असर नही हुआ क्योंकि अब उन्हे चोदने का भूत मेरे सर से उतर चुका था. उनके नशे पर भी खौफ गालिब हो रहा था. उन्होने कहा के शाकिर तुमने ये क्या कर दिया? अब क्या होगा? ये कमीना तो मुझे बे-आबरू करना चाहता है. उनकी परैशानी बजा थी. अगर हम नज़ीर को रोकते तो वो हमें जान से भी मार सकता था या कोई और नुक़सान पुहँचा सकता था. अगर हम होटल में मोजूद अपने रिश्तेदारों को खबर करते तो हमारे लिये ही मुसीबत बनती क्योंके नज़ीर के फोन में हमारी तस्वीर थी. मैंने खाला अम्बरीन से अपनी हरकत की माफी माँगी. वो कुछ ना बोलीं.

कुछ देर में नज़ीर एक मग में कॉफी ले आया जो खाला अम्बरीन ने पी ली. उनका नशा कॉफी से वाक़ई कम हो गया और वो बड़ी हद तक नॉर्मल नज़र आने लगीं. नज़ीर ने मुझे कहा के में आज तुम्हे भी मज़े कराऊंगा क्योंके तुम्हारा दिल अपनी खाला पर है. वैसे तुम्हारी खाला है नंबर वन माल. इसका नाम क्या है? मुझे उसकी बकवास सुन कर गुस्सा तो आया मगर क्या करता. मैंने कहा – अम्बरीन. उस ने होठों पर ज़बान फेर कर खाला अम्बरीन की तरफ देखा. वो अपना ब्रा उठा कर बाथरूम चली गईं. जब वापस आईं तो उन्होने अपना ब्रा पहन रखा था. उनके आते ही नज़ीर ने अपने कपड़े उतारे और अलिफ नंगा हो गया.

उसका क़द बहुत छोटा था मगर जिसम बड़ा घुटा हुआ और मज़बूत था. उस का लंड इन्तहाई मोटा था जो उस वक़्त भी आधा खड़ा हुआ था. उस के लंड का सुपाडा छोटा था मगर पीछे की तरफ इन्तहाई मोटा हो जाता था. उसकी झांटो के बाल घने थे और उन के अलावा उसके जिसम पर कहीं बाल नही थे. टट्टे बहुत मोटे मोटे थे जिनकी वजह से उसका लंड कुछ छोटा लगता था. खाला अम्बरीन नज़ीर के लंड को देख कर हैरान रह गईं. वो एक घरैलू औरत थीं और इतना मोटा लंड शायद उन्होने पहले कभी नही देखा होगा. मुझे यक़ीन था के अपने शौहर के अलावा वे कभी किसी से नहीं चुदी होंगी.

नज़ीर ने देखा कि खाला अम्बरीन उसके लंड को हैरत से देख रही हैं तो उसने अपना लंड हाथ में ले कर उसे ऊपर नीचे हरकत दी और इतराते हुए खाला अम्बरीन से पूछा कि उन्हे उसका लंड पसंद आया या नहीं? वो खामोश रहीं. वो फिर बोला – जब ये लंड तेरी फुद्दी में जाएगा तो तुझे बहुत मज़ा देगा. खाला अम्बरीन ने अपनी नज़रें झुका लीं. नज़ीर ने अपना फोन और चाक़ू बेड के साथ पड़ी हुई छोटी सी मेज़ पर रखे और मुझे भी कपड़े उतारने को कहा. मै खौफ के आलम में था. मैंने इनकार कर दिया.

वो खाला अम्बरीन के पास गया और उनका हाथ पकड़ कर उन्हे बेड से उठाने लगा. उन्होने अपना हाथ छुड़ाना चाहा तो नज़ीर कहने लगा कि कुछ देर पहले तू अपने भानजे से चुदवाने वाली थी और अब शरीफ़ बन रही है. इस बे-इज़्ज़ती पर खाला अम्बरीन का चेहरा लाल हो गया और आँखों में बे-साख्ता आँसू आ गए. मै भी अंदर से हिल कर रह गया. उस वक़्त मुझे एहसास हुआ के में नादानी में क्या गज़ब कर बैठा था.

नज़ीर ने खाला अम्बरीन को खड़ा किया और उनसे लिपट गया. उस का क़द खाला अम्बरीन से 2 इंच छोटा तो ज़रूर होगा. वो उनके दिलकश चेहरे को चपड़ चपड़ चूमने लगा. उसका लंड अब पूरी तरह खड़ा हुआ था और खाला अम्बरीन की रानों में घुसने की कोशिश रहा था. मै जो थोड़ी देर पहले तक खाला अम्बरीन को चोदने के लिये बे-ताब था अब खौफ और पशेमानी की वजह से सूब कुछ भूल चुका था. मुझे अपना दिल पसलियों में धक धक करता महसूस हो रहा था.

नज़ीर ने खाला अम्बरीन के होठों को मुँह में ले कर चूसा तो उन्होने अपना मुँह कुछ ऐसे दूसरी तरफ फेरा जैसे उन्हे घिन आ रही हो. इस पर नज़ीर ने उनकी शलवार के ऊपर से ही उनकी चूत को हाथ में पकड़ लिया और कहा – बाज़ आ जा, कुतिया. अगर मुझे रोका तो तेरी इस मोटी फुद्दी के बाल नोच लूंगा. खाला अम्बरीन तक़लीफ़ में थीं जिसका मतलब था के नज़ीर ने वाक़ई उनकी चूत के बाल अपनी मुट्ठी में पकड़ रखे थे. उन्होने फॉरन अपना चेहरा उसकी तरफ कर लिया. नज़ीर ने दोबारा अपने होंठ उनके होठों पर जमा दिये. उस का काला बदसूरत चेहरा खाला अम्बरीन के गोरे हसीन चेहरे के साथ चिपका हुआ अजीब लग रहा था. नज़ीर उनका मुँह चूमते हुए कपड़ों के ऊपर से ही उनके मोटे मम्मों को मसलने लगा.

