धोती वाले बूढ़े का लंड लिया!

 
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दोस्तों मेरा नाम पल्लवी हे और मैं पंजाब से हूँ. लेकिन मेरी शादी यहाँ मुंबई में एक बिजनेशमेन गगन से हुई हे. मैं और मेरा सरदार एक फ्लेट में रहते हे. मैं बचपन से ही थोड़ी अलग हूँ. मुझे नंगे घूमना और चुदाई करवाना बड़ा पसंद हे. मेरी बिल्डिंग में बहुत सब फ्लेट्स हे. और यहाँ पर देश के विभिन्न हिस्सों से आये हुए लोग रहते हे. उनमे से चुनिन्दा ही हमारे करीब हे. आज की ये हिंदी सेक्स कहानी हे वो मेरी पड़ोस के एक बाबे यानी की बूढ़े की हे. धोती पहन के घूमते उस बूढ़े का नाम दिनेश पटेल हे.

दिनेश अपने बेटे और बहु के साथ फ्लेट में रहता हे. उसकी बीवी को मरे हुए कुछ साल हो गए हे. वो एक रंडवा हे. मैं अक्सर फ्लेट में सिर्फ ब्रा और पेंटी पहन के घुमती थी. और मैंने अक्सर देखा की ये बुढा अपनी आँखे मेरी खिड़की की तरफ लगाए हुए रहता था. शायद उसने मुझे काफी बार ब्रा पेंटी में घूमते हुए देखा था. इसलिए वो तलाश में रहता था बार बार मुझे ऐसा देखने के लिए.

सच कहूँ तो मुझे पहले थोडा अजीब सा लगता था. फिर मैंने सोचा की क्यूँ ना ट्राय कर के देखा जाए! की क्या इस बूढ़े का लंड मेरी चूत को पानी पिला सकता हे. इस शैतानी ख्याल ने मेरे अन्दर एक अलग ही फेंटसी को जनम दे दिया दोस्तों. मैं पोर्न मूवीज में और कहानियों में पढने और देखने लगी मच्योर सेक्स को! दिनेश काका का लंड कितनी साइज का होगा और उसके अन्दर कितने टाइम चोदने की एनर्जी होगी? ये जैसे किसी वैज्ञानिक का रिसर्च विषय हो मैं वैज्ञानिक होऊं ऐसे फिल होने लगा था.

बुढा दोपहर में एकदम अकेला होता था. बेटा और बहु दोनों काम पर जाते थे. तब मैंने उसे सेड्युस करने का अपना प्लान चालु कर दिया. मैंने दिनेश की बहु मिताली से नजदीकी बनाई. और उस बहाने मैं उनके घर आने जाने लगी. दिनेश अंकल मैं जब भी जाती थी तो एकदम चहक सा जाता था! और मैं बार बार उसकी धोती के उस हिस्से को देखती थी जहां पर लंड होता हे ?

मिताली भी जॉब करती हे इसलिए दोपहर में दिनेश एकदम कल्ला यानी की अकेला होता हे. एक दिन मैं ढीली नाइटी और अन्दर बिना ब्रा पेंटी पहने हुए उसके घर चली गई.

मैंने डोरबेल बजाइ. उसने पहले दरवाजे को चेन के सहारे अटका के देखा की कौन हे. फिर उसने दरवाजा पूरा खोला. वो ऊपर से निचे तक मुझे देखने लगा. और फर बोला, मिताली तो जॉब पर हे?

मैंने कहा मैं आप से मिलने नहीं आ सकती हूँ क्या?

वो बोला, क्यूँ नहीं बेटा आ जाओ!

मैं अन्दर आई, वो दरवाजा बंध करने के लिए रुका हुआ था. मैंने तिरछी नजर से पीछे देखा तो वो मेरी बड़ी बम्स वाली एस को देख रहा था. उसने अभी भी धोती ही पहनी हुई थी. मैं सोफे पर बैठी और वो सामने आ बैठा. मैंने कहा, मिताली कह रही थी  की बाबूजी दोपहर में बोर हो जाते हे कभी कभी कम्पनी दे दिया करों उन्हें इसलिए मैं आ गई.

दिनेश ने कहा, अच्छा किया, मैं पानी लाऊं?

मैंने कहा नहीं पानी पी के आई हूँ मैं. मुझे बहुत नींद आ रही थी फिर सोचा आप के पास आ जाऊं.

