छत पे मिली चुत
जनवरी की सुबह की धूप, आसपास के इलाके की सबसे ऊंची इमारत और चुत पाने का मौका, बहुत रोमांटिक नहीं तो बहुत खराब माहौल भी नहीं है. यह मेरा नाम अमित रावत और मैं बात कर रहा हूं, खैर पहला तो नहीं पर एक मेरे ठीक-ठाक सेक्स अनुभव की. तब मैं इंटर कालेज का छात्र था. दिखने में सामान्य गोरा, पाँच 10 की हाईट, और 10 इंच का लण्ड, यानि मुसिबत, कितनी भी ढीली पैंट पहनूँ या टाइट चड्ढी कोई फायदा नहीं, दूर से ही किसी को भी मेरा लण्ड आराम से झूलता पता चल जाता था.
ठन्डी में चुत और भी गरम होती हैं
वो लंच के बाद वाला टाइम था, सर्दीय़ों में कुछ बच्चे छत पर पढ़ते कुछ टीफन करते मैं सवाल लगाने में व्यस्त था, लंच कब खत्म हो गया पता ही नहीं चला. एक लड़की मेरे पास आई और बोली, लंच आधे घंटे पहले खत्म हो गया तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
दिखने में ठीक-ठाक गोरी, सामान्य शक्ल, पर बड़े चूचे, और पतली कमर, लंबाई लगभग मेरे जीतनी ही होगी.
मैंने चकपका कर इधर उधर देखा, अपनी शर्ट बाहर निकाली. निचे क्लास की तरफ जाने लगा.
लड़की दुबारा बोली: इतनी देर से जाओगे तो डाँट पड़ेगी, बीस मि. बाद पहली क्लास खत्म होगी. तब जाना. और लण्ड छूपाने की जरूरत नहीं है. अपनी शर्ट अंदर कर लो.
मैं थोड़ा सा झुंझला गया और बोला: मेरा मजाक उड़ा रही हो.
वो धीरे-धीरे चलकर मेरे पास आई. और जर्मन स्टाइल में मेरे सुखे ओठों पर अपना ढेर सारा थूक लगा दिया. एक सेकेण्ड को मेरी आंखे बंद हो गई.
वो वहीं बैठ गई और बोली, “जिस तरह तुम लड़को हमारे बड़े बड़े चूचे देख अच्छा लगता है वैसे ही हमें लण्ड देखना अच्छा लगता है.”
उसने अपना एक हाथ मेरी पैंट के जीप के ऊपर धिरे से फेरा और मेरी जीप खोल दी, मैं हल्का सा डर गया और एक कदम पीछे हट गया, उसका चेहरा हल्का सा उतर सा गया. मैंने दायें बाएं देखा, फिर अपनी घंड़ी देखी. अभी घंटी बजने में काफी वक्त था. मतलब अगले बीस या पच्चीस मिनट तक तो उपस कोई नहीं आने वाला था. मैं अब वापस एक कदम उसकी और बढ़ा , उसने अपनी आँखें बंद कर अपना मुंह खोल लिया. ये एक इशारा था कि लण्ड मुंह में देना है. जल्दबाजी में चड्ढी से लण्ड निकालने में दिक्कत हो रही थी. तो मैंने फटाक से पैंट ही उतार दी. और चड्ढ़ी निचे खिसका लण्ड उसके मुंह में दे दिया. वो अपने दोनों हाथों से खिंचकर चूसने लगी. इतनी अच्छी तरह मेरा लण्ड पहले किसी ने नहीं चूसा था. उसने चूसते चूसते ही अपना स्वेटर और शर्ट उतार दिया और स्कर्ट के बटन खोल दिए. उसकी चड्ढी थोड़ी झिल्लीदार थी. और साफ पता चल रहा था की उसने शेव की है.
मैंने कहा, “कब से मजे लिए जा रही है, मुझे तेरी चूत चाटनी है, 69 पोज में लेट जाते है”
उसने कहा, “ठीक है, पहले अपने कपड़े तो उतार मैं तो नंगी हो गई और अभी तू सज धज के बैठा है”
मैंने अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया, हमने कपड़ों को ही इकठ्ठा कर बिस्तर सा बनाया और मैं उसी पर लेट गया. वो अपनी चुत मेरे मुंह की तरफ कर मेरा लंड चूसने लगी. उसकी चुत बहुत पुरानी भी नहीं पर बहुत नई भी नहीं थी. देख कर लग रहा था कि कई बार चूदी है . पर बिना झाँट के चुत देखने में मस्त लग रही थी. मैंने अपने दोनों हाथों से चुत जरा सा खोलते हुए गुलाबी हिस्से पर जरा सा हल्के से जीभ फिराया. उसने चुत के आस पास कोई इत्र लगाया था. लड़कियाँ तो कई बार चोदी थी पर चुत चाटने का मजा मैं पहली बार ले रहा था. मुझे पहली बार में ही इतना मजा आया कि मैंने अपना पूरा मुंह ही उसके अंदर घुसा दिया. कुछ बेस्वाद यानि न्यूट्रल सा पानी उसमें से बाहर हल्का-हल्का रिश रहा था.