कुछ देर बाद उसने मेरी तरफ देखा और कहा – इधर आ, कमीने. अपनी खाला की क़मीज़ उतार और इस की बाड़ी खोल. वो ब्रा को बाड़ी कह रहा था. मैंने फिर इनकार कर दिया. सिर्फ़ एक घंटा पहले में खाला अम्बरीन के मम्मों की एक झलक देखने के लिये बे-ताब था मगर अब बिल्कुल ठंडा पड़ चुका था. मेरे इनकार पर नज़ीर खाला अम्बरीन को छोड़ कर मेरी तरफ आया. क़रीब आ कर उस ने एक ज़ोरदार थप्पड़ मेरे मुँह पर रसीद कर दिया. मै इसके लिये तय्यार नही था. मेरा सर घूम गया. उस ने एक और तमाचा मेरे मुँह पर लगाया. मेरा निचला होंठ थोड़ा सा फट गया और मुझे अपनी ज़बान पर खून का ज़ायक़ा महसूस हुआ. खाला अम्बरीन ने घबरा कर नज़ीर से कहा – इसे मत मारो. तुम्हे जो करना है कर लो और यहाँ से चले जाओ. नज़ीर गुस्से में उनकी जानिब पलटा और कहा – चुप, अभी तो मुझे तेरी फुद्दी का पानी निकालना है. फिर मुझे देख कर कहने लगा – तेरी माँ भी तेरी इस गश्ती खाला की तरह जबर्दस्त माल होगी. उसे भी चोदूंगा मैं. बता क्या नाम है तेरी माँ का? में चुप रहा तो उस ने एक घूँसा मेरी गर्दन पर मारा.

इस पर खाला अम्बरीन बोलीं – इस की माँ का नाम यासमीन है. नज़ीर ने कहा – मैं इस यासमीन की भी जरूर मारूंगा. मैंने बे-बसी से उस की तरफ देखा तो कहने लगा – बच्चू, तेरी माँ की चूत में भी ज़रूर अपना पानी निकालूंगा. उसकी फुद्दी जिससे तू निकला है वो तेरे सामने ही मेरा ये मोटा लंड लेगी. चल जो कह रहा हूँ वो कर वरना मार मार कर हड्डियाँ तोड़ दूँगा.

मुझे बाद में एहसास हुआ के नज़ीर गाली गलोच और मार पीट से मुझे और खाला अम्बरीन को डरा रहा था ताके हम उसकी हर बात मान लें. ये नफ्सीयाती हर्बा बड़ा कामयाब भी था क्योंके हम दोनो वाक़ई डर गए थे. उसने फिर मुझे कपड़े उतारने को कहा. मै इल्तिज़ा-आमीज़ लहजे में बोला के मेरा दिल नही है इसलिए वो मुझे मजबूर नहीं करे. लेकिन वो बा-ज़िद रहा के में वोही करूँ जो वो कह रहा है. मुझे डर था के कहीं वो फिर मेरी और खाला अम्बरीन की और नंगी तस्वीरें ना ले ले.

वो खाला अम्बरीन को ले कर बेड पर चढ़ गया और उनके होठों के बोसे लेने लगा. वो भूखे की तरह उनका गदराये हुए बदन को अपने हाथों से झिंझोड़ रहा था. उसने मुझे घूर कर देखा और अपनी तरफ बुलाया. मै बेड पर चढ़ कर खाला अम्बरीन के पीछे आया तो वो सीधी हो कर बैठ गईं. मैंने उनकी क़मीज़ को दोनो तरफ से ऊपर उठा कर सर से उतार दिया. उनके लंबे बाल उनकी गोरी कमर पर पड़े थे जिन के नीचे उनके ब्रा का हुक था. मैंने उनके बाल कमर पर से हटा कर ब्रा का हुक खोला और उसे उनके मम्मों से अलग कर दिया. नज़ीर ने फिर कहा के में कपड़े उतारू. मैंने जवाब दिया के मैं कुछ नही कर पाऊंगा, वो मेहरबानी कर के मुझे मजबूर ना करे. वो ज़ोर से हंसा और बोला – साले नामर्द, तू क्या किसी औरत को चोदेगा. चल जा, वहाँ बैठ और देख में तेरी खाला को कैसे चोदता हूँ. मै सख़्त शर्मिंदगी के आलम में बेड से उतरा और सामने पड़ी हुई एक कुर्सी पर जा बैठा.

नज़ीर खाला अम्बरीन के नंगे मम्मों पर टूट पड़ा. उसने उनका एक मम्मा हाथ में पकड़ कर मुँह में लिया और उसे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. कमरे में लपर लपर की आवाजें गूंजने लगीं. खाला अम्बरीन होंठ भींच कर तेज़ तेज़ साँस लेने लगीं. उनका चेहरा सुर्ख हो गया. मम्मे चुसवाने से शायद वो गरम हो गई थीं. उनके भारी मम्मे चूसते चूसते नज़ीर की साँस भी उखड़ गई मगर वो उनके मम्मों से चिपका ही रहा. उन्हे चूसने के दोरान उन्हे मसलता भी रहा. उसने खाला अम्बरीन को कहा के वो उस के लंड पर हाथ फेरें. उन्होने उस का लंड हाथ में लिया और अपने मम्मे चुस्वाते हुए उस पर हाथ फेरने लगीं. उनकी हालत अब और ज़ियादा खराब हो गई थी. मै ये सब कुछ देख रहा था. नज़ीर ने अम्बरीन के दोनो मम्मों को चूस चूस कर बिल्कुल गीला कर दिया था. फिर उस ने खाला अम्बरीन को सलवार उतारने को कहा. उन्होने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और उसे उतार दिया. मुझे उनकी चूत नज़र आई जिस पर हल्के सियाह बाल थे. नज़ीर ने उनकी नंगी चूत पर अपना हाथ फेरा. कई दफ़ा उनकी चूत को सहलाने के बाद उसने उन्हे बेड की तरफ धकेल दिया. जब वो बेड पर लेट गईं तो नज़ीर उनसे फिर लिपट गया और उनके पूरे बदन पर हाथ फेरने लगा. उसने उनकी कमर, चूतड़ों और रानों को मुठियों में भर भर कर टटोला. फिर उनकी मज़बूत टांगें खोल कर उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया.

 

मैंने देखा के वो अपनी ज़बान खाला अम्बरीन की चूत पर फेर रहा था. उसने दोनो हाथ नीचे कर के उनके चूतड़ों को पकड़ लिया और उनकी चूत को चाटने लगा. खाला अम्बरीन क़ाबू से बाहर हो रही थीं और उनके मोटे चूतड़ बार बार उछल जाते थे. वो नज़ीर के जिस्म को हाथ नही लगाना चाहती थीं इसलिये उन्होने अपने हाथ सर से पीछे बेड पर रखे हुए थे. नज़ीर ने उनकी चूत से मुँह उठाया और कहा – चुदक्कड, अभी खलास ना हो जाना. मैं तुझे अपने लंड पर खलास करूंगा. खाला अम्बरीन शर्मिंदा हो गईं. वो ये छुपाना चाहती थीं के अपनी चूत पर नज़ीर की फिरती हुई ज़बान उन्हे मज़ा दे रही थी. मगर वो इंसान थीं और मज़ा तो उन्हे आ ही रहा होगा.

