चुदासी औरतो की अन्तर्वासना
मैं उन दिनों बी एस सी प्रथम वर्ष में था. बात उस समय की है जब कॉलेज में छुट्टियां पड़ी. मैं अपनी मौसी के यहाँ चला गया. मौसी के एक ही लड़की थी. कविता. कविता मेरे से चार साल बड़ी थी. मौसी और मौसा जिस दिन मैं पहुंचा उसके अगले दिन एक शादी में जानेवाले थे.
मैंने देखा कि कविता लगातार मुझे छेड़े जा रही थी. मैं जितना बचता वो उतना ही ज्यादा छेडती. वो कभी मेरे गालों पर चिकोटी काटती तो कभी मुझे गुदगुदी कर देती. मैं उसके इस शरारत से परेशान हो गया. अगले दिन मौसा और मौसी सवेरे ही शादी के लिए चले गए. वे अगले दिन सवेरे ही लौटने वाले थे. मैं और कविता अकेले रह गए.
कविता अपने कमरे में थी और मैं बाहर टी वी देख रहा था. कुछ देर के बाद मैंने देखा कि कविता बहुत ही कम लम्बाई का हाफ पैंट और ऊपर एक स्पोर्ट्स ब्रा पहनकर आई. वो फ्रूट क्रीम खा रही थी. वो मेरे सामने सोए पर बैठ गई. मुझे उसका व्यवहार सही नहीं लग रहा था. कविता लगातार मुझे देखकर मुस्कुराए जा रही थी. मैं डर रहा था. अब कविता ने अपनी टांगें सेन्ट्रल टेबल पर रख दी और मेरे सामने ही फैला दी. उसकी टांगें बहुत गोरी थी और चिकनी थी.
वो ऐसे चमक रही थी जैसे उन पर बहुत सारा तेल लगा था. मैं उन्हें देखने लगा. कविता को शायद अपनी जीत का अहसास हुआ. वो उठी और मेरे पास कर मेरे ही सोफे की सीट पर बैठ गई. मैं अपने में सिमटा तो वो मेरे से एकदम सट कर बैठ गई. अब इसके बाद उसने मुझे कसकर पकड़ लिया. मैं छुड़ाने की कोशिश करने लगा. उसने कहा ” छुडाने की कोशिश मत करो मैं चिल्लाने लगूंगी. पड़ोस में सभी को पता चल जाएगा कि तुम मुझे तंग कर रहे हो..”
मैं घबरा गया. कविता ने अब मुझे यहाँ वहां चूमने लगी. उसने मेरी शर्ट के बटन खोलकर उसे दूर फेंक दिया. इसके बाद उसने जबरदस्ती मेरी पैंट भी उतार दी. मैं अन्दर कमरे में जाने लगा तो वो मुझसे लिपट गई. उसने मुझसे लिपटे लिपटे ही अपनी हाफ पैंट उतार दी और अपना सारा भार मुझ पर डाल दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि मैं कमरे की फर्श पर गिर गया. इस पर भी कविता ने मुझे नहीं छोड़ा बल्कि उसकी पकड़ और भी मजबूत हो गई.
मैंने अपने मन में सोचा कि मैं चाहे कुछ भी करूँ कविता मुझे छोड़ेगी नहीं. अगर मैं मना भी कर दूँ तो कविता धमकी देकर मुझसे हर काम करवा लेगी. मैंने ये फैसला किया कि हर हालत मैं जब मौत लिखी है तो मौत से ही दोस्ती कर लेता हूँ. मैंने अचानक कविता के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. कविता ने आश्चर्य से मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा. मैं भी मुस्कुरा दिया. कविता ने अपने होंठों से मेरे होंठों का रस खींचना शुरू किया.
