चने के खेत में चूत की आमद
हाये दोस्तों आज मैं कहानी लाया हूं फिर कंट्री साईड मतलब गांव देहात से जहां अक्सर लंड और चूत के खेल खेतों में खेले जाते हैं। मैं एक किसान का बेटा हूं इसलिए हमारे घर में खेती होती है और जब कभी मैं गांव जाता हूं खेतों पर अवश्य जाकर थोड़ा समय बिताता हूं। अक्सर गांव की हसीन मल्लू आंटियां, नवयौवनाएं और भाभियां खेतों में जाती हैं कुछ न कुछ काम करने के लिए और यहां तक कि लोटा लेकर शौच पर भी निकल जाती हैं। इसलिए गांड देखने और चूत मारने का अच्छा जुगाड़ रहता है। इस बार मेरे यहां चने की खेती हुई थी और चना की खास निगरानी करनी पड़ती है। रात को महिलाएं जाकर चने के खेत में अक्सर शौच के बहाने बैठ जाती हैं और उखाड़ के अपने पेटिकोट में छुपा के चना ले जाती हैं। ये बात सिर्फ देहात के लोग ही जान सकते हैं। इसलिए मैं शिकार की तलाश में टार्च लेकर वहीं खेत पर ही बैठा था छुप के। यही कोई रात के आठ बजे थे कि एक साया मुझे चने के खेत में आता दिखा। वो घुप्प अंधेरे में साफ न दिखा पर जैसे ही वो जाके खेत में बैठा मैं हलचल की टोह लेने लगा।
लंड तो मैंने पहले से ही पिंजा के बैठ गया था, अब बस एक कड़क योनिद्वार चाहिए था जिसको पेल कर मैं जीवन सफल कर लेता। आखिर में मुझे वो सब्जेक्ट मिल गया था, अब पता लगना था कि वो महिला है कि पुरुष। दस मिनट तक इधर उधर करने के बाद वो साया उ ठा और निकलने लगा खेतों से। अब मुझे रंगे हाथ पकड़ना था उसे। इसलिए मैं धीरे धीरे उसके तरफ बढा और सामने से टार्च जला दिया। ये क्या ये तो गांव की सबसे सुघड़ हसीना कमला थी। उसकी जवानी के चर्चे से तो कोई भी खाली न था। अब वो मुझे देखकर मुस्कराई और बोली ” शहरी बाबू बहुत धरना दे रहे हैं।” मैने कहा – ऐसे काम नहीं चलेगा, लहंगे में क्या छुपा रखा है। तो वो मुस्करा के बोली – इतना भी नहीं पता कि हसीन औरत के लहंगे में क्या होता है? चूत के अलावा? मेरा लंड सन्ना रहा था। टार्च की धीमी रौशनी में भी मुझे उसका दमकता हुस्न लाचार करता नजर दिखाई दिया। मैने कहा कि सुन पहले मैं चेक करुंगा कि तूने चना तो नहीं छुपा रखा है। वो बोली आओ चेक कर लो। और मैं ढीठ सा उसके पास जाके लहंगा उठा के टार्च जला दिया उसकी टांगों के बीच में।
उसने चना अपने पैरों के बीच दबा रखा था और मेरे सर के अंदर लहंगे में घुसते ही उसने पैर किनारे कर लिये और चना मेरे सर पे गिर गया। वो हंस के बोली ले चूत से चना की पैदावार होने लग गयी। मैं अवाक था कि उसने इतनी अश्लील बात कैसे कर दी। फिर बोली – ” तेरे को आज खेतों की तरफ निकलते देख कर आज मैं शहरी बाबू से मिलने चली आयी।
जमींदार लंड को मिली चूत
सच में देखूं तो तू कैसा आशिक निकलता है मेरा। वैसे मेरे पीछे पूरे गांव वाले पड़े हैं पर दिल तो मैं किसी खास को ही दूंगी।” मैं अवाक था उसके इस नये पैंतरे से। मैने उसको पकड़ के गोद में उठा लिया और खुशी के मारे नाचने लगा। उसने मेरे सर को पकड़ कर एक चुम्मा दिया। तो आज मुझे इस हसीन लौंडिया की जवानी ईनाम में मिली थी। मैंने उसे वहीं मेंड पर लिटा दिया। उसकी ओढनी बिछा दी और अपनी लुंगी खोल कर उसके सिरहाने रख दिया। वो नंगे पांव थी, मैने टार्च जला के बगल में रख दिया