कुछ देर उनकी चूत चाटने के बाद नज़ीर सीधा लेट गया और खाला अम्बरीन से कहा के वो उस का लंड चूसें. उसका मोटा लंड किसी डंडे की तरह सीधा खड़ा हुआ था. खाला अम्बरीन ने इंकार किया तो बोला – क्यों, अपने शौहर का तो मज़े से चूसती होगी. मेरे लंड में कांटे लगे हैं क्या? खाला ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं चूसा तो नजीर बोला – मैं तेरे शौहर की तरह बेवक़ूफ़ नहीं हूं. तेरे से लंड तो चुसवा कर रहूँगा. खाला ने कहा के उन्हें ये नहीं आता. नज़ीर हंस कर बोला – ये कौन सा मुश्किल काम है. तेरे निकम्मे शौहर ने नहीं सिखाया तो मैं सिखा देता हूं. उसने उनके हाथ की बड़ी उंगली अपने मुँह में डाली और उसे चूस कर उन्हे लंड चूसने का तरीक़ा बताया. फिर अपना लंड उनके मुँह की तरफ बढ़ा दिया. खाला अम्बरीन ने कोई चारा न देख बेमन से उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगीं. उन्हे इतने मोटे लंड को मुँह के अंदर कर के चूसने में दुश्वारी हो रही थी. उनके दाँत नज़ीर के लंड को चुभ रहे थे जिस पर उसने उन्हे कहा वो उस के लंड पर ज़बान फेरें, दाँत ना लगाए. वो उस का लंड एहतियात से चूसने लगीं. मुझे उनके मम्मे दिखाई दे रहे थे जिन्हे नज़ीर मुसलसल मसल रहा था.
यह सिलसिला देर तक चलता रहा. फिर नज़ीर ने खाला अम्बरीन को पीठ के बल लिटा दिया और खुद उनके ऊपर आ गया. उसने अपना लंड हाथ में ले कर उसे खाला की जांघों के बीच फिराया. शायद वो लंड से टटोल कर अपना निशाना ढूंढ रहा था. उसे कामयाबी भी मिली. जब उसने अपने कूल्हों को आगे धकेला तो खाला अम्बरीन के मुँह से एक सिसकारी निकल गई. मेरे दिल की धडकनें तेज़ हो गई. नज़ीर ने कहा के तेरी चूत तो बड़ी टाइट है और उनके होठों पर अपना मुँह रख दिया. कुछ लम्हो तक वो ऐसे ही रुका रहा और फिर उसने अचानक उनकी चूत में पूरी ताक़त से घस्सा मारा. उसका अकड़ा हुआ लंड खाला अम्बरीन की चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर चला गया. खाला अम्बरीन ने ज़ोर से ‘ईई…..’ कहा और उनका पूरा बदन लरज़ उठा. नजीर ने फॉरन ही तावातूर के साथ उनकी चूत में घस्से मारने शुरू किये. कुछ देर बाद तो वो खाला अम्बरीन को बड़ी महारत से चोदने लगा. उसके मोटे लंड ने खाला अम्बरीन की चूत को फैला दिया था और जब घस्सों के दोरान वो अपना लंड उनके अंदर करता तो उनकी चूत जैसे चिर जाती. हर घस्से के साथ नज़ीर के भारी टट्टे उनके चूतडों से टकराते. खाला अम्बरीन की टांगें नज़ीर की कमर के दोनो तरफ थीं और उनके पांव मेरी जानिब थे. चूत देते हुए उन के मुँह से मुसलसल ‘ऊऊऊं….. ओह…….आह…’ की आवाजें निकल रही थीं. उनकी आँखें बंद थीं. खाला अम्बरीन की चूत में बड़े ज़ोरदार और ताबड़तोड़ घस्से मारते हुए नज़ीर ने अपने दोनो हाथों में उनके हिलते हुए मम्मे दबोच लिये और अपने घस्सों की रफ़्तार और भी बढ़ा दी. खाला अम्बरीन की साँसें बे-रब्त और उखड़ी हुई थीं.

कुछ देर बाद नज़ीर ने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाल लिया. वो बेड पर लेट गया और खाला अम्बरीन को बोला – चल, अब तू मेरे लंड पर बैठ. खाला ने उसके ऊपर आ कर लंड को हाथ में पकड़ा और उस पर बैठने लगीं तो उनकी नज़रें मुझ से मिलीं. मैंने महसूस किया के ये नज़रें पहली वाली खाला अम्बरीन की नही थीं. आज के दहशत-नाक तजरबे ने मेरे और उनके दरमियाँ एक नया ता’अलूक़ कायम कर दिया था. शायद अब हम पहले वाले खाला-भानजे नही बन सकते थे. खैर खाला अम्बरीन ने नज़ीर के लंड पर अपनी फुद्दी रख दी और उस का लंड अपने अंदर ले लिया. नजीर ने खाला अम्बरीन को कमर से पकड़ कर अपने ऊपर झुकाया और अपनी मज़बूत रानों को उठा उठा कर उनकी फुद्दी में घस्से मारने लगा. खाला अम्बरीन के गदराए और गोल चूतड़ अब मेरी तरफ थे. नज़ीर की रानें बड़ी वर्ज़िशी और ताक़तवर थीं. वो खाला अम्बरीन की चूत में नीचे से पुरजोर धक्के मार रहा था. फिर उस ने उनके चूतड़ों को दोनो हाथों से गिरफ्त में ले लिया और उन्हे पूरी तरह क़ाबू में कर के चोदने लगा. उस के हलक़ से अजीब आवाजें निकल रही थीं. खाला अम्बरीन बड़ी खूबसूरत औरत थीं. मुझे यक़ीन था के नज़ीर ने कभी उन जैसी हसीन औरत को नही चोदा होगा. उसके घस्से अब बहुत शदीद हो गए थे और उस के चेहरे के नक्श बिगड़ गए थे. वो अब शायद झड़ने वाला था. वो खाला को चोदते हुए कह रहा था – निकाल दे अपनी चूत का पानी… हो जा खलास मेरे लंड पर… आ जा!

जब खाला अम्बरीन के झड़ने के कोई आसार नहीं दिखे तो नजीर ने उन्हें अपने लंड से नीचे उतार दिया. उन्हे दोबारा चित लिटा कर वह उनके ऊपर सवार हो गया. उसने उनकी चूत में अपना लंड घुसाया और फिर से धुआंधार चुदाई शुरू कर दी. वो बड़ी बे-रहमी से उनकी चूत ले रहा था. हर घस्से के साथ उस के चूतड़ों के पाट अकड़ते और फैलते थे. उसने खाला अम्बरीन के कन्धों को कस के पकड़ रखा था और उसका लंड तेज़ी से उनकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था. कोई एक मिनिट के बाद नज़ीर किसी पागल भैंसे की तरह गुर्राने लगा. उसका जिस्म अकडा और वो खाला अम्बरीन की चूत में खलास होने लगा. थोड़ी देर बाद वो खाला अम्बरीन के ऊपर से हटा और बेड से उतर गया. खाला अम्बरीन ने जल्दी से अपने कपड़े उठाये और बाथरूम की जानिब चल पड़ीं. उनका ब्रेसियर वहीं बेड पर रह गया. नज़ीर ने उनका ब्रा उठाया और उस से अपने लंड को साफ़ किया. फिर ब्रा उनकी तरफ फैंक दिया लेकिन वो रुकी नहीं और बाथरूम में चली गईं. मेरा खून खोल गया.