मैंने भी उसी तरह से जवाब दिया. कविता खुश हो गई. अब हम दोनों ही आपस में चुम्बनों की बौछार कर भीगने लगे. थोड़ी देर के बाद कविता मेरे ऊपर लेट गई और मुझे दबाते हुए ऊपर नीचे हिलने लगी. मैंने भी कविता को कसकर पकड़ लिया और लगा उसे चूमने और चाटने. कविता को खूब मजा आने लगा. उसने फिर खद को नीचे करते हुए मुझे खुद के ऊपर लेटने के लिए कहा. हम दोनों ने अपनी जगहें बदल बदलकर काफी देर तक मजा लिया.
कविता ने फिर मेरा अंडर वेअर निकाला और खुद भी नंगी हो गई. उसने मेरे लिंग को अपने हाथों से सहलाना और धीरे धीरे मसलना शुरू किया. मुझे बहुत अच्छा लगा. मैं कविता को लगातार गालों और होंठों पर चूमे जा रहा था. कविता ने मुझे अपनी ऊंगली अपने जननांग में डालने के लिए कहा. मैंने धीरे से अपनी ऊंगली उसके जननांग में डाल दी. मुझे बहुत ही गीलापन लगा. मेरी ऊंगली अन्दर बाहर होने लगी. कविता अजीब तरह की आवाजें निकालकर मजे लेने लगी.
कुछ देर के बाद हम दोनों आपस में लिपट गए और मैंने अपना लिंग कविता की जाँघों के बीच डाल दिया. कविता ने अपनी जांघें पूरे जोर से दबा दी. हम दोनों को बहुत मज़ा आने लगा. कविता ने मुझे आजाद किया और रसोई में चली गई.
कविता जब रसोई से लौटकर आई तो उसके हाथ में बर्फ की ट्रे थी. उसने एक बर्फ का टुकडा अपने मुंह में लिया और उसे आधा बाहर रखकर मेरे गालों पर फेरने लगी. मुझे ठंडा बर्फ अच्छा लगा,. कविता ने फिर वो बर्फ का टुकडा मेरे मुह में डालकर छोड़ दिया. अब मैंने भी कविता के सारे जिस्म पर बर्फ के टुकड़े को फेरा.
में आखिर में अपने मुंह में दूसरा बर्फ का बड़ा टुकडा लिया और कविता के गुप्तांग पर रखकर अपने मुंह से दबा दिया. कविता के मुंह से जोर के सिसकी निकल गई. मैंने काफी देर तक ऐसा ही किया. कविता लगातार तड़पती रही और मेरे मुंह को अपने गुप्तांग की तरफ जोर से दबाती रही. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l
मैंने अब सभी बर्फ के टुकड़े लेकर हम दोनों के जिस्मों के बीच में फंसा लिए और आपस में लिपटकर कसमसाने लगे. हम दोनों बैठे हुए थे इसलिए सभी टुकड़े नीचे की ताखिसक गए और सारा पानी हम दोनों के गुप्तांगों की तरफ चला जा रहा था. तभी मेरे लिंग में से कुछ निकलना शुरू हुआ और कविता के गुप्तांग से टकराने लगा. कविता ने मुझे अपने से कसकर लिपटा लिया और लेट गई. हम दोनों की साँसे तेज चलने लगी. हम दोनों अब शांत हो गए. हम दोनों काफी देर तक युहीं सोये रहे.
दोपहर हो गई थी. कविता ने फोन कर एक होटल से खाना मंगवा लिया. हम दोनों ने खाना खाया. कविता कुछ देर के लिए सो गई. शायद वो थक गई थी. मैं कुछ राहत महसूस करने लगा.
करीब तीन बजे कविता उठ गई. मैं सोया हुआ था वो आकर मेरे पास आकर लेट गई. इससे पहले कि मेरी आँख खुलती वो मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा चुकी थी. एक बार फिर उसपर नशा छा गया था. नशा मेरा भी अभी तक उतरा नहीं था. मैंने भी उसी गर्मजोशी से जवाब दिया. कविता ने फिर अपने और मेरे सभी कपडे उतार दिए. इस बार कविता ज्यादा जोश से मुझ पर पिल पड़ी. ऐसा लग रहा था जैसे वो पागल हो गई हो.
