मम्मी की समझदारी
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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रोहन है और में 19 साल का हूँ. आज में आप सभी चाहने वालों को अपनी एक ऐसी अविश्वसनीय घटना जो मेरे साथ अभी कुछ समय पहले हुई है उसे बताने जा रहा हूँ. दोस्तों उसके बाद मेरा पूरा जीवन बदल गया और अब में उस घटना को पूरी तरह विस्तार से सुनाता हूँ और थोड़ा अपना, अपने परिवार वालों का आप लोगों से परिचय भी करवा देता हूँ.
दोस्तों में एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ मेरे शहर में कोई अच्छा कॉलेज ना होने की वजह में पास के एक बड़े शहर के कॉलेज में पढ़ता हूँ और में बीकॉम के दूसरे में अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ और वहीं पर एक हॉस्टल में रहता हूँ बस में अपनी छुट्टियों में ही अपने घर पर आता जाता हूँ और में अपने माँ, बाप का एकलौता बच्चा हूँ. दोस्तों मेरे पापा एक सरकारी ऑफिस में क्लर्क थे और अभी कुछ समय पहले मेरे पापा की हार्ट अटॅक से म्रत्यु हो गयी थी.
फिर उनकी जगह मेरी मम्मी को नौकरी मिल गयी थी. बस अब घर में हम दो लोग ही थे और हम दोनों बहुत प्यार से रहते थे. दोस्तों कुछ दिन पहले मेरे कॉलेज में सभी प्रोफेसर्स ने हड़ताल कर दी जिसकी वजह से अब मेरी एक हफ्ते के लिए पढ़ाई बंद थी इसलिए मैंने मन ही मन सोचा कि क्यों ना में अपने घर पर चला जाऊँ? क्योंकि उस समय मेरा अपनी मम्मी से मिलने का बहुत दिल कर रहा था और में अपने हॉस्टल का बेकार खाना खा खाकर बहुत ज्यादा परेशान भी हो चुका था और इसलिए मैंने एक हफ्ते के लिए वापस अपने घर पर जाने का फ़ैसला किया. फिर में अपने कुछ दोस्तों से मिला और उनको अपने घर पर जाने की बात बताई.
मैंने अपना बेग पेक किया और दोपहर की बस पकड़कर में अपने शहर चल पड़ा. अब में पूरे रास्ते में सोच रहा था कि मैंने बहुत अच्छा किया कि अपनी मम्मी को फोन करके अपने आने की खबर नहीं दी और में अचानक से उनको पहुंचकर एकदम चकित कर दूंगा और वो मुझे देखकर बहुत खुश हो जाएगी. अब शाम तक अपने घर पर पहुँचकर मम्मी को रात के खाने से पहले अचानक से चकित कर दूँगा. फिर मम्मी के हाथ का बना हुआ बढ़िया खाना खाऊंगा.
दोस्तों बस में चुपचाप अपनी आखें बंद किए अपने ही सपनो में खोया हुआ सफ़र कर रहा था और शाम के करीब 7 बजे तक में अपने शहर के बस स्टेंड तक पहुँच गया और मेरा घर बस स्टेंड से करीब 4 किलोमीटर के करीब था इसलिए मैंने रिक्शा से जाने की जगह पैदल जाना ठीक समझा, क्योंकि पैदल घूमना मुझे बहुत पसंद था और इससे शरीर की एक्सर्साइज़ भी हो जाती है. अब में घूमते घूमते बड़े आराम से रात के करीब 8 बजे के पहले अपने घर के पास पहुँच गया, मैंने देखा कि एक कार हमारे घर के पास खड़ी हुई है, लेकिन उसे देखकर मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आया था कि यह कार किसकी है?
दोस्तों मुझे उस कार को देखकर पक्का विश्वास हो गया था कि हमारे घर कोई तो जरुर आया हुआ है और दोस्तों वैसे हमारा घर जिस कॉलोनी में है वो कॉलोनी शहर से थोड़ा अलग हटकर सुनसान से इलाक़े में है और वहाँ पर आसपास घर भी कम ही है अगर किसी का एक घर है तो पास वाले तीन या चार प्लॉट खाली छोड़कर फिर अगला मकान है.
में वो सभी बातें सोचते सोचते अपने घर के अंदर दाखिल हुआ और इससे पहले कि में दरवाजे पर लगी घंटी बजाता मुझे अंदर से अपनी मम्मी की ज़ोर ज़ोर से हंसने की आवाज़ सुनाई दी और दोस्तों सच पूछो तो मुझे अपनी मम्मी का इस तरह से हंसना थोड़ा अजीब लगा, क्योंकि इस तरह से मैंने अपनी मम्मी को पहले कभी भी हंसते हुए नहीं सुना था. फिर में धीरे से अपने घर के पीछे की तरफ चला गया वहां पर पहुँचकर मैंने अपनी मम्मी के बेडरूम की खिड़की जो पीछे की तरफ खुलती थी.
अब मैंने उस खिड़की से अंदर झांककर देखा तो में एकदम दंग रह गया और अब मुझे अपनी आखों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं आ रहा था. मुझे वो सब देखकर ऐसा लगा कि जैसे में कोई सपना देख रहा हूँ, लेकिन तभी एक मिनट बाद में दोबारा अपने होश में आ गया और फिर मैंने महसूस किया कि यह मेरा खुली आखों से देखा हुआ कोई सपना नहीं था, यह तो हक़ीक़त ही थी और क्या कभी ऐसा भी हो सकता है यह सब मैंने पहले कभी भी सोचा नहीं था.
मैंने देखा कि मेरी मम्मी और मेरे दूर के मौसा जी एक ही बेड पर एक ही चादर में पूरे नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए पढ़े थे. उनके पास में एक टेबल पर बियर की बॉटल पढ़ी हुई थी और उसके साथ में एक गिलास और कुछ नमकीन भी रखे हुए थे. अब मेरी मम्मी और मौसा जी एक दूसरे को बहुत प्यार से धीरे धीरे सहला रहे थे और इतने में मम्मी मेरे मौसा जी की तरफ देखकर मुस्कुराई और वो उनसे बोली कि में अभी आई, मम्मी ने अपने शरीर के ऊपर से वो चादर हटाई और वो बेड से उठकर उसी नंगी हालत में सीधी बाथरूम की तरफ चल पड़ी, उफफफ्फ़ दोस्तों में बस उन्हें देखता ही रह गया. दोस्तों में अपनी अब तक की उम्र में आज पहली बार किसी औरत को पूरी नंगी देख रहा था और किस्मत से वो भी अपनी ही मम्मी को.
फिर जब वो बाथरूम की तरफ जा रही थी तो उनके विशाल चूतड़ बहुत ही सेक्सी तरीके से ऊपर नीचे हो रहे थे और यह सब देखकर मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था.
दोस्तों मम्मी के चूतड़ बहुत ही गोरे, बेदाग, बड़े आकार, बिल्कुल चिकने और फुटबॉल जैसे गोल गोल थे और मेरी मम्मी की कमर भी बहुत सेक्सी थी. मम्मी पीछे से बहुत ही सेक्सी दिख रही थी इसलिए मेरे मौसा जी भी मेरी मम्मी को लगातार पीछे से घूर रहे थे और उस समय पता नहीं क्यों मेरा दिमाग़ एकदम से पागल हो गया और मुझसे वो सब देखकर रहा नहीं गया और मैंने भी अपना लंड अपनी पेंट से बाहर निकाल लिया जो अब तक बहुत