नज़ीर भी कपड़े पहन’ने लगा. कुछ देर बाद खाला अम्बरीन ने बाथरूम से बाहर आ कर अपना ब्रा एक चुटकी में उठा कर साइड पर रख दिया. नज़ीर ने हंस कर उनसे कहा – तुम्हारी चूत मेरे लंड का पानी पी चुकी है और तुम अब भी नखरे कर रही हो. फिर मेरी तरफ देख कर वो कहने लगा – यार, तुम्हारी खाला की चूत वाकई मस्त है. तुम ठीक ही इस पर गरम थे क्योंके ये तो माल ही चोदने वाला है. यह बताओ के तुम लोग कब तक यहाँ हो?

में बेवकूफों की तरह खड़ा उसकी बातें सुन रहा था. लेकिन मेरे ज़हन में चूँके खाला अम्बरीन की ज़बरदस्त चुदाई और उनकी बे-इज़ती के मंज़र घूम रहे थे इसलिये में उसे फॉरन कोई जवाब नही दे सका. इस पर वो बोला – मुँह से कुछ फूटो ना. चूतिये की तरह चुप क्यों खड़े हो. मैंने कहा – हम कल वापस चले जायेंगे. वो बोला – में कल तुम्हारी माँ यासमीन से मिलना चाहता हूँ. उसकी तो मैं गांड़ भी मारूंगा. अगर तुम अपनी माँ के दल्ले बनना क़बूल करो तो मैं तुम्हे भी मज़े करवा सकता हूँ.

में पिछले 2 घंटे से ज़िल्लत बर्दाश्त कर रहा था. नज़ीर की मारपीट, गालियों और तंज़िया बातों ने मुझे इंतहाइ मुश्ता’इल कर दिया था. मेरे सामने उसने ज़बरदस्ती खाला अम्बरीन की चूत ली थी. जब उसने मुझे अम्मी का दलाल बनने की बात कही तो में होश-ओ-हवास खो बैठा और मेरे खौफ पर गुस्सा हावी हो गया. मैंने आव देखा ना ताव और सामने मेज़ पर रखा हुआ शीशे का जग उठाया और पूरी ताक़त से उस के मनहूस सर पर दे मारा. जग का निचला मोटा हिस्सा नज़ीर के सर से टकराया. खाला अम्बरीन के मुँह से हल्की सी चीख निकल गई. नज़ीर किसी मुर्दा चूहे की तरह फ़रश पर गिरा और उस के सर से खून बहने लगा.

मैंने फॉरन उस का मोबाइल फोन और चाक़ू उठाये और फिर उसके मुँह पर एक ज़ोरदार लात रसीद की. नज़ीर के मुँह से गूं गूं की आवाज़ बरामद हुई और उस ने अपना सर अपने सीने पर झुका लिया. मैंने चाक़ू खोला तो खाला अम्बरीन ने मुझे रोक दिया और कहा के इस कुत्ते को यहाँ से दफ़ा हो जाने दो. उन्होने नज़ीर से कहा के वो चला जाए वरना में उसे मार डालूंगा. वो मुझ से कहीं ज़ियादा ताक़तवर था लेकिन शायद सर की चोट ने उसे बदहवास कर दिया था. मेरे हाथ में चाक़ू और आँखों में खून उतरा देख कर उसने इसी में केफियत जानी के वहाँ से चला जाए. वो कराहता हुआ उठा और अपने सर के ज़ख़्म पर हाथ रख कर कमरे से निकल गया.

मैंने उसके मोबाइल से अपनी और खाला अम्बरीन की तस्वीर डिलीट की और फिर उस की सिम निकाल ली. अब वो हरामी हमें ब्लॅकमेल नही कर सकता था. मुझे अफ़सोस हुआ के मैंने खाला अम्बरीन के चुदने से पहले ये हिम्मत क्यों नही की. लेकिन वो खुश थीं. उन्होने मुझे शाबाशी दी और कहा के मैंने बड़ी बहादुरी दिखाई. मैंने कहा के ये सब कुछ मेरी वजह से ही हुआ है जिसके लिये में बहुत शर्मिंदा हूँ. वो कहने लगीं के बस अब किसी को इस बात का पता ना चले और जो हुआ वो सिर्फ़ हम दोनो तक ही रहना चाहिये. मैंने कहा में पागल थोड़े ही हूं जो किसी को बताऊंगा.

उन्होने जल्दी जल्दी कमरे के क़ालीन पर गिरा हुआ नज़ीर का खून अच्छी तरह धो कर साफ़ कर दिया और दोबारा बाथरूम में चली गईं. मै हैरान था के मैंने उनके साथ इतनी बुरी हरकत की जिसका नतीजा बड़ा खौफनाक निकला था मगर उन्होने मुझे कुछ नही कहा. मैंने बाहर निकल कर इधर उधर नज़र दौड़ाई लेकिन नज़ीर का कोई पता नही था. मै वापस कमरे में आ गया. जब खाला अम्बरीन बाथरूम से निकल आईं तो हम सोने के लिये लेट गए.

अगली सुबह मैंने होटल के रिसेप्शनिस्ट से पूछा के मुझ से रात को होटल का एक छोटे से क़द का मुलाज़िम दवा लाने के लिये पैसे ले गया था मगर वो वापस नही आया. उस ने मेज़रात की और बताया के उस का नाम नज़ीर था और वो रात को काम छोड़ कर भाग गया. था तो वो पंजाब का मगर सारी उमर कराची में रहा था. शायद वहीं चला गया हो. मैंने राहत की साँस ली.

