ड्राइवर के साथ सेक्स का मज़ा लिया क्यों की पति का खड़ा होता ही नहीं – nonveg stories

 
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हेलो दोस्त मैं सुष्मिता ३२ साल की औरत हु, अभी तक मुझे कोई बच्चा नहीं हुआ है, रीज़न ये है की पति को पिछले पांच साल से बीमारी है इस वजह से अब उनमे शक्ति नहीं रही अब तो उनका लौड़ा भी खड़ा नहीं होता, मेरा पति नीरज ने ही मुझे चुदवाने के लिए कहा है क्यों की उनको बच्चा चाहिए.

हम दोनों ने मिलकर एक अखबार में इश्तिहार निकाला की मेरे यहाँ ड्राइवर की भर्ती है, हमदोनो ने मिलकर तय किया की तीन चार महीने के लिए ड्राइवर रख लेते है जब मैं प्रेग्नेनेट हो जाऊूँगी तब उसे नौकर से निकाल दूंगी. संडे का दिन था, करीब १० के करीब ड्राइवर इंटरव्यू देने आया उसमे से एक जिसका कद काठी अच्छा था गोरा था मस्सल्स उसके टाइट थे उसको ड्राइवर के लिए रख लिया, उॅका नाम था रामगोपाल सिंह, देखने में काफी अच्छा था मुझे लगा ये ये मुझे संतुष्ट कर देगा क्यों की मुझे चुदे करीब ५ साल हो गया था उसके बाद तो केला और बैगन से ही काम चला रही थी.

दो तीन दिन तो मैं नीरज और ड्राइवर तीनो कभी किसी सम्बन्धी की यहाँ तो कभी शॉपिंग और एक दिन गंगा नहाने हरिद्वार भी गए ताकि ड्राइवर को ये ना लगे की यहाँ कोई काम ही नहीं है, तीन चार दिन बिजी रहने के बाद हम दोनों ने प्लान बनाया की अब ड्राइवर से चुदवाने का टाइम आ गया, तो मैंने और नीरज ने एक प्लान किया की आगरा जाते है किसी काम के बहाने रात को होटल में रहेंगे और काम करेंगे तो नीरज बोला की सुष्मिता ऐसा है फिर मैं ३ दिन के लिए अपना गाँव चला जाता हु तुम दोनों आराम से चुदाई का मज़ा लेना. तो मैंने ड्राइवर को बोल दिया की कल सुबह आगरा चलना है क्यों की नीरज गाँव जा रहे है एक जमीन खरीदने के सिलसिले में और मुझे आगरा में बैंक से पैसा निकालना है क्यों की वहा मेरा फिक्स है स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में. तो उसने कह दिया जी मैडम.

दूसरे दिन ड्राइवर दस बजे आ गया और हमदोनो आगरा के लिए निकलपड़े, मैंने उस दिन काफी सेक्सी कपडे पहने उसका गला काफी बड़ा था इस वजह से मेरा बूब आधा निकला हुआ था, मैंने जब गाडी में बैठी (हौंडा सिटी) तो दुप्पटा निकाल दिया और मैं आराम से पीछे बैठ गयी ताकि मेरा ड्राइवर अपने बीच बाले मिरर से मुझे और मेरे चूच को निहार सके, हुआ भी ऐसा मैं सोने का नाटक कर रही थी अपर उसको देख भी रही तो वो बार बार मेरे चूच के तरफ देख रहा था मैंने भी यही चाहती थी, उस दिन वो काफी अच्छा जीन्स और टी शर्ट पहन के आया था काफी सुन्दर लग रहा था, करीब 2 बजे तक आगरा पहुंच गए थे !