ये कह के मैंने एक जम्भाई ले ली. मैंने जानबूझ के अपनी छाती को पूरा बाहर कर दिया. मेरी नाइटी के ऊपर के हिस्से में मेरी निपल्स ने अपने निशान दिखा दिए. और इस बूढ़े ने उन्हें देख लिया. बस मैं यही तो चाहती थी! फिर मैंने कहा, आप की वाइफ को गुजरे हुए काफी टाइम हुआ ना?

वो बोला, हां.

मैंने कहा, सो सेड, आप अकेले बोर होते होंगे ना.

दिनेश बोला, दिन में ही बोर होता हूँ, रात में तो बेटा और बहु होते हे साथ में.

मैंने कहा, अब से मैं आ जाउंगी क्यूंकि मैं भी दोपहर में अकेली ही होती हु.

वो बोला, मैं शरबत ले के आता हूँ.

वो चला गया. और 2 मिनिट में वापस आया ट्रे ले के. उसने रोस यानी की गुलाब का शरबत बनाया था. मुझे उसने ग्लास दिया. मैंने शरबत लेते वक्त उसकी आंखो में आँखे डाली और उसके हाथ को टच किया. उसके हाथ में कम्पन से आ गए मेरे छूने से.  वो मुझे देखने लगा. मैंने उसका हाथ पकड लिया. वो मेरे करीब आ गया.

मैं उठ खड़ी हुई और इस बूढ़े ने हिम्मत कर के मेरी चुन्चिया पकड ली. मैंने उसे अपने गले से लगा लिया. मैंने महसूस किया की उसका लंड धोती के अन्दर तन सा गया था और मेरी चूत पर दस्तक दे रहा था. बूढ़े के लंड में बड़ी ताकत उस वक्त तो लग ही रही थी. मैं खुद को रोक नहीं सकी. मैंने अपना हाथ निचे कर के उसके लंड को टच कर लिया. बाप रे इस लंड में तो जवान मर्दों से भी अलग बात थी.. एकदम लोहे सा था!

मैंने धोती की छोर को पकड़ के खिंचा तो वो अपनेआप ही निकल पड़ी. दिनेश ने अन्दर स्ट्रिपवाला चड्डा पहना हुआ था. और उसके अंदर टट्टार हुआ उसका लंड साफ़ दिख रहा था. मैंने लंड को पकड़ के दबा दिया. दिनेश ने मेरी गांड को  पकड़ के मुझे अपनी तरफ खिंचा. मेरे बूब्स उसकी छाती से और मेरी योनी उसके लंड पर दब गई. उसने नाईटी के अंदर हाथ डाल के दोनों बूब्स पकड लिए और उन्हें नोंचने लगा.

मैंने कहा रुको, और ये कह के मैंने नाइटी उतार दी. वो मेरे नंगे बदन को देख के चौंक सा गया. मेरा फिगर एकदम मस्त हे, बोडी शेप में हे और बूब्स और बम्स बहार को निकले हुए हे. दिनेश ने मेरी गांड पर हाथ रख के उसे दबा दिया. और फिर वो मेरे निपल्स को चूसने लगा.

मैंने उसके लौड़े को अपनी मुठी में जकड़ लिया. और मैं उसे मुठ मारने लगी. एक मिनिट तक ये सब चला. फिर वो बोला, चलो बिस्तर में.

मैंने मन ही मन में सोचा, यहाँ तो तेरे लंड की ताकत देख ली बूढ़े, असली मर्दानगी तो बिस्तर में ही पता चलेगी. वो मुझे अपने बेटे और बहु के बेडरूम में ले आया. और वहां के नर्म गद्दे पर मैं लेट गई. उसने मेरी टाँगे खोली और मेरी चूत के सामने बैठ गया. मैं कुछ कहती उसके पहले तो वो उसे किस करने लगा. एक मिनिट में उसकी जबान मेरी क्लाइटोरिस को टच करने लगी थी. मेरी तो जान ही निकल गई जैसे. मैंने बेड को नोंच लिया. और दिनेश के बाल पकड़ के उसे अपने बुर पर दबाने लगी. वो और भी जोर जोर से सक करने लगा और साथ में उसने अपनी एक ऊँगली भी मेरी चूत की छेद में घुसा दी. वो मेरी चूत को ऊँगली से चोद रहा था और चाट रहा था.