शादी में मेरा और खाला अम्बरीन का आमना सामना नही हुआ. हम उसी दिन बारात ले कर लाहोर रवाना हुए. वापसी पर में अब्बू की कार में बैठा और खाला अम्बरीन से कोई बात ना हो सकी. रास्ते में हम लोग भेरा इंटरचेंज पर रुके तो वो मुझे मिलीं और कहा के में कल स्कूल से छुट्टी करूँ और उनके घर आऊं लेकिन इस का ज़िक्र अम्मी से ना करूँ. मैंने हामी भर ली. उनके चेहरे पर कोई बहुत ज़ियादा परैशानी के आसार नही थे. वो अच्छे मज़बूत आसाब की औरत साबित हुई थीं वरना इतना बड़ा वाक़िया हो जाने के बाद किसी के लिये भी नॉर्मल रहना मुश्किल था. लेकिन शायद उन्हे इस वाक़िये को सब से छुपाना था और इस के लिये ज़रूरी था के वो अपने आप पर क़ाबू रक्खें. जब उन्होने मुझे अपने घर आने का कहा तो में डरा भी के ऐसा ना हो खाला अम्बरीन अब मेरी हरकत पर गुस्से का इज़हार करें. लेकिन अगर वो ऐसा करतीं भी तो इसमें हक़-बा-जानिब होतीं. मैंने सोचा अब जो होगा कल देखा जाएगा.

रात को में सोने के लिये लेटा तो मेरे ज़हन में हलचल मची हुई थी. खाला अम्बरीन के साथ नज़ीर ने जो कुछ किया उसने मुझे हिला कर रख दिया था और में जैसे एक ही रात में नौ-उमर लड़के से एक तजुर्बेकार मर्द बन गया था. बाज़ तजुर्बात इंसान को वक़्त से पहले ही बड़ा कर देते हैं. खाला अम्बरीन वाला वाक़िया भी मेरे लिये कुछ ऐसा ही था. मुझे भी अब दुनिया बड़ी मुख्तलीफ़ नज़र आने लगी थी.
उस रात जब होटल में नज़ीर खाला अम्बरीन को चोद रहा था तो मैंने फैसला किया था के अब मैं अपने जेहन में खाला के बारे में कोई गलत खयाल नहीं आने दूंगा. मै इस फैसले पर कायम रहना चाहता था. मैंने कुछ ब्लू फिल्म्स देखी थीं लेकिन नज़ीर को खाला की चूत लेते हुए देखना एक नया ही तजुर्बा था जिसने मुझे बहुत कुछ सिखाया था. अब अगर में किसी औरत को चोदता तो शायद मुझे कोई ज़ियादा मुश्किल पेश ना आती. सब से बढ़ कर ये के नज़ीर ने जिस नंगे अंदाज़ में मेरी अम्मी का ज़िक्र किया था उसने मुझे अम्मी के बारे में एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ अंदाज़ में सोचने पर मजबूर कर दिया था.

ये तो में जानता था के अम्मी भी खाला अम्बरीन की तरह एक खूबसूरत औरत थीं लेकिन मैंने हमेशा उनके बारे में इस तरह सोचने से गुरेज़ किया था. आख़िर वो मेरी माँ थीं और में उन पर बुरी नज़र नही डाल सकता था. लेकिन ये भी सच था के अम्मी और खाला अम्बरीन में जिस्मानी ऐतबार से कोई ऐसा ख़ास फ़र्क़ नही था. बल्के अम्मी खाला अम्बरीन से थोड़ी बेहतर ही थीं. उनकी उमर 38 साल थी और वो भी बहुत तंदरुस्त, भरे हुए और भरपूर बदन की मालिक थीं. उनका बदन बड़ा जोबन वाला और कसा हुआ था. इस उमर में औरतें जिस्मानी तौर पर भारी हो जाती हैं और उनका गोश्त लटक जाता है लेकिन अम्मी का बदन तवाना होने के साथ-साथ बड़ा कसा हुआ भी था. अम्मी के मम्मे मोटे और बड़े बड़े गोल उभारों वाले थे जो खाला अम्बरीन के मम्मों से भी एक आध इंच बड़े ही होंगे. अपने गोल और कसे हुए मम्मों को अम्मी हमेशा ब्रा में छुपा कर रखती थीं. वो बड़ा टाइट ब्रा पहनती थीं जो उनके मम्मों को अच्छी तरह बाँध कर रखता था और उन्हे हिलने नही देता था. मैंने उनके बाथरूम में बहुत मर्तबा उनके सफ़ेद और काले ब्रेसियर देखे थे.

चूँके वो कभी अपना ब्रा नही उतारती थीं इसलिये उनके साथ रहने के बावजूद मुझे उनके नंगे मम्मे देखने का इतिफ़ाक़ कम ही हुआ था. जब में 12 साल का था तब मैंने उनके बदन का ऊपरी हिस्सा नंगा देखा था. एक दिन में अचानक ही बेडरूम में दाखिल हो गया था जहाँ अम्मी कपड़े बदल रही थीं. उन्होने सलवार पहनी हुई थी मगर ऊपर से बिल्कुल नंगी थीं. उनके हाथ में एक काले रंग का झालर वाला ब्रा था जिससे वो उलट पुलट कर देख रही थीं. शायद वो उस ब्रा को पहनने वाली थीं.

मेरी नज़र उनके मोटे ताज़े मम्मों पर पड़ी जो उनके हाथों की हरकत की वजह से आहिस्ता आहिस्ता हिल रहे थे. मुझे देख कर उन्होने फॉरन अपनी पुश्त मेरी तरफ कर ली और कहा के में कपड़े बदल रही हूँ. मै फॉरन उल्टे क़दमों बेडरूम से बाहर आ गया. वैसे भी वो अपने बदन के बारे में बड़ी एहतियातमंद थीं और ख़ास तौर पर बाहर के लोगों के सामने हमेशा दुपट्टा या चादर ओढ़े रखती थीं. अम्मी के चूतड़ गोल, गठीले और मांसल थे. उनकी कमर हैरत-अंगैज़ तौर पर पतली थी और ये बात उनके बदन को गैर-मामूली तौर पर पुर-कशिश बनाती थी. मुझे अचानक एहसास हुआ के अम्मी के बारे में सोचते हुए मेरा लंड खड़ा हो गया है. मैंने फॉरन अपने ज़हन से इन गंदे ख़यालात को झटक दिया और सोने की कोशिश करने लगा. मुझे अगले दिन खाला अम्बरीन ने घर बुलाया था मगर में नदमत और खौफ की वजह से अभी उनका सामना नही करना चाहता था. मैंने सुबह स्कूल जाने से पहले उन्हे फोन कर के बताया के स्कूल में मेरा टेस्ट है में आज उनके घर नही आ सकता.

स्कूल में मुझे खाला अम्बरीन का बेटा राशिद मिला. वो भी दसवीं में ही पढ़ता था मगर उस का सेक्शन दूसरा था. उससे मिल कर मेरा एहसास-ए-जुर्म और भी बढ़ गया. वो मेरा कज़िन भी था और दोस्त भी लेकिन मैंने उसकी माँ को चोदने की कोशिश की थी. मेरी इस ज़लील हरकत की वजह से ही नज़ीर जैसा घटिया आदमी उसकी माँ की चूत हासिल करने में कामयाब हुआ था. खैर अब जो होना था हो चुका था.