मैंने उसे बहुत रोकने की कोशिश की तो वो बोली ” मम्मी आज रात को सात बजे की बस से ही आ रही है. इसलिए समय बहुत कम है.” मैं उसकी जल्दबाजी समझ गया. हम दोनों ही अब अब ऐसे आपस में उलझे कि कोई देखे तो ये समझे कि आज के बाद शायद हम ना मिलनेवाले हों. हम दोनों ने एक दूजे के जिस्म का कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ा जो हमारे चुम्बनों से गीला ना हो गया हो. पूरे दो घंटों तक हम दोनों ने एक दूजे को इसी तरह से चूमते चाटते बिताया.
इसके बाद कविता ने तकिये के नीचे से एक कोंडोम निकाला और मुझे अपने लिंग पर चढाने को कहा. कविता ने मेरी मदद की. अब धीरे से कविता ने मेरे लिंग को अपने हाथों में लिया और लगी अपने जननांग में ठूंसने. कविता ने बताया कि उसके लिए ये पहला मौका है जब उसने किसी के गुप्तांग को छुआ है और अपने अन्दर लिया है. वो इससे पहले दो लड़कों के साथ गालों तक चुम्बन कर चुकी है और बाहों में ले चुकी है. लेकिन मेरे साथ ही उसने सारा खेल खेला है.
मैं भी अपनी तरफ से जोर लगाना जारी रखा. तीन चार बार जोर करने से मेरा लिंग कविता के जननांग में थोडा घुस गया. कविता ने अपनी दोनों टांगें बैठे बैठे ही और फैला दी. मैंने भी बैठे बैठे ही जोर लगाकर जितनी दूर संभव हुआ अपने लिंग को उसके जननांग में घुसाता चला गया. कविता का जननांग थोड़ी देर के बाद अन्दर से मलाईदार लगने लगा. कविता मुझे बेतहाशा चूमने लगी. वो बार बार अपने मुंह में शक्कर के दाने डालती और मेरे मुंह में छोड़ देती.
मैं भी अब यही करने लगा. कुछ ही देर में यह हुआ कि हम दोनों के मुंह से निकली बे-हिसाब लार ने हम दोनों के पूरे मुंह को गीला और चिपचिपा कर गया हम दोनों फिर भी एक दूसरे के मुंह को लगातार चूमे जा रहे थे. हम दोनों ने घडी देखी. छः बज चुके थे. कविता ने ढेर सारी शक्कर अपने मुंह में घोली और मेरे मुंह में शक्कर का घोल छोड़ते हुए अपने होंठों से मेरे होंठों को सी दिया.
हम दोनों के अन्दर एक सरसराहट दौड़ गई. तभी मेरे लिंग में तेज हलचल होनी शुरू हो गई. मैंने कविता को जोर से अपनी तरफ खींचा और उसे अपने सीने से लिपटा लिया. अब मैं और कविता धीरे से संभलकर बिस्तर पर लेट गए. लेकिन हम दोनों के मुंह चिपके हुए थे और मेरा लिंग उसके अन्दर फंसा हुआ था. अब कविता के जननांग में भी कुछ हलचल हुई. तभी मेरे लिंग से एक तेज धारा छूट गई और कोंडोम के भरने से वो फ़ैल गया. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l
कविता ने और जोर से मुझे लिपटा लिया. हमारी साँसें भर गई. हम दोनों की पकड़ कुछ ढीली हुई. हमारे होंठों की जकड भी कम हुई इस जकड के कम होने से हम दोनों के मुंह से ढेर सारी चाशनी बाहर निकलकर हमारे जिस्म में हम दोनों के सीने पर फ़ैल गई. कविता और मैंने अपने अपने सीने को आपस में रगड़ना शुरू किया.