कड़े हुए लौड़े से चुदाई कर दी
मेरा लण्ड अब इतना कड़ा, खड़ा और मोटा हो गया कि उसके मुंह में 2 इंच से ज्यादा घूस ही नहीं रहा था. लेकिन मैं उस पर ध्यान दिए बिना चुत चाटने में मस्त था. तभी अचानक उसने अपनी चुत हटा ली. और मेरी तरफ घूम गई. मतलब अब सेक्स की बारी थी. उसने अपना मुंह खोलकर थोड़ा सा थूक मेरे मुंह में डाला और अपनी जीभ मेरे मुंह डालकर चूसने लगी. इतना जबरदस्त कीस कभी किसी ने नहीं किया था. उसने कीस करते हुए मेरा लण्ड पकड़ धीरे से अपनी चुत में घुसाने लगी.
मेरे लण्ड के लिए उसकी चूत बहुत टाइट थी, आसानी से नहीं जा रही थी. अपना मुंह हटा कर थोड़ा झुझलाहट में कहा, “बेकार है तेरा लण्ड, घूस ही नहीं रहा”
मैंने उसे कमर से पकड़ा और उलटा कपड़ों पर पटक दिया. और लण्ड को धीरे से उसकी चूत पर सहलाने लगा और कहा, “फिर से एक कीस दें, तब दिखाता हूँ” उसने जैसे ही अपना मुंह फिर से मेरे मुंह से लॉक किया. मैंने झटके से लण्ड उसकी चुत में घूसा दिया. आ….उसकी चीख निकल गई. हड़बड़ी में मेरे हाथ में उसी की चड्ढी आई और वही मैंने उसके मुंह में घूसेड़ दी और हाथ से दबा दिया. और धका-धक चोदने लगा. उसने बदलें में मुझे हाथ पर अपने बड़े बड़े नाखुनों से खरोच दिया. एक या दो मिनट बाद जब वो शांत हुई और लण्ड आराम से अंदर बाहर जाने लगा तो मैंने उसके मुंह से चड्ढी निकाल ली. मुझे लगा कि वो एक दो गालियां देगी. पर उसने फिर से अपना मुंह मेरे मुंह में डालकर कीस करने लगी. और मेरे दोनों हाथों को पकड़ अपने चूचों पर रख दिया. उसके चूचे इतने बड़े थे की एक चूचा मेरे एक हाथ में आधा भी नहीं आ रहा था. पर सेक्स का मजा तीगुना चौगुना हो गया था.
उसने अपनी दोनों टाँगे उठा दी. और मेरे बालों को हल्के से खिचने और बदन को सहलाने लगी. मैं उसके दोनों चूचों को कसकर दबाने और निप्पल को खिंचने लगा. जब मैं उसके निप्पलों को दाँतों से पकड़ हल्के से खिंचता तो वह अपने होठो को मस्त हो अपने दातों से चबाने लगती.
सेक्स में मस्त हो हम दोनों एक दूसरे के उपर लोट पोट होने लगे. वो कभी मेरा मुंह चाटती कभी सीना, मैं कभी उसका गला और कभी कंधे चाटता, मेरे पुरे मुंह पर उसका थूक लगा गया था. उसकी चुत से अब रिसाव अब काफी बढ़ गया था. और वह मेरे उपर चढ़ मुझे चोदने लगी. एक दुसरे के हाथों में हाथ डाले वो अपने चूचों को मेरे मुंह से सटाए, ऊंह आह कर रही थी.
थोड़ी देर बाद जब वह थोड़ी सी थक सी गई तब मैंने उसे हल्का सा मात्र कुछ इंच उठाया और चोदने लगा. हम दोनों की सासें तेजी से चलने लगी. मुझे लग गया कि अब हम दोनों ही झड़ने वाले है. मैंने उससे पूछा कि कहाँ निकाली अंदर या बाहर, तो उसने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए लण्ड बाहर मत निकलना, मैं ये मजा अंत तक लेना चाहती हूँ. ये सुनते ही मेरा जोश और बढ़ गया पर उसने कहा कि मैं और तेजी से चुत में चूदना चाहती हूं. मैंने लण्ड बाहर निकाले बिना उसे खड़ी होने को कहा. उसने एक हाथ से दीवाल का सहारा लिया और मैंने उसकी एक टाँग अपने हाथ में उठा ली. और उसे अंत तक चोदा. फिर हम निचें आ गए. पढाई खत्म हुए एक अरसा हो गया पर छत पर कभी कभी पीछे से जाकर वहाँ सेक्स के लिए मिलते है.
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