उस दिन मेरी जेहनी हालत ठीक नही थी लहाज़ा मैंने आधी छुट्टी में ही घर जाने का फ़ैसला किया. हम दसवीं के लड़के सब से सीनियर थे और हमें स्कूल से निकलने में कोई मसला नही होता था. मै खामोशी से स्कूल से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा. घर पुहँच कर मैंने बेल बजाई मगर काफ़ी देर तक किसी ने दरवाज़ा नही खोला. तक़रीबन 11.30 का वक़्त था और उस वक़्त घर में सिरफ़ अम्मी होती थीं. अब्बू सरकारी मुलाज़िम थे और उनकी वापसी शाम पाँच बजे होती थी. मेरे छोटे बहन भाई तीन बजे स्कूल से आते थे. खैर कोई 6-7 मिनिट के बाद अम्मी ने दरवाज़ा खोला तो में अंदर गया.

अम्मी मुझे देख कर कुछ हैरान भी लग रही थीं और बद-हवास भी. लेकिन एक चीज़ का एहसास मुझे फॉरन ही हो गया था के उस वक़्त अम्मी ने ब्रा नही पहना हुआ था. जब हम दोनो दरवाज़े से अंदर की तरफ आने लगे तो मैंने अम्मी के दुपट्टे के नीचे उनके मम्मों को हिलते हुए देखा. जब वो ब्रा पहने होती थीं तो उनके मम्मे कभी नही हिलते थे. ऐसा भी कभी नही होता था के वो ब्रा ना पहनें. मैंने सोचा हो सकता है अम्मी नहाने की तय्यारी कर रही हों. खैर मैंने उन्हे बताया के मेरी तबीयत खराब थी इसलिये जल्दी घर आ गया.

अभी में ये बात कर ही रहा था के एक कमरे से राशिद निकल कर आया. अब हैरानगी की मेरी बारी थी. मै तो उसे स्कूल छोड़ कर आया था और वो यहाँ मोजूद था. उसने कहा के वो खाला अम्बरीन के कपड़े लेने आया था. उस का हमारे घर आना कोई नई बात नही थी. वो हफ्ते में तीन-चार बार ज़रूर आता था. मै उसे ले कर अपने कमरे में आ गया जहाँ अम्मी कुछ देर बाद चाय ले कर आ गईं. मैंने देखा के अब उन्होने ब्रा पहन रखा था और उनके मम्मे हमेशा की तरह कोई हरकत नही कर रहे थे. मुझे ये बात भी कुछ समझ नही आई. कोई आध घंटे बाद राशिद चला गया.

मुझे ये थोड़ा अजीब लगा – राशिद का स्कूल से आधी छुट्टी में हमारे घर आना और मेरे आने पर अम्मी का परेशां होना और फिर उनका बगैर ब्रा के होना. वो तो शदीद गर्मी में भी कभी अपने मम्मों को खुला नही रखती थीं लेकिन आज राशिद के घर में होते हुए भी उन्होने ब्रा उतारा हुआ था. पता नही क्या मामला था. मुझे ख़याल आया के कहीं राशिद मेरी अम्मी की चूत का ख्वाहिशमंद तो नही है. आख़िर में भी तो खाला अम्बरीन पर गरम था बल्के उन्हे चोदने की कोशिश भी कर चुका था. वो भी अपनी खाला यानी मेरी अम्मी पर गरम हो सकता था. मगर अम्मी ने अपने मम्मों को खुला क्यों छोड़ रक्खा था? क्या वो क्यों राशिद को अपनी चूत देने को तैय्यार होतीं? मेरे ज़हन में कई सवालात गर्दिश कर रहे थे.

लेकिन फिर मैंने सोचा के चूँके में खुद खाला अम्बरीन को चोदना चाहता था और मेरे अपने ज़हन में गन्दगी भरी हुई थी इसलिये मैं राशिद और अम्मी के बारे में ऐसी बातें सोच रहा था. मुझे यक़ीन था के अगर वो अम्मी पर हाथ डालता भी तो वो कभी उसे अपनी चूत देने को राज़ी न होतीं. वो बड़े मज़बूत किरदार की औरत थीं. मै ये सोच कर कुछ पूर-सकूँ हो गया लेकिन मेरे ज़हन में शक ने जड़ पकड़ ली थी. मैंने सोचा के अब मैं राशिद पर नज़र रखूंगा.

हमारे घर मैं सदर दरवाज़े के अलावा एक दरवाज़ा और भी था जो ड्रॉइंग रूम से बाहर गली में खुलता था. यहाँ से मेहमानों को घर के अंदर लाया जा सकता था. मैंने इस दरवाज़े के लॉक की चाबी की नक़ल बनवा कर रख ली. स्कूल में अब में राशिद की निगरानी करने लगा. कोई चार दिन के बाद मुझे पता चला के राशिद आज स्कूल नही आया. मेरा माथा ठनका और में फॉरन अपने घर पुहँचा. ड्रॉइंग रूम के रास्ते अंदर जाने में मुझे कोई मुश्किल पेश नही आई. अंदर अम्मी और राशिद के बोलने की हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं. वो दोनो बेडरूम में थे. मै दबे पांव चलता हुआ बेडरूम की खिड़की के नीचे आ गया जिस पर अंदर की तरफ पर्दे लगे थे लेकिन बीच में से परदा थोड़ा सा खुला था और तक़रीबन दो इंच की दराज़ से अंदर देखा जा सकता था. मैंने बड़ी एहतियात से अंदर झाँका.

मैंने देखा के राशिद बेडरूम में पड़ी हुई एक कुर्सी पर बैठा हुआ था और चाय पी रहा था. वो स्कूल के बारे में कुछ कह रहा था. अम्मी सामने दीवार वाली अलमारी से कुछ निकाल रही थीं. उनकी पतली कमर के मुक़ाबले में मांसल चूतड़ बड़े नुमायाँ नज़र आ रहे थे. उनका तौर तरीक़ा उस वक़्त काफ़ी मुख्तलीफ़ था. उनके चेहरे पर वो ता’असूरात नही थे जो मैंने हमेशा देखे थे.

कुछ देर इधर उधर की बातों के बाद राशिद ने कहा – खालाजान, अब तो मुझे चोद लेने दें. मैंने स्कूल वापस भी जाना है.

अम्मी ने जवाब दिया – राशिद, आज वक़्त नही है अभी शाकिर की फूफी ने आना है और उसके साथ कुछ और औरतें भी आने वाली हैं. तुम कल आ कर सकून से सब कुछ कर लेना.

