बस के स्लीपर में भाभी की चुदाई
हैल्लो दोस्तों, में सुमित उम्मीद करता हूँ कि आप सभी चाहने वाले इस पर रोजाना नयी नयी कहानियाँ पढ़कर अपनी सेक्स की आग को और हवा दे रहे हो. दोस्तों वैसे में भी बहुत अच्छी तरह से समझता हूँ कि सेक्सी कहानियाँ पढ़ने से चुदाई की इच्छा इतनी बढ़ जाती है और उस वक़्त जो भी चूत सामने मिले मन करता है कि उसी को चोद दूँ और इस वजह से ही लोग किसी भी रिश्ते की परवाह किए बगैर सिर्फ़ चुदाई के बारे में सोचते है और अपने अंदर जल रही उस सेक्स की आग को ठंडा करते है. दोस्तों में भी कामुकता कहानियाँ बहुत समय से पढ़ता आ रहा हूँ और यह सभी कहानियाँ पूरे बदन में लगी आग को और भी भड़का देती है.
दोस्तों अब में अपने बारे में बताता हूँ, में मिस्टर सुमित एक बंगाली लड़का हूँ और में वेस्ट बंगाल के कोलकाता शहर का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 29 साल है. में शादीशुदा हूँ और मेरी बहुत ही अच्छी, सुंदर एक पत्नी है और मेरे तीन लड़के है. दोस्तों में अपनी शादीशुदा जिन्दगी में बहुत मज़े करता हूँ, लेकिन बात तो अब वो थी कि सभी बोलते है और बहुत अच्छी तरह से जानते भी है कि एक मर्द को जितनी भी बार चूत, चुदाई करने को मिल जाए उसकी चोदने की भूख कभी कम नहीं होती, लंड कुछ देर बाद दोबारा खड़ा होकर एक प्यासी चूत में जाने के लिए एक बार फिर से तैयार हो जाता है.
दोस्तों मेरे साथ भी बिल्कुल कुछ ऐसा ही है. में भी चुदाई करने का बहुत दीवाना हूँ और मुझे कोई भी प्यासी चूत मिल जाए तो में उसे चोदकर अपने लंड का दीवाना बना देता हूँ और ऐसा मैंने बहुत बार किया है. मेरे लंड से चुदकर हर एक चूत को बहुत संतुष्टि मिल जाती है. दोस्तों मैंने ऐसा अपने पड़ोस में रहनेवाली कुछ भाभियों को और अपनी तीन भाभियों को बड़े ही प्यार से पटाकर चोदा है, लेकिन हाँ मैंने कभी भी अपने बीच में बनी रिश्ते की दीवार को नहीं गिराया है.
दोस्तों में आप सभी के सामने अपनी एक पड़ोस की भाभी की चुदाई की कहानी बता रहा हूँ जिसे चोदने की मेरी इच्छा बचपन से थी जो कि अब फरवरी के महीने में पूरी हुई. दोस्तों मेरी भाभी इतनी सुंदर तो नहीं है कि जो भी उसे देखे उसका लंड भाभी को चोदने के लिए खड़ा हो जाए, लेकिन पता नहीं क्यों फिर भी में उसे हमेशा से ही चोदना चाहता था.
पहले तो वो दुबली पतली सी थी और उसकी वो छोटी छोटी चूचियाँ मुझे बहुत अच्छी लगती थी, लेकिन अब वो समय के साथ साथ थोड़ी मोटी हो चुकी है और मोटे होने साथ साथ अब उसके चूतड़, बूब्स ने भी अपना आकार बदल लिया है जिसकी वजह से में उस जिस्म का बिल्कुल दीवाना हो चुका हूँ और अब उसका शरीर पहले से भी बहुत अच्छा दिखता है मतलब अब तो वो और भी चुदासी और सेक्सी लगती है. अब उसकी चुचियाँ भी बहुत बड़ी हो गयी है बिल्कुल गोल गोल, लेकिन हाँ मोटी औरतों की झूलती हुई चूचियों की तरह नहीं बल्कि एकदम टाईट है.