हुस्न को देखते हुए उसका लुत्फ लेने में जो मजा है वो अंधेरे में कहा। वैसे भी जब लौंडिया नमकिन हो तो लाईट जला के ही चोदना चाहिए। वो लेट गयी। मैने उसके चोली का बटन खोला। एक दम सुघड़ गोल गोल अक्षत चूंचे हाथ में सीधे आ गये। ये तो वैसे ही है जैसे चिंदी चोर के हाथ में खजाना आ जाए। मैने सीधा उसके स्तनों को मुह में लेकर हाथों से दबाना शुरु किया। वो हल्के हल्के कूक रही थी, आह्ह्ह!! आह्ह्ह!। उसका यह मूक समर्थन मुझे उत्साहित कर रहा था और मैने उसके स्तनों को ऐसे पिया जैसे हिरन का छावना पहली बार स्तनपान कर रहा हो। वो एक दम मदमस्त थी, समर्पित सब कुछ लुटाने को तैयार। मैं उसके उपर था और उसने अपनी जांघें पसार रखीं थीं, अपना आनंदधाम खोले मेरे परम लंड के अंदर आने के इंतजार में। मैं उसके होटों का रसपान कर रहा था और वो जीभ से मेरी जीभ में कुछ रस्से उलझा रही थी। मेरी उत्तेजना चरम पर थी कि वो उठ कर बैठ गयी। मुझे खड़ा होने को कहा और मेरा लंड लेकर अपने होटों के बीच रसपान कराने लगी। आह्ह!! इतनी तीव्रता से वो लंड का वायु चूसन कर रही थी कि मुझे लगा मेरे प्राण हर लेगी।
मैने उसके बाल उत्तेजनावश खींचने शुरु किये और वो मेरा आंठों इंच का लंड अपने हलक में उतार गयी। और फिर खुद ही मुह से धक्के मारते हुए वो मुझे मुखमैथुन का मजा देने लगी। पांच मिनट तक ऐसा करके उसने मुझे अपनी जांघों के बीच आमंत्रित किया। वो चाहती थी कि मैं उसका उधार चुका दूं। मैने अपनी जीभ उसकी चूत की गलियों में उपर नीचे फिसलाते हुए उसकी भगनाशा को अपने नासिकाग्र से रगड़ना जारी रक्खा और दोनों हाथों से गांड को दबाते हुए उसके नाजुक नितंबों को क्षत करता रहा अपने नाखूनों से। हम दोनों ही परम उत्तेजना पर थे और उसके चूत के कामरस से भर जाने पर मैने अपने लिंग को उस आनंद सागर में उतार दिया। उसको अपनी गोद में बिठा स्तनों को पीते हुए अपने लंड को उसके चूत के छेद पर रख कर मैने उसके नितंबों को सहारा दिया। जिससे कि उसे उपर नीचे करने में आसानी रहे।
उसने अपनी बाहें मेरे कंधे पर रख कर उपर नीचे करना शुरु किया और फिर मेरा लंड उसके चूत की गहराई में उतरता चला गया। पल पल हर पल ये पोजिशन सबसे उत्तम मानी जाती है और लंड उसके चूत की अथाह गहराई में तैरता हूआ गर्भाशय के मुहाने पर चोट कर रहा था। वो अतिआनंद में कराहती हुई मेरा लिंग वर्धन और उत्साह वर्धन दोनों ही कर रही थी। मैने गति और बल दोनों को ही लगातार बढाते हुए उसे आधे घंटे तक चोदा। वो झड़ी तो मेरी बाहों में ढेर हो गयी। मैने उसे लिटा कर अपना लंड उसके मुह में पेलना शुरु किया और उसके मुह में टाईट जाता लंड जल्दी ही उसके हलक से होते हुए आहार नलिका में अपने प्रोटीन द्रव का निस्तारण कर दिया। वो कहानी कमला की चूत की आप सब दुहराईये कभी जाड़ों में गांव जाईये, देसी लड़कियों से बात करिये ,चूत मारिये और यहां क्लिक करिए।
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