राशिद बोला – खालाजान, अभी तो घर में कोई नही है हम क्यों वक़्त ज़ाया करें? मै आज जल्दी खलास हो जाऊंगा.

ये बातें मेरे कानो में पहुँचीं तो मेरे दिल-ओ-दिमाग पे जैसे बिजली गिर पड़ी. इन बातों का मतलब बिल्कुल साफ़ था. राशिद ना सिर्फ मेरी अम्मी को चोद रहा था बल्के इस में अम्मी की भी मर्ज़ी थी. वो अपने भानजे से चुदवा रही थीं जिसे उन्होने गोद में खिलाया था. अम्मी और खाला अम्बरीन की शादी एक ही दिन हुई थी और मेरी और राशिद की पैदाइश का साल भी एक ही था. मै बेडरूम की दीवार के सहारे ज़मीन पर बैठ गया. हैरत, गुस्से, शर्मिंदगी और नफ़रत के मारे मेरी आँखों में आँसू आ गए. मै कुछ देर दीवार के साथ इसी तरह सर झुकाय बैठा रहा. फिर मैंने हिम्मत कर के दोबारा अंदर झाँका.

उस वक़्त राशिद कुर्सी से उठ कर अम्मी के क़रीब पुहँच चुका था जो बेड के साथ पड़ी हुई छोटी मेज़ साफ़ कर रही थीं. उस ने पीछे से अम्मी की पीठ के साथ अपना जिस्म लगा दिया और आगे से उनके मम्मों और पेट पर हाथ फेरने लगा. अम्मी ने मेज़ साफ़ करनी बंद कर दी और मेज़ पर अपने दोनो हाथ रख दिये. फिर राशिद एक हाथ से उनके मम्मों को दबाने लगा जबके दूसरा हाथ उसने उनके मांसल चूतड़ों पर फैरना शुरू कर दिया.

अम्मी ने गर्दन मोड़ कर उसकी तरफ देखा. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी जैसे उन्हे ये सब बड़ा सकूँ और लुत्फ़ दे रहा हो. वो थोड़ा सा खिसक कर साइड पर हो गईं और बेड की तरफ आ कर उस के ऊपर दोनो हाथ रख दिये. राशिद उनके मम्मों और गांड़ से खेलता रहा. अम्मी ने अपना हाथ पीछे कर के राशिद के लंड को पतलून के ऊपर से ही पकड़ लिया. साफ़ नज़र आ रहा था के ये सब कुछ उन्हे अच्छा लग रहा था.

 

राशिद ने अम्मी के मम्मों और कमर पर हाथ फेरते फेरते सलवार के ऊपर से ही उनके चूतड़ों के बीच में अपनी उंगली डाल कर आगे पीछे हिलाई. अम्मी के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली. राशिद ने पतलून के बावजूद खड़े खड़े ही अम्मी की गांड़ के ऊपर दो चार घस्से लगाए और उन्हे अपनी तरफ मोड़ कर चूमने लगा. अम्मी कुछ देर पूरी तरह उस का साथ देती रहीं. वो अपना मुँह खोल खोल कर राशिद के होंठ चूस रही थीं. लेकिन फिर उन्होने अपना मुँह पीछे कर लिया और बोलीं – राशिद, ज़ियादा वक़्त नही है. तुम अपना काम शुरू करो और जल्दी से फ़ारिग़ होने की कोशिश करो.

अम्मी को इस अंदाज़ में बातचीत करते सुन कर में हैरान रह गया. अम्मी के लहजे में थोड़ी सी सख्ती थी जिसे महसूस कर के राशिद ने अपनी पतलून खोल कर नीचे की और अंडरवेर में से उसका अकड़ा हुआ लंड एकदम बाहर आ गया. उस का लंड ख़ासा लंबा मगर पतला था. उसके लंड का सुपाड़ा सुर्खी-माइल था. अम्मी ने उस के लंड की तरफ देखा और उसे हाथ में ले लिया. राशिद उनकी क़मीज़ का दामन उठा कर मम्मों तक ले गया और फिर उनका ब्रा बगैर खोले ही ज़ोर लगा कर उनके मम्मों से ऊपर कर दिया. अम्मी के गोल-गोल और गोरे मम्मे उछल कर बाहर आ गए. उनके निप्पल तीर की तरह सीधे खड़े हुए थे जिससे अंदाज़ा लगाया जा सकता था के वो गरम हो चुकी हैं.

राशिद ने अम्मी के मोटे ताज़े मम्मे हाथों में ले लिया और उन्हे चूसने लगा. अम्मी ने अपनी आँखें बंद कर के गर्दन एक तरफ मोड़ ली और राशिद के कंधे पर हाथ रख दिया. राशिद उनके मम्मों को हाथों में भर भर कर चूसता रहा. वो जज़्बात में जैसे होश-ओ-हवास खो बैठा था. दुनिया से बे-खबर वो किसी प्यासे कुत्ते की तरह मेरी अम्मी के खूबसूरत मम्मों को चूस चूस कर उनसे मज़े ले रहा था. कुछ देर बाद अम्मी ने राशिद को ज़बरदस्ती अपने मम्मों से अलग किया और एक बार फिर उसे कहा के वो जल्दी करे क्योंकि मेहमान आते ही होंगे.

राशिद ने अम्मी की सलवार का नाड़ा खोल दिया. अम्मी की सलवार उनके पैरों में गिर गई. वो फुर्ती से अम्मी के पीछे आया और उनके चूतड़ों के ऊपर से क़मीज़ उठा कर उनकी कमर तक ऊँची कर दी. अम्मी के मोटे और गोल चूतड़ नज़र आने लगे. राशिद ने अपना लंड अम्मी की चूत के अंदर करने की कोशिश की मगर कामयाब नही हुआ. उस ने अपने लंड पर ऊपर नीचे दो तीन दफ़ा हाथ फेरा और उस का सुपाड़ा अम्मी के चूतड़ों के बीचों बीच रख कर हल्का सा घस्सा मारा.

कोशिश के बावजूद राशिद के लंड को इस दफ़ा भी अम्मी की चूत में दाखिला ना मिल सका. अम्मी ने कहा – ऐसे क्या कर रहे हो? थूक लगा कर डालो. उन्होने अपने पैरों में पड़ी सलवार से टांगें बाहर निकलीं और एक पैर से उसे थोड़ा दूर खिसका दिया. फिर वो सामने बेड पर हाथ रख कर थोड़ा सा और नीचे झुक गईं ताके राशिद को लंड उनकी चूत में घुसाने के लिये बेहतर एंगल मिल सके. राशिद ने अपने हाथ पर थूका और अम्मी की टांगें खोल कर उनकी चूत पर अपना थूक लगाया. राशिद का हाथ उनकी चूत से लगा तो अम्मी के मुँह से ऊ.. ऊ.. की आवाज़ निकली और उनके चूतड़ थरथरा कर रह गए.

