जहाँ चाह वहीं चूत
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चोदने के लिए बेचैन बेलन!
ये आरजू है कि एक चूत हमको मिल जाए, लन्ड के धागे से गांड मेरी सिल जाए, फटे जो मुह में घुसाके ही मेरी ले लेना, ऐसा कोई यार हो जो यार मुझपे पिल जाए। ये शायरी गुनगुनाते हुए बेलन जब अपने कालेज जा रहा था तो उसको सुबह की घास पर बिखरी ओस की बूंदें और चारो तरफ खड़ी अरहर की घनी खेती को देख कर कभी भी अंदर घुस कर के मूठ मार लेने का मन कर रहा था। बड़ी ही सूखेपन की स्थिति आ गयी थी, कई दिनों से कोई फुदी, कोई चूत छोड भोसड़ा तक का दर्शन न हुआ था। अश्लील बेलन आज बड़े अनमने ढंग से अपने पाकेट में हाथ डाले लंड को पकड़े हुए और सुपाड़े को मसलते हुए मन ही मन मनाता हुआ कि काश आज कोई जुगाड़ पेलने को मिल जाए तो फिर काम बन जाए। और इसलिए वो अरहर के खेत में भी एक नजर मारते हुए जा रहा था।
जैसे ही अपने गांव के सीमा से बाहर निकला, उसको अरहर के खेतों में कोइ हलचल सी दिखाई दी। पहले सोचा साला कोई सियार या जंगली जानवर भी हो सकता है, फिर सोचा अगर चूत चाहिए बेटा तो रिस्क तो लेना ही पड़ेगा, सो घात लगाकर नजरें धसा के दबे पांव धीरे धीरे अंदर जाने लगा, देखा तो गांव की छिनाल कली चम्पा अपने लंपट नौकर के साथ जमीन पर लेट कर पेलवाए जा रही है। साला लल्लू लंपट उसके मस्त बदन को ऐसे मसल कर चोद रहा है कि बस वो आह्ह आह्ह कर रही है। नीचे से चूतड़ उछाल उछाल कर चम्पा हाय हाय कर रही है और उपर से लल्लू ऐसे चोदे जा रहा है जैसे कि साले को आखिरी बार चूत मिली हो। वैसे भी बेलन का इस लौंडिया को चोदने का बहुत पहले से मन था। इसलिए उसने प्लान बनाया, जोर से नजदीक जाके गाली देते हुए बोला, ऐ बहनचोद लल्लू, चल माके लौड़े खिसक यहां से। ऐसा सुनते ही लल्लू का लंड मुरझा गया। था तो नौकर ही, चुपचाप अपनी धोती समेटी और बोला, जी हूजूर,आप इधर कहां से। मैं बोला माधरजात, जल्दी से खिसक कि तेरी मां चोदूं मैं अभी।
लल्लू दुम दबा के भाग गया, धरती पर लेटी चम्पा, वहीं गहरी सांसे भरती हुई अपनी टांगों को एक दूसरे पर चढा कर अपनी गुलाबी खुली खुली सी चूत ढंकने का असफल प्रयास करने लगी। इतने पर मैने कहा ” क्यों रानीजी, गांव में क्या लंडों का अकाल पड़ गया था जो इस नौकर से चुदवाने का सोचा? वो बोली, तो क्या करे, तुम्हारा कोई अता पता रहता है क्या, गांव की सारी लड़कियों के पीछे पड़े रहते हो पर मेरे लिए तुम्हारे पास कोई वक्त नही है। अब वो रंडी मुझे फांसने की जुगत में थी, क्योंकि मैने उसे मुह काला करते हुए देख लिया था। मैने कहा कि ले अब तुम्हें जो मैं कहूं वो करना है, ज्यादा बक बक मत कर, लेमन चूस चूस! और मैने अपना जिप खोल कर काला मोटा लंड उसके मुह में पेल दिया, और उसके सिर को पकड़ कर के जोर जोर से अंदर गले में लंड को उतारने लगा। वो बेचारी, इतने बड़े लंड को मुह में लेने के बारे में सोच नहीं सकती थी, सच तो ये है कि नौकर का लंड तो वो मुह में लेती नहीं थी पर मेरा लंड तो इसलिए लेना पड़ गया कि मैने उसे पकड़ लिया था और वो मेरी कोई भी बात अब ठुकरा नहीं सकती थी। इसलिए मैने उसको चोदने के लिए अपने लंड को पहले मुखमैथुन का मजा लेकर खड़ा करने का सोचा।
चुदाई के खेल में, दमदार चूत का मजा ही जुदा है।
उसके मुह में लंड को देते हुए, मुझे कंवारे चूत को चोदने का मजा आ रहा था क्योकि मेरे बड़े लंड का विशालकाय सुपारा, उसके नर्म होटों और छोटे टाईट मुह के छेद में एक दम से फिट हो रहा था और हर शाट के साथ उसकी सांसे तेज हो जातीं जल्द ही उसने थूक थूक कर मेरा अंडकोष गीला कर दिया और फिर जीभ की नोक से अंडों और लंड को चाटती हुई, अपनी चूत मरवाने के लिए कुतिया स्टाइल में जमीन पर चारों पैरों से खड़ी हो गयी। मैने उसके गांड को थपथपा कर दोनों हाथों से चूतड़ों को अलग करते हुए चूत को पोजिशन किया और लंड को अंदर दाग दिया। घच्च करते हुए उसकी पहले से चुदी भीगी भीगी चूत में मेरा मोटा लंड कयामत मचाने लगा। वो अपनी गांड आगे पीछे करके और जांघों को सटा कर के लंड के उपर मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश करती रही और जैसे ही मैने अपने बेहतरीन धक्के देने शुरु किए, वो एकदम से बेतहाशा, आहें भर भर के मुझे उत्त्तेजित करने लगी। मैं अब उसकी मस्त जवानी को चख रहा था, मैने उसके दोनों चूंचे भी पीछे से पकड़ लिए और उसके पीठ पर झुक कर एकदम कुत्ते की स्टाइल में उसके होठों को भी गर्दन घुमा कर चखने लगा। हम दोनों एक दम लय और ताल में थे, लंड और चूत की टकराहट की घचर पचर माहौल की शांति को भंग कर रही थी, पर दो बदन मिलते हैं तो कुछ ऐसा होता है कि आस पास की खबर नहीं रहती।
मैने उसके चूंचों और पीठ को सहलाते हुए डागी स्टाइल में उसको जबरदस्त चोदते हुए उसे गालियां देना जारी रखा – साली कमजर्फ, रंडी, बेह्या, नौकर से चुदवाने वाली, तेरे बाप को न बताया तो कहना। चम्पा डरने वालों में से न थी, तपाक बोली, डर किसे है, मैं नहीं चाहती कि तुम किसी से कहो इसके बदले जैसे चाहो वैसे चोद लो। यही तो मैं चाहता था, उसके गांड को फैलाकर डागी स्टाइल में ही लंड को अंदर ठोंक दिया और आगे पीछे उपर नीचे का अलग अलग एंगल बनाते हुए उसके साथ गंडमरौवलके साथ खेलने लगा। अब असली मजा आ रहा था, उसको गांड में लगातार चुदवाने के साथ अपनी टिट सहलाने का शौक था जिसके चलते वह अचानक से अपने चूत से कामरस का फव्वारा निकालने लगी। मैने और जोर से उसकी गांड मारी और उसके गांड में झड़ गया, मुझे परे धकेलते हुए उसने लन्ड को अपने हाथों में ले लिया और फिर से अपने मुह में ठूंस लिया। उसकी चूत एकदम खुली और खिली हुई थी।
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