घडी में साढे छह बज गए थे. हम दोनों बाथरूम में दौड़े और नहाकर अपने कपडे बदल लिए. सात बजते ही मौसा और मौसी लौट आये. इस भाग दौड़ में हम बिस्तर को ठीक करते वक्त कोंडोम का खाली पैक हटाना भूल गए. मौसी ने उसे देख लिया. उन्हें हम पर शक हो गया. रात को मौसी ने कविता को अपने कमरे में सुलाया और मैं मौसा के कमरे में सोया. अगले दिन सारा समय मौसी हम दोनों को अलग अलग रखने की कोशिश करती रही. शाम को मुझे वापस बस पकडनी थी.
मैं और कविता मिलने के लिए तड़प रहे थे. जब मैं रवाना हुआ तो कविता पहले ही दरवाजे से बाहर आकर सीढीयों में छुपकर खड़ी हो गई. मैं जैसे ही उतरा कविता ने मुझे बाहों में भार लिया. हम दोनों ने एक बहुत ही लम्बा और गीला फ्रेंच किस किया और जल्दी मिलने का वादा कर अलग हो गए. कविता ने मुझसे कहा ” किसी से ना कहना.” मैं हाँ कहा बस स्टैंड की तरफ चल पडा.
हम अगली मुलाकात का इंतज़ार करते रहे लेकिन मौका नहीं मिला. पूरे एक साल बाद मौका मिला. मेरे मामा के लड़के की शादी तय हुई. हम सभी पूरे तीन दिन एक साथ हमारे ननिहाल में रहने वाले थे.
मामाजी के लड़के की शादी के लिए हम ननिहाल आ गए थे. हमारा ननिहाल एक बड़ी हवेली जैसा है. दुमंजिला लेकिन करीब बीस कमरे. हम सभी अलग अलग कमरों में ठहरे थे. कविता और मैं एक दूजे को देख बहुत खुश हो गए. लेकिन मौसी लाटर हम्म दोनों पर नजर रखे हुए थी.
पहली रात थी. सभी खाना खाने के बाद एक साथ बैठे गप्पें लड़ा रहे थे. हम सभी बच्चे एक अलग बड़े कमरे में थे. तभी कविता ने मुझे इशारा किया. हम दोनों कमरे के बाहर आ गए. हमने देखा कि मौसी गप्पों में व्यस्त है. हम छत पर आ आगये. गुप्प अँधेरा था. हम दोनों आपस में लिपट गए और लगे एक दूजे को चूमने चाटने. एक दूजे के होंठों का रस पीकर हम दोनों को बहुत ही अच्छा लग रहा था. तभी जोर की आवाजों ने हमें अलग होने पर मजबूर किया. सभी सोने जा रहे थे. हम भी अपने अपने कमरे में चले गए.
अगले दिन दोपहर को लडकी वालों के यहाँ कोई फंक्शन था. औरतें सभी वहां गई हुई थी. मैं घर पर ही था. दोपहर को रीब तीन बजे कविता लौट आई. उसने मुझे ढूँढा और हम दोनों एक खाली कमरे में आ गए. कविता ने कहा ” केवल आधा घंटा है. वे लोग आधे घंटे में पहुँच जायेंगे. चलो जल्दी करो.”
मैंने और कविता ने अपने सिर्फ नीचे के कपडे उतारे. कविता ने मुझे कोंडोम थमा दिया. मैंने तुरंत कोंडोम लगाया लेकिन मेरा लिंग अभी कड़क और बड़ा नहीं हुआ था. कविता ने नीचे झुककर मेरे लिंग को चूमना शुरू किया. केवल दस सेकंड में वो एकदम कड़क और लंबा होकर खड़ा हो गया. मैंने कोंडोम चढ़ाया. कविता नेखड़े खड़े ही अपनी एक टांग ऊपर उठाकर मेरे हाथ में दे दी. मैंने उसकी टांग को और ऊंचा उठा दिया.