वह जाकर होटल लिया मैंने पहचान पात्र दिखाया और ड्राइवर को पहले ही बता दिया था तुम भी उसी कमरे में रह जाना क्यों की कल सुबह बैंक का काम है रात भर इसी होटल में काट लेते है, जब कमरे में पहुंची फिर जाके मैं बाथरूम के नहाने चली गयी, क्यों की गर्मी का दिन था, तब तक मेरा ड्राइवर दूसरे बेड पे लेटकर टीवी देख रहा था, बेड अलग अलग था कमरा एक था, फिर मैंने आवाज़ लगाई, रामगोपाल मेरे बैग में मेरा कपड़ा है देना. तो राम सिंह बैग खोलकर बोला मैडम जी कौन सा चाहिए जीन्स दू, बोली नहीं राम गोपाल जी मेरा अंदर ब्लाउज दे दो, मैं बाथरूम का थोड़ा दरवाजा खोल के देख रही थी की रामगोपाल का रिएक्शन क्या है, वो ढूंढ के निकाला और बाथरूम के तरफ बढ़ा मैंने अपना हाथ निकाली थोड़ा ज्यादा निकाल दी, और मेरे हाथ में मेरा ब्रा दे दिया, फिर मैंने ब्रा पहने लगी और एक उपाय सुझा मैंने बाथरूम का दरवाजा अंदर से लॉक नहीं की थी, मैंने नाटक किया, बाथरूम के बाल्टी को कस के पटक दी और मैं भी लेट गयी जोर से दरवाजे में धक्का लगाके और बोल पड़ी मर गयी मर गयी मेरा पैर टूट गया आह आह आह, राम परेशान हो गया और दरवाजे के पास आके बोला मैडम जी आप ठीक तो हो, मैंने कहा नहीं मेरे सर में चोट लगा है कमर में चोट लगा है पैर पे खड़ा नहीं होया जा रहा है, बचाओ राम.

वो दरवाजा खोला पर वो सकपका गया क्यों की मैं सिर्फ ब्रा में और पेंटी में थी, मेरा चूच काफी बड़ा बड़ा है और शरीर काफी कैसा हुआ मेरे चूतड़ काफी उभरे हुए और जांघ काफी मोटी मोटी, मैंने उसके तरफ हाथ बढ़ाया वो मेरे हाथ को पकड़ लिया और उठाने लगा, मैंने झूठ मूठ किसी तरह उठी और उसके सहारे चलने लगी, वो मुझे थामे हुए था मैं भी अपना वजन उसपे देके चल रही थी मेरा चूच उसके बाह में पूरी तरह से सत्ता हुआ था उसने मुझे जकड़ा हुआ था और बाथरूम से बाहर निकाला.

मैं बेड पे लेट गयी, उसने बोला मैडम जी आप कपडे पहन लो मैं आपको डॉक्टर के यहाँ ले चलता हु, मैंने कहा नहीं राम मुझे काफी गर्मी लग रही है, उठा नहीं जा रहा है आँख के सामने आंध्रा लग रहा है, थोड़े देर ऐसे ही रहने दो, मैं थोड़ा आँख खोल के देखि वो मेरे संगमरमर बदन को निहार रहा था, फिर मैंने करीब ३० मिनट बाद उठ को गाउन पहन ली, गाउन भी पारदर्शी था, मेरा गोरा बदन उसमे दिखाई दे रहा था चूचियों की उभार साफ़ साफ़ दिख रहा था.