दोस्तों जैसा कि आप लोग सेक्सी कहानियों को पढ़कर सोचते होंगे कि भाभियों को अपनी बातों में फंसाकर चोदना बहुत आसान होता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है अगर ऐसा होता तो में कब का अपनी भाभी को चोद देता और मुझे उनकी चूत मिलने में इतना लंबा समय नहीं लगता और मेरे मन की इच्छा बहुत पहले ही पूरी हो चुकी होती, लेकिन उसे चोदने का मौका मुझे इस बार मेरी अच्छी किस्मत से मिल ही गया और मैंने उसे एक बस के स्लीपर कोच में चोदा.
दोस्तों इस बार कुछ ऐसा हुआ कि बस में हमे एक बहुत लंबा सफर तय करना था और मेरी अच्छी किस्मत से मुझे बस में एक भी सीट खाली नहीं मिली तो हमें मजबूरी में एक स्लीपर लेना पड़ा जिसकी वजह से में तो मन ही मन बहुत खुश था, लेकिन भाभी अब थोड़ा अच्छा महसूस नहीं कर रही थी और में उनकी इस बैचेनी की वजह भी बहुत अच्छी तरह से समझ चुका था. मुझे पता था कि अब उनके मन में क्या क्या चल रहा होगा और वो क्या सोच रही है? अब हम दोनों अपना सामान ठीक जगह पर रखकर बस के स्लीपर पर अपनी सीट पर चढ़कर बैठ गये और मैंने स्लीपर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और फिर में लेट गया, लेकिन भाभी अब भी बैठी हुई थी.
फिर कुछ देर बाद बस चलने लगी और बाहर बहुत अंधेरा सा छा गया और अब में भाभी की पीठ पर अपना हाथ घुमा रहा था और मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था. मुझे अच्छी तरह से पता था कि मेरे ऐसा करने से भाभी गरम हो ही जाएगी, अब उससे पहले मेरा लंड उन्हें चोदने के लिए तैयार हो गया. मैंने कुछ देर बाद भाभी को लेटने के लिए कहा लेकिन भाभी नहीं मानी, ना जाने उनके मन में क्या चल रहा था? और अब मैंने उसे तुरंत जबरदस्ती पकड़कर अपने ऊपर खींचकर अपने साथ लेटा लिया और इसी खींचातानी में उसकी साड़ी का पिन खुल गया, जिसको वो अब लगाने लगी.
मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया और कहा कि रहने दो ना भाभी अब रात में इसे लगाकर क्या होगा? तो भाभी ने उसे वैसे ही छोड़ दिया और वो अब मेरे साथ लेट गई, दोस्तों जैसा कि में पहले भी कई बार उनके बूब्स का बहुत मज़ा ले चुका था तो में बिल्कुल निडर होकर अब अपना एक हाथ उसके बूब्स पर घुमाने लगा और भाभी मुझे ऐसा करने से कभी नहीं रोकती थी और आज भी उन्होंने मुझे ऐसा करने से नहीं रोका था.
अब में धीरे धीरे भाभी के ब्लाउज के एक एक बटन खोलने लगा और फिर उसकी नंगी चूचियों को दबाने लगा, भाभी हल्का हल्का उउउहह आआहह करने लगी थी, लेकिन में तो पूरे मूड में था. में अपने पैरों से भाभी की साड़ी को ऊपर खींचने लगा और उसके पैरों पर अपने पैर रगड़ने लगा, क्योंकि मुझे बहुत अच्छी तरह से पता था कि वो मेरे ऐसा करने से बहुत जल्दी गरम हो जाएगी, लेकिन जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाला और उसकी पेंटी को हाथ लगाया तो भाभी अचानक से उठकर बैठ गई.