अब उसका जननांग खुलकर चौड़ा हो गया था. मैंने अपना लिंग उसमे डाल दिया. हम दोनों खड़े खड़े सेक्स करने लगे. बीच बीच में थोडा रुकते और फिर करने लग जाते. तभी हमें लगा जैसे सभी औरतें लौट आई है. मैंने जोर लगाना शुरू किया. कविता ने मुझे होंठों पर जोर से चूमना शुरू किया. ताभिमेरे लिंग ने कविता के जननांग में कोंडोम में ढेर सारी मलाई छोड़ दी.
कविता और मैं दोनों मदहोशी से एक दूजे को चूमने लगे. फिर किसी के आने के डर से अलग अलग हो आये. हमने अपने अपने कपडे पहने और बाहर आ गए. किसी को भी पता नहीं चल पाया. रात को हमने बहुत कोशिश की लेकिन मौसी की पैनी निगाहों ने हम दोनों को पास भी नहीं आने दिया.
रात के करीब दो बजे थे. मेरी आँख खुली. मैं अपने कमरे से निकलकर उस तरफ चला गया जिधर कविता का कमरा था. मैंने उस कमरे में छुपकर झाँका. थोड़ी रौशनी थी इसलिए मैं कविता को देख सका. कविता ने करवट बदली. अब कविता मरे बिलकुल सीध में आ चुकी थी. मैंने एक कंकर उसे मारा. निशाना सही लगा. कविता की आँख खुल गई. उसने देखा. मैं अँधेरे में था इसलिए वो मुझे नहीं देख पाई. लेकिन उसे कुछ शक हुआ मगर वो उठी नहीं.
मैंने दूसरा कंकर मारा. इस बार कविता उठकर बैठ गई. उसने इधर उधर देखा और बाहर आई. इसके बाहर आते हीमैन उसके सामने आ गया. वो मुझे देखते ही मुझसे चिपक गई. मैंने पूछा ” मौसी कहाँ सो रही है?” कविता ने कहा ” मम्मी; दूसरे कमरे में है. किसी को कोई हक़ नहीं होगा लेकिन हम जायेंगे कहाँ?” मैंने कुछ सोचा और बोला ” छत पर चलते हैं. कोई नहीं है वहां पर. ” मैंने कविता का हाथ पकड़ा और छत पर आ गया. एक कोने में हम दोनों चले गए.
सर्दीयों के दिन थे इसलिए मैंने वहीँ रखी एक रजाई ले ली और दोनों उसमे घुस गए. कुछ ही देर में आपस में चिपकने के कारण गरमाहट आ गई. कविता ने मुझे चूमा और बोली ” तुमने तो बहुत ही अच्छा आइडिया निकाला यार. कल की एक रात और है. हम कल भी यहीं आ जायेंगे.” हमने जल्दी जल्दी अपने कपडे उतार दिए. कमी यह हो गई कि हमारे पास कोंडोम नहीं था. कविता ने फिर भी मेरे लिंग को अपने जननांग में घुसा लिया.
मैं और कविता अब पूरा मजा ले रहे थे. मैं रुक रुक कर कविता के जननांग में अपना लिंग दाता और निकालता. इस तरह से करते करते एक घंटे से भी ज्यादा का वक्त हो गया. मुझे और कविता दोनों को ही अब यह डर लगने लगा था कि कहीं मेरे लिंग से कुछ निकलकर कविता के जननांग में घुस ना जाये. कविता ने मुझे लिंग बाहर निकलने को कहा. कविता ने रजाई को फाड़कर रुई निकाल ली और अपने जननांग पर लगा दी. मैंने लिंग को उससे छुआ दिया. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l
अब फिर से मैं अपने लिंग से कविता के जननांग के आसपास की जगह में मस्ती करने लगा. इस मस्ती ने रंग दिखाया और कुछ ही देर के बाद मेरा लिंग बहने लगा. कविता के जननांग ली जगह भीग गई. उस ठंडक से कविता तड़प उठी और हमने एक दूजे को तड़प तड़पकर चूमना शुरू कर दिया. हम दोनों ने इसी भीगी हुई हालत में काफी देर तक मजा किया. कविता लगातार मुझे जगह जगह चूमे जा रही थी. हमें समाया का पता ही नहीं चल पाया.