बाप रे ऐसे तो मुझे गगन ने भी कभी ओरल फिलिंग नहीं करवाई थी. मैं आह्ह्ह अह्ह्ह अंकल अह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह करने लगी. और वो था की चुपचाप अपने काम में लगा रहा. उसने मस्त 10 मिनिट तक मुझे चूसा और मैं 2 बार झड़ भी गई. जब वो उठा तो उसके मुहं और होंठो के ऊपर मेरे चूत चाटने के निशान यानी की मेरी चूत का पानी लगे हुए थे. उसने सब चाट लिया.

फिर वो मेरे मुहं के पास आ खड़ा हुआ. मैंने उसके लंड को देखा. उसके छेद से प्रिकम निकल पड़ा था. मैंने अमृत जैसी उस बूंद को अपने होंठो से चाटी. दिनेश अंकल बोला, चल रंडी अब तू मुझे चूस दे!

साला इतना बड़ा डिमोशन, बेटी से रंडी! पर सेक्स में सब चलता हे!

मैंने अंकल की पेनिस को सक करना चालू कर दिया. वो बड़े ही मजे से आह आह कर रहा था. एक मिनिट से कम समय में उनका वीर्य निकल पड़ा. मैं मन ही मन बोलने लगी, बस यही थी इस कडक लंड की सीमा!

फिर मैंने सोचा की शायद बहुत वक्त से इस बूढ़े को कुछ मिला नहीं होगा, और वीर्य भी तो उसने छोटी शीशी भर जाए उतना निकाला था. वो भरा हुआ था उसके अंडकोष में शायद एक जमाने से!

मैं अंकल का सब पानी पी गई. वो बेड पर बैठ के बोला, आज सालों के बाद किसी ने मुझे शांति दी हे! मन तो करता हे की तुम्हे अपनी सब दौलत दे दूँ.

मैंने कहा, अंकल दौलत नहीं चाहिए आना लौड़ा ही डाल दो मेरी बुर में. मैं भी प्यासी हूँ किसी बूढ़े से चूदने के लिए. वो बोले, रुक जाओ, अभी खड़ा करता हूँ और फिर मेरा हाथ पकड़ के उन्होंने लंड पकडवा दिया. मैंने जरा सा हिलाया था की लंड में फिर से खलबली सी मच गई. वो धीरे धीरे टाईट होने लगा था. एक मिनिट से कम समय में वो खड़ा हो गया और मेरे हाथ से लम्बा हो गया. अंकल का लंड कम से कम 7 इंच का था और मेरी हथेली होगी साढ़े 6 इंच की.

अंकल जी ने कहा चलो टाँगे खोलो अपनी.

मैंने ऐसा ही किया. वो कडक लंड को ले के मेरी टांगो के बिच में बैठ गए. और उन्होंने उसे एक धक्के में मेरी योनी में प्रवेश करवा दिया. मैं जूठ नहीं बोलूंगी लेकीन मुझे बहुत दर्द हुआ. लेकिन बूढ़े से चुदने की फेंटसी ने दर्द का उतना अहसास नहीं होने दिया.

दिनेश अंकल तो जैसे मेरा  कर रहा था. उसने मेरे मुहं में अपने होंठो को लगा दिया था. बूब्स पर दोनों हाथ थे और निचे लंड से वो धक्के लगा रहा था. मैं भी फुल एन्जॉय कर रही थी. उसने कम से कम 20 मिनिट तक ऐसे ही हार्ड फकिंग किया मेरा. और फिर मैंने कहा, अंकल चलो आसन बदलते हे. वो बोला कुतिया बनोगी?

मैंने कहा आप की रंडी हूँ मैं तो आप चाहो वो बन जाउंगी.

दिनेश अंकल बोले, चल छिनाल जल्दी से अपनी गांड पसार दे और मेरी कुतिया बन जा.

मैं डौगी पोजीशन में आ गई. अंकल ने पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डाला. और फिर फक फक की आवाज आई. वो इतनी जोर से चोद रहे थे की लंड सीधे बच्चेदानी से लग रहा था. कसम से ऐसा चुदने का मजा लाइफ में पहले कभी नहीं आया था.

कुतिया बना के भी उन्होंने मुझे सात आठ मिनिट तक चोदा. और फिर फटाक से लंड को उन्होंने चूत से बाहर निकाला. मेरी गांड पर रख के दबाया तो लंड के अन्दर से गर्म गर्म पानी निकल के मेरे बम्स पर बह गया बड़ी ही होर्नी फिलिंग थी एक बूढ़े के स्पेर्म्स को अपनी गांड पर निकलवाने की!

मैं तृप्त हो गई थी और अंकल भी खुश हो चुके थे. हमने कपडे पहने और हॉल में आ के बैठ गए!



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