धोखेबाज पति
मेरा नाम कामिनी है, स्कूल मेरी और मेरे सहपाठी ऋतिक की मित्रता हो गई।
हमने एक ही कॉलेज में प्रवेश लिया और फिर एक दिन ऐसा आया कि इस मित्रता को हमने रिश्ते में बदल लिया।
हमने मम्मी-पापा को बिना बताए आपस में विवाह कर लिया।
नौकरी के चक्कर में विवाह के बाद मैं और ऋतिक दोनों डेल्ही आ गए।
ढाई साल बाद जब मैं गर्भवती हुई तो दफ्तर आने-जाने में परेशानी होने लगी लेकिन मैं काम पर जाती रही।
एक बार मेरी रात की शिफ्ट थी लेकिन अचानक मेरी तबीयत बिगड़ गई।
इस कारण मैं छुट्टी लेकर रात को समय से पहले ही घर आ गई लेकिन घर में जो मुझे दिखा वह मेरे लिए बहुत बुरा था।
ऋतिक और आयशा दोनों साथ इस हालत में थे कि यहाँ लिखना भी मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।
आयशा भी मेरे साथ स्कूल और कॉलेज में मेरे साथ थी और मेरी पक्की सहेली थी, मुझे पता था कि यहीं दिल्ली में एक पीजी में रह कर नौकरी कर रही है, अब भी कभी कभार हमारी फोन पर बात भी हो जाती थी.
वह नज़ारा देख कर मेरी समझ में नहीं आया कि मैं किससे क्या बात करूँ और उसी समय घर से निकल पड़ी।
क्योंकि मैंने शादी मम्मी पापा की इच्छा के विरुद्ध हुई थी तो उनके पास नहीं जा सकती थी।
ऋतिक मेरे पीछे आया यह बताने के लिए कि उसे मेरी परवाह है लेकिन उसके शब्द लड़खड़ा रहे थे।
मुझे ऐसा लग रहा था कि वो कुछ न बोले क्योंकि बात जितनी बढ़ती उतनी ही मेरा दर्द बढ़ता।
आखिर मैंने अपनी एक सहेली की मम्मी के पास रह कर प्रसव का समय बिताया।
अब मेरा एक बेटा है।
अब फेसबुक पर ऋतिक के लगातार रिक्वेस्ट आ रहे हैं कि मैं वापस आ जाऊँ।
ऋतिक को त्वचा रोग हो गया है और आयशा भी उसे छोड़ कर जा चुकी है।
मेरी समझ में नहीं आ रहा कि मुझे क्या करना चाहिए।
मेरा दिमाग तो यही कहता है कि उसकी और देखूँ भी नहीं लेकिन मैन है कि बचपन की उन यादों को ताजा करने लगता है।