हम आपस में पूरी तह से चिपके हुए थे और रजाई में दुबके हुए थे इसलिए बाहर का कुछ पता नहीं चल पा रहा था. अचानक जब इस चिपका-चिपकी में रजाई थोडा हटी तो हमने देखा कि दूर आसमान में थोडा थोडा नीलापन दिखाई दे रहा था. हम समझ गए कि दिन निकलने वाला है. हम दोनों ने आखिरी कुछ किस किये और साफ़ सफाई कर अपने अपने कमरे में आकर सो गए.
सवेरे के बाद जब जब मैं और कविता आमे सामने आये तब तब हमारे चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी. मौसी को हम पर शक हो गया. वो अब कविता को अपने साथ साथ हिराहने को कह रही थी. मैं और कविता दोनों ही अब समझ गए कि अब आपस में मिलना मुश्किल है.
रात को बारात चल दी. कविता ने बहुत ही सुन्दर ड्रेस पहनी थी और बहुत अच्छा मेक-अप किया था. वो मुझे बार बार ललचा रही थी. उसके होंठों का लाल लिपस्टिक मुझे दावत दे रहा था. मौसी बरार कविता के साथ ही चल रही थी. फेरे हो रहे थे. सभी जहाँ हवन चल रहा था वहीँ बैठे शादी की विधियां देख रहे थे.
अचनाक कविता ने मुझे ईशारा किया. मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. मौसी देख नहीं पाई. शादी वाले हाल के बाहर कार पार्किंग का एरिया सुनसान था. मै और कविता एक कार के पीछे चले गए. कविता ने अपने होंठ मेरी तरफ बढाए और बोली ” मिठाई खाओगे.” मैंने कविता का निमंत्रण स्वीकार और उसके होंठों को अपने होंठों से चूस लिया.
हम दोनों पागलों की तरह से एक दूजे को होंठों पर चूमने लगे. कुछ ही देर में कविता के होंठों का सारा रंग गायब हो गया. हम दोनों वापस हाल में लौट आये.
मौसी की नजर कविता पर पड़ी. कविता के होंठों के उड़े हुए लिपस्टिक के रंग से मौसी का चेहरा तमतमा उठा. उसने कविता का हाथ पकड़ा और उसे एक तरफ ले गई. मैं दूर से दोनों को देखने लगा. कविता ने मौसी को कुछ समझाया. लेकिन मौसी कुछ नहीं मां रही थी. मैं डर गया. कविता ने ने आखिर में गुस्से में मौसी से अपना हाथ छुड़ाया और सभी के साथ आकर बैठ गई. उसका चेहरा उतर गया था. मौसी ने अब मेरी तरफ गुस्से से देखा. मैंने अपना चेहरा स्थिर रखा और दूसरी तरफ घुमा लिया. मौसी काफी देर तक मेरी तरफ देखती रही.
शादी संपन्न हो गई. हम सभी घर लौट आये. दोपहर को खाना था. मौसी कविता के आसपास ही घुमती रही. इसी तरह से शाम हो गई. कविता के चेहरे से लग रहा था कि वो मुझसे मिलना चाह रही है. मैं परेशान हो उठा. रात को नौ बजे हमें वापस लौटना था. मैं अब कोशिश करने लगा कि कविता से कैसे मिलूं. मेरी मम्मी सब से मिल रही थी. मौसी भी वहीँ खड़ी थी.