राशिद ने अपने लंड पर भी थूक लगाया और उसे चूत से सटा दिया. अम्मी ने थोड़ा पीछे हो कर उस का लंड अपनी चूत में ले लिया. थोड़ी कोशिश के बाद राशिद अपना लंड पूरी तरह अम्मी की चूत के अंदर ले जाने में कामयाब हो गया. अम्मी ने आँखें बंद कर लीं. अब राशिद ने उनकी चूत में घस्से मारने शुरू किये. चुदवाते हुए अम्मी का मुँह हल्का सा खुला हुआ था और राशिद के धक्कों की वजह से उनका पूरा बदन हिल रहा था. मुझे अम्मी के चूतड़ आगे पीछे होते नज़र आ रहे थे. हर घस्से के साथ राशिद की रानों का ऊपरी हिसा अम्मी के चूतड़ों से टकराता और उनके खूबसूरत बदन को एक झटका लगता. क़मीज़ के ऊपर से उनके मम्मे हुए नज़र आ रहे थे. राशिद ने आगे से क़मीज़ के अंदर हाथ डाल कर अम्मी के बे-क़ाबू मम्मे पकड़ लिये और अपना लंड उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा.

मुझे ना जाने क्यों उस वक़्त नज़ीर का ख़याल आया. मैंने अपना मोबाइल जेब से निकाला और अम्मी और राशिद की चुदाई करते हुए कई तस्वीरें ले लीं. राशिद चुदाई में नज़ीर की तरह तजुर्बेकार नही लग रहा था. चंद मिनट के घस्सों के बाद उसका जिस्म बे-क़ाबू होने लगा. उसने अम्मी की कमर को पकड़ लिया और बुरी तरह अकड़ने लगा. मुझे लगा कि उसका काम हो चुका था. जब राशिद ने अपना लंड अम्मी की चूत से बाहर निकाला तो अम्मी ने झट से फ़रश से अपनी सलवार उठा कर पहन ली. राशिद भी अपनी पतलून उठा कर बाथरूम में घुस गया. मै खामोशी से उठा और ड्रॉइंग रूम के रास्ते घर से बाहर निकल गया.

वहाँ से निकल कर में सड़कों पर आवारागर्दी करता रहा. एक बार फिर में शदीद जेहनी उलझन का शिकार था. इस दफ़ा तो मामला खाला अम्बरीन वाले वाकये से भी ज़ियादा संगीन था. अम्मी और राशिद के ता’अलुक़ात का इल्म होने के बाद मेरी समझ में नही आ रहा था के मुझे क्या करना चाहिये. क्या अबू से अम्मी की इस हरकत के बारे में बात करूँ? क्या अम्मी को बता दूँ के मैंने उन्हे राशिद से चुदवाते हुए देख लिया है? क्या खाला अम्बरीन के इल्म में लाऊं के उनका बेटा अपनी खाला यानी उनकी सग़ी बहन को चोद रहा है? क्या राशिद का गिरेबां पकड के पूछूं कि वो मेरी माँ को क्यों चोद रहा था? मेरे पास फिलहाल किसी सवाल का जवाब नही था.



loading...

और कहानिया

loading...



HDFC 2005 का ससुर ने बहु को चोदा देवर ने भाभी को चोदाचूसने में नमकीन क्यों लxxx chudai kahani hindixxxbabi divar historistories of aunty sexहिन्दू औरत मुस्लिम लुंड की दीवानी स्टोरीजxxx sex kahani dr didiमई बफ के साथ सेक्स कर चुकी हूं मुझे चूत टाइट करना ह कहानी हिन्दीbhabi or bateja xxx video sel torचुत चुदई सेकस काहनी हिनदी मेroom dikhane ke bahane chodaरंडी चुड़ै मुता ब्लैक होटल में अडोसchudai ki latest urdu storieshar roj chodo ge mujhe sex storyPela aisa ki tatti nikal gayi xnxxकोई देख रहा है चुदाई की कहानियांmosi ki ladki anju ki chudai videox vediyo desi indiyan moti lambiholi xxx story baap betibahan ko group me chudawate hui dekha story kahaniantiyon ke xxx cuhudai kahaniyan ful hinde m अपने बास को घर में बुलाकर चुत को चोदा कहानी याsex ki kahani jise sunte hi mera khada ho jayeकुवारी choot की गर्मी hindisexkahaniबुर मिली खेत में नौकरानी निव स्टोरी हिन्दी सेक्सिkamsutrahindicomsexsasur Babu xxxii Hindi kahanitamana.vatha.sexual.photadasi hindi seixy hot kahhni auntysxestoritamilxxx sex 12हिन्दीwww.momandsonxxxstory.comsex buaa bur xxxantrvasna . Com hindi me aabu bete ki chodai ki kahanechudai kahani jabarjast 17salvavi.ko.devar.garmara.xxx1ghnte movise xxx HD hindi Antarvasna barish me blackmail karke chodamadahosh masti xxxl VTAntarvasna.juli di.cg.inBAHAN.NE.KUTTA.SE.GAND.KAHANIseksca kahaniyaमयूरी की चुदाई की कहानीkahani bara penti pahan kar parosi ko dikhaidaysi cuht may gajar kaa sax hindi sax kaahnihindi sex story रंडी की चुदाईdidi ka xxxxxx kahani mp3hindysexystoryxxxma ne mera kwara land liyaoffice me Saath काम करन करने वाली pooja Naam Ki ladki ki open bur छुड़ाई की खानी हिंदी methakur ji ne jbrdsti chudai kahanimaa ko barish me choda new storeचूदाई फिल्म लंड़ चूसते हूई भाई बहनrikshe wale ne muje khub choda. Gr pemeri hot and sexy didi ke bade bade chucheकुवारी।छोरे।की।सील।तोड़।चुदाईजवाई अपनी सास को पलटकर चोदा डाउनलोडबहन को फुसलाकर चोदाई की कहानियोंbehan.ko.bhai.ne.jabardasti.xxx.kahani.desiबडी की चुदाई वChut kahani hot hot xxx9Inch land storymujhe zaberdasti choda or kafi din tak nanga rakha hot kahaniजगल में एक लड़की को ग्रुप बनाकर चोदातीनों छेद मे लंडLAMBA LAND HINDI NAF XXxxcसेकसी कहानी जबरजती की चाची की हिदी मे 2018 comantar vasnasex bidhwa maamai jabardasti chudai sexy storysex desi chuchi chabh ke onlinetagde lund se chudai ki sexy kahaniya