खेल खेल में करदी चुदाई
हाई दोस्तों, हाई दोस्तों मेरा नाम विकास है और मैं अभी कोलकाता में रह रहा हूँ | मैं पहले से हिंदी सेक्स कहानी पढ़ने और लिखने का शौक़ीन हूँ सो आज एक और कथा आपके सामने प्रस्तुत करना चाहूँगा | यह कहानी २ साल पुरानी है जब मैं १० वि कक्षा में था | मैंने अपनि कई प्रेमिकयों के साथ उस उम्र में सेक्स के मज़े लिए थे पर यारों एक कच्ची कली के साथ सेक्स करने का मज़ा ही कुछ और है | मैं शाम को अकसर कुछ छोटे – छोटे बच्चों के साथ बातें करता और खेला करता था जिससे मेरा मन लगा रहता था | वो बच्चे उस समये ६ वि कक्षा में पढते थे पर उनमें से रेशमी नाम की लड़की मुझे बहुत प्यारी और सुन्दर लगती थी जिसे देख के मैं कह सकता था की जब वो अपनी जवानी में कदम रखेगी तो कोई भी लड़की उसका मुकाबला नहीं कर पाएगी |मुझे याद है एक दिन हम मेरे ही घर में डॉक्टर – डॉक्टर खेल रहे थे जिसमें मैं डॉक्टर बना था और बाकी सारे बच्चे मरीज | पर कुछ ही देर में अचानक घर की लाइट चली गयी और अँधेरा हो गया | खेल के हिसाब से सब बच्चे मेरे पास बारी – बारी इलाज करने आ रहे थे और मैं उनके साथ कुछ ना कुछ मस्ती करता हुआ उन्हें हंसा रहा था पर जब लाइट गयी तो मेरे सामने रेशमी थी | जब हमें हलकी सी रौशनी मिली तो पता चला सब बच्चे नीचे भाग चुके थे | मेरा मन भी अब कुछ और खेलने को करने लगा | तभी मैंने रेशमी से हँसते हुए कहा, “चलो. . हम अपना खेल ज़ारी रखते हैं . .थोड़ी ही देर में लाइट आ जाएगी” जबकि मैं जानता था की कम से कम १ घंटे तक तो लाइट पक्का नहीं आएगी | मैंने रेशमी को बिस्तर पर लेट जाने को कहा और उसके उप्पर हाथ फेरते हुए डॉक्टर बनने का नाटक करने लगा |रेशमी शान्ति से लेटे हुई हँसती रही तभी मैंने उसके फ्रोग(कपड़े) को उप्पर उठाना शुरू कर दिया जिसपर पहले तो वो थोड़ा घबरायी पर फिर शांति से लेटी रही है | अब जब मैंने उसके फ्रोग को उप्पर किया तो उसके दो चुचे मुझे मस्त दो गोरी – गोरी टेनिस गेंद की तरह लगने लगे | अब मैंने उसे गरम करने के लिए के उसके पेट पर अपने हाथ को फिराते हुए उसके चुचों पर पहुँचा और जब मैं उसके चूचकों के साथ खेलने लगा तो वो सिसकियाँ भरने लगी |उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की उसके साथ हो क्या रहा है, उसकी हंसी भी ना जाने कहाँ छुप गयी थी बस जो हो रहा था वो उससे काफ़ी डर सी गयी थी | अब मैं उसको चुमते हुए उसके छोटे – छोटे होठों को चूस रहा था | मेरी उत्तेजना बढ़ी तो अब मैंने उसके तनी हुए चुचियों को पिने लगा साथ ही उसके रसीले होठों को भी चूस रहा था | अब मैंने अपने एक हाथ को सरकाते हुए उसके छोटी सी चड्डी की तरफ ले आया और उसे नीचे की और खींच कर उसकी चुत के इलाके पर घुमाने लगा |उसके भूरे – भूरे चुत के बाल भी जैसे तैयार थे चुत को चुदवाने लिए | कुछ देर में मैंने पहले एक फिर एक से बनी दो उँगलियों को उसकी चुत में फिराने लगा जिससे वो सांप की तरह फुंकारती हुई कराहने लगी |मैंने समय की टिकटिकी को समझते हुए अब अपने लंड को उसकी चुत के छेद पर टिकाते हुए अपने लंड को जल्दबाजी में जोर का धक्का लगाया जिससे मेरा लंड एक बार में ही उसकी चुत में पार हो चला | उसका सारा खून ऐसे गिरने लगा जैसे किसी की दूध की थैली फट गयी हो | मैंने फ़ौरन से अपनी बिस्तर की चादर को उतारा और उसका सारा खून पौंछ लिया | मैंने अब उसकी चुत में थूका गिराते हुए अंदर लंड को देने लगा जिससे उसको दर्द तो खूब हुआ पर मैंने एक हाथ से मुंह को भींचे रखा और अपनी रफ़्तार बढ़ाते हुए लंड को उसके चुत में आगे – पीछे करने लगा |अब तो रेशमी की आँखों पर भी नशा छा गया था और उसकी चुत भी पानी छोड़कर पूरी गीली हो चली थी इतने में ही मैंने भी लंड की पिचकारी छोड़ दी जिससे उसके भूरे चुत के बाल मानो बाढ़ में बह गएँ हो | हम ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और मैंने मोमबत्ती जलाकर रेशमी को कुछ खाने को दिया जिससे वो कुछ और सामान्य हो गयी और इतने में लाइट भी आ गयी | हम सह्कुशल काम – क्रीडा की यात्रा पूरी कर चले थे | मैंने अपनी उस चादर को छुपा दिया और एक दिन मौका पाते ही फेंक दिया | अब मेरी रेशमी बढ़ी हो गयी है और जैसा की मैंने आपको बताया था उसकी जैसे माल आपको पुरे कोलकाता में नहीं मिलेगी | रेशमी खिलकर फूल बन चुकी हैं और हम हफ्ते में तीन दिन अपने तन की गर्मी आपस में पक्का बाँटते हैं |
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nice stori