मैंने दूर से देखा और कविता ऊपर छत पर दिखाई दी. मैं दौड़ता हुआ छत पर चला गया. छत पर कविता अकेली ही खड़ी थी. मैंने कविता को अपनी बाहों में भर लिया. हम दोनों ने एक दूसरे को खूब चूमा. कविता ने मेरे होंठों पर अपने होंठों से चुम्बन दिया. एक लम्बा फ्रेंच किस लिया. हम आपस में मिलने का वादा कर जुदा हो गए.
इसके बाद लेकिन हम दोनों कभी नहीं मिल पाए हैं. कविता की शादी हो चुकी है. आज केवल यादें है. कभी कभी जवानी में ऐसा हो जाता है कि हम कोई पागलपन जैसी भूल या गलती कर बैठते हैं.
कविता की शादी हुई उन दिनों मैं एम् बी ए के ट्रिप पर यूरोप गया हुआ था. लौटने पर मुझे कविता की शादी की खबर मिली. मेरी किस्मत साथ दे रही थी . मुझे कविता के ससुराल के शहर में जाने का मौका मिला. मैं अपना काम निपटाकर कविता के घर पहुँच गया. कविता मुझे देखकर हैरान हो गई. उसने मुझे अपने पति से मिलवाया. उसके पति ने मुझसे रात को वहीँ रुके के लिए कहा दिया और मेरा सामान उठाकर अन्दर कमरे में रख दिया. कविता कुछ परेशान हो उठी.
मैं उसकी परेशानी समझ गया. मैंने बहुत ना कहा लेकिन कविता के पति नहीं माने. मुझे मजबूरन रुकना पड़ा. खाना खाने के बाद हम बातें करने बैठ गए. कविता पूरे समय खामोश रही. मैं समझ गया कि कविता को अब अपने किये पर पछतावा हो रहा है. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l
मैं एक अलग कमरे में सो गया. रात के करीब दो बजे फोन की घंटी बजी. मेरी भी आँख खुल गई. पता चला कि कविता के पति जिस फेक्टरी में इन-चार्ज हैं वहां कोई दुर्घटना हुई है और उन्हें उसी वक्त जाना पड़ रहा है. कविता के पति चले गए. मैंने मौका देख कविता से कहा ” मैं तुम्हारी परेशानी समझ गया हूँ हम दोनों के हित में यही है कि हम उन मुलाकातों को भूल जाएँ.” कविता ने मेरी तरफ देखा और बोली ” बात वो नहीं है जो तुम समझ रहे हो.
मैं बहुत खुश हूँ इनके साथ. लेकिन आज तक मैं उन मुलाकातों को भुला नहीं पाई हूँ. ना ही तुम को भूल सकी हूँ. मैं जानती हूँ हमने सब गलत काम किया. हमारा रिश्ता क्या था और हमने क्या कर दिया. लेकिन कभी कभी ऐसा हो जाता है. तुम आज भी मेरे उतने ही करीब हो जितने उन दिनों थे.
ये पागलपन ही सही ; हवस ही सही लेकिन मुझे इसमें कोई गलत नहीं लगता. आज भी देखो किस तरह से हमें मौका मिला है.” मैं चौंक गया. कविता ने फिर वैसी ही मुस्कराहट मेरी तरफ फेंक दी. मैं कुछ देर तक सोचा लेकिन मुझसे रहा नहीं गया. कविता आगे आई और मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया. कविता शादी के बाद थोडा निखर गई थी. कविता मझे लेकर अपने बेडरूम में आ गई. अगले ही पल हम दोनों एक बार फिर निर्वस्त्र हो चुके थे.
आज कविता ने मुझे चूम चूमकर पागल कर दिया. कुछ ही देर में फोन के घंटी बजी. मैं कविता के ऊपर लेटा हुआ था. कविता मेर्नीचे दबी थी. कविता ने फोन उठाया. उसक पति ने उसे कहा कि वो एक निकल रहा है और आधे घंटे में पहुँच जाएगा. कविता ने मुझे जोर से चूमा और बोली ” ये हमेशा हम आधे घंटे या एक घंटे की समय सीमा में ही क्यूँ मिलते हैं. वो आधे घंटे में पहुँच जायेंगे, जल्दी करो.
मैंने बिना कोंडोम ही कविता के जननांग में अपना लिंग घुसेड दिया. कविता ने मुझे मना किया और कोंडोम लगा दिया. लगातार जोर लगाकर हम दोनों ने अपने को थका लिया. अब कविता ने मेरे होंठों को इतने जोर से चूसा कि मेरे लिंग से बहुत ही तेज धारा निकली और कविता के जननांग में एक सैलाब आ गया. हम दोनों ने बहुत कम समय में बहुत मजा ले लिया था. हमने कपडे पहने और मैं अपने कमरे में आकर सो गया.
सवेरे एक और मौका मिलता दिखाई दिया. कविता के पति दस बजते ही ऑफिस चला गया. मेरी ट्रेन दो घंटा देर हो गई. मैं कविता के घर पर ही रुक गया. कविता बहुत खुश हो गई. मैं और कविता एक बार फिर आपस में नंगे होकर लिपटे हुए थे. इस बार कविता की इच्छा पूरी हुई. मैंने लगातार पूरे दो घंटों तक कविता के जननांग को इतनी जोर से भेदा कि उसके आसपास गहरे लाली छा गई. कविता पूरी तरह से थककर पलंग पर लेती हुई थी. वो मुस्कुरा रही थी लेकिन उसके शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही थी.
मैंने एक कोंडोम कविता से लिया और उसे अपने लिंग पर चढाते हुए कविता के ऊपर चढ़ गया. कविता का जननांग जैसे मेरे लिंग का ही इंतजार कर रहा था. मेरा लिंग एक सेकंड में उसमे घुस गया. लिंग के घुसते ही मेरे लिंग ने जैसे बौछार कर दी. कविता जोर से सिसकी और मेरे होंठों को अपने होंठों से दबाकर मी मुंह में ढेर सारा लार का पानी छोड़ गई. उसके ठन्डे लार के पानी ने मुझे नशे में कर दिया. मैंने उसे चूमा और हम अलग हो गए.
जब मैं रवाना हुआ तो कविता बोली ” आज ये तय रहा कि हम हमारा ये रिश्ता जारी रखेंगे. जब भी मौका मिलेगा हम यह सब करते रहेंगे. किसी से ना कहना.” आगे की कहानी पढ़ने के लिए थोडा इंतजार करे तब तक आप सभी को ये कहानी कैसी लगी मुझे जरुर बताये .
और कहानिया
- Dost Ki Behen Ke Saath Suhagraat
Hello mera naam raj hai meri umara 30 saal hai. Us samay meri umra 18 saal hogi ... - मौसी की बड़ी बहु की चुदाई
हैल्लो दोस्तों, में दिल्ली में बचपन से रह रहा हूँ. मुझे शादीशुदा लेडीस ज्यादा पस... - पड़ोसन की चूत को मक्खन लगाकर चोदा
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अमित है और में मुंबई का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 24 साल... - भाभी की रस भरी गर्म चूत में लंड
भाभी बहुत हॉट थी और वो मुझे शुरू से ही अच्छी लगती थी. मैंने मन में उनके लिए कुछ ...
Hi mera name vikas hai .mai ek call boy hu .mujhe sexy kahaniya bahut pasand hai.mai isliye kahaniya padta hu ki .mujhe girl ya women ka body massage karna parta hai.tb mai kahaniya yaad kr ke massage ya sex karta hu.mai dehli se hi.ager koi girl women sexy ya body massage karna chahti hai to mujhe calk kare.aur