अब वो मुझे यह सब करने से रोकने लगी और मुझसे कहने लगी कि क्या तुम्हे पता भी है कि तुम मेरे साथ यह क्या कर रहे हो थोड़ा अपने आप पर कंट्रोल करो और चुपचाप सो जाओ? दोस्तों में आज रुकना नहीं चाहता था और मुझे तो आज कैसे भी उस चूत के दर्शन करने थे जिसको में इतने सालों से अपने सपनों में मेरे लंड से चुदता हुए देख रहा था तो फिर आज में कैसे पीछे हटता? अब मेरे ऊपर तो उसकी चुदाई का भूत सवार था.
फिर मैंने भाभी से बोला कि भाभी प्लीज़ ऐसा मौका मुझे और कभी नहीं मिलेगा, प्लीज़ आज मुझे मत रोको और मुझे वो सब करने दो जो में करना चाहता हूँ प्लीज, लेकिन भाभी मेरे इतना कहने समझाने के बाद भी नहीं मान रही थी, लेकिन दोस्तों में भी मन ही मन ठान चुका था कि जो भी होगा देखा जाएगा. फिर में उसकी जांघों को धीरे धीरे मसलने, सहलाने लगा जिसकी वजह से भाभी अब धीरे धीरे कसमसा रही थी और में समझ चुका था कि वो कुछ समय जरुर लगाएगी, लेकिन चुदने को जरुर तैयार हो जाएगी और उस बात का फायदा उठाते हुए मैंने अपना एक हाथ धीरे से उसकी गरम, पेंटी पर रखा तो मैंने महसूस किया कि उसकी पेंटी अब भीग चुकी थी और अब में समझ गया कि भाभी भी गरम हो चुकी है, लेकिन वो मुझे अपनी चूत को चोदने नहीं देना चाह रही थी.
फिर मैंने घड़ी में टाईम देखा तो मेरे पास अभी और कुछ घंटे ही बचे थे और इस बीच मुझे उनकी चुदाई के काम को पूरा भी करना था जो मेरे लिए बहुत मुश्किल था, लेकिन नामुमकिन नहीं था. फिर में अपना हाथ धीरे धीरे उसकी पेंटी पर चूत के ऊपर से रगड़ने लगा और अब मैंने महसूस किया कि भाभी का बदन अकड़ रहा था और वो ऊपर के मन से मना भी नहीं कर रही थी.
अब में धीरे धीरे उसकी पेंटी को नीचे खींचने लगा और फिर मैंने पेंटी को पूरा नीचे उतार दिया और अब में अपने हाथ से उसकी उस बालों से भरी चूत को रगड़ने, सहलाने लगा वाह दोस्तों मैंने हाथ लगाकर महसूस किया कि उसकी चूत तो पूरी गीली हो चुकी थी और अब में अपनी एक उंगली से उसकी चूत को चोदने लगा और भाभी हल्की आवाज़ के साथ उुउऊहह आआहह ऊओफफफ्फ़ ऊऊफफह करने लगी. दोस्तों मैंने भी कुछ देर बाद सही मौका देखा और अपनी पेंट को उतार दिया और साथ ही साथ अपनी अंडरवियर को भी, क्योंकि मेरा लंड तो उस चूत को चोदने के लिए कब से तैयार खड़ा था और वो चूत आज मेरे हाथ में थी जिसको चोदना अब मेरा सबसे बड़ा सपना था.
अब में भाभी के ऊपर आ गया और मैंने दोनों पैरों को फैलाकर अपना लंड धीरे से धक्का देकर भाभी की चूत में डाला और जैसे ही मेरा लंड भाभी की चूत में गया तो भाभी ने ज़ोर से कसकर मुझे पकड़ लिया और सिसकियाँ भरने लगी. मैंने भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए भाभी की बहुत अच्छी तरह से चुदाई कर डाली. फिर में लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के देता रहा और वो मेरे लंड के अंदर बाहर होने के साथ साथ सिसकियाँ लेने लगी. बस मैंने करीब बीस मिनट तक चुदाई का पूरा मज़ा लिया और मैंने अपना वीर्य चूत में डाल दिया, लेकिन कुछ बाहर भी निकला जिसको भाभी ने साफ किया.
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