फिर शाम मैं खाना मंगवाई और खाना खा को आराम करने लगी मेरा ड्राइवर दूसरे बेड पे सोया टीवी देख रहा था, शाम को करीब सात बजे बाहर निकली और केंट रोड पे खाना खाया और एक व्हिस्की का बोतल और एक प्लेट तंदूरी चिकन भी ले ली, रात को करीब ९ बजे फ्रीज़ से सोडा निकाली और रामगोपाल को बोली चलेगा क्या? वो मुस्कुरा दिया, मैंने कहा आज तो मुझे चाहिए क्यों की बदन में काफी दर्द है, उसने सहमति दे दी, फिर हम दोनों पिने लगे, पीते पीते रात के करीब ११ बज गए, रामगोपाल ने कहा मैडम आप काफी अच्छी हो, मैंने कहा अच्छी मतलब, क्या सेक्सी नहीं हु, मेरे आवाज़ लड़खड़ा रहे थे, बोला हां मैडम, आज तो आपको देखा ब्रा और पेंटी में मेरा तो दिमाग ही घूम गया, गजब की सुन्दर हो ऊपर से निचे तक, तो मैंने कहा फिर तेरे को क्या बे, मैं हु तो हु, रामगोपाल बोला नहीं मैडम मैं तो आपका ड्राइवर हु, मैंने कहा अबे ड्राइवर क्यों साले कुछ और क्यों नहीं, तो राम बोल उठा आप जो कहेंगे मैडम मैं तो ड्यूटी पे हु, हां साले फिर मेरे बूर को चाट, मैं पी रही रही तो बस मेरे बूर को चाटता रह, मैं अपने लिए पेग बनाई और पी गयी, राम को अपने पास बुला के पेंटी खोल दी और उसका बाल पकड़ ले अपने बूर में सटा दिया वो चाटने लगा, मैं बहुत ही उत्तेजित हो चुकी थी, मैंने उसके सारे कपडे उतार दिया, और मैंने भी नंगी हो गयी,

पांच साल से चुदाई नहीं हुई थी इस्सवजह से मेरे शरीर का रोम रोम काँप रहा था लग रहा था जल्दी से चोद देता, मैंने राम को बेड पे पटक दिया और उसके छाती पे बैठ गयी और फिर सरक के उसके मुह पे अपना गीली छूट रख दी मैंने कहा चाट साले चाट मेरे चूत को, मेरा गोरा बदन मचल रहा था, मैं अपने हाथों से चूचियों को दबा रही थी, फिर मैंने सरक के निचे हो गयी, और उसका लौड़ा पकड़ के अपने बूर के मुहाने पे रखी और दबाब दे दी, पूरा लौड़ा मेरे बूर में समा गया था राम का लौड़ा काफी मोटा था लंबा था, फिर मैं गांड उठा उठा के चुदवाने लगी, बेड चू चू चू कर रहा था हरेक धक्के से, राम फिर जोश में आ गया वो मुझे पटक दिया निचे और मोटा लैंड मेरे मुह में डाल दिया, और अंदर बाहर करने लगा एक हाथ से वो मेरे बाल को पकड़ रखा था कभी कभी तो मेरे सांस रुक रहे थे क्यों की उसका लौड़ा मेरे कंठ तक आ रहा था.

उसने फिर अपना मोटा लंड मेरे गांड में घुसाने लगा, मैंने कहा राम दर्द हो रहा है, छोड दो अभी प्लीज, पर वो नहीं माना थूक लगा के वो मेरे गांड में अपना लंड घुसा दिया, फिर करीब पांच मिनट गांड मारने के बाद वो मेरे बूर में लंड घुसा दिया और चोदने लगा, मैं भी हाय हाय हाय कर रही थी और वो झटके दे रहा था फिर करीब ३० मिनट बाद वो मेरे बूर में सारा माल डाल दिया और हम दोनों साथ साथ सो गए, दूसरे दिन भी मैं आगरा में ही रही काम नहीं होने का बहाना कर के और रात दिन चुदाई करवाती रही, करीब ३६ घंटे में १० से १५ बार चुदवाई, फिर दिल्ली लौट आई नीरज अभी तब नहीं आया है गाँव से वो दिन में भी मेरे साथ सोता है, मैं भी खूब चुदवाती हु, पर मेरा मन भर गया है, मुझे कोई और लंड की जरूरत है, अगर आपको चाहिए तो निचे कमेंट करे मैं पर्सनल में आपसे बात करुँगी, ये मेरी सच्ची कहानी है आप को कैसा लगा निचे स्टार पे रेट जरूर करें|



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31 Comments
  1. rakehs
    September 19, 2017 |
    • Badal
      September 20, 2017 |
    • Anonymous
      September 20, 2017 |
  2. Chaman
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  27. raju singh
    September 20, 2017 |
  28. Ashok Singh
    September 20, 2017 |
  29. Anonymous
    September 20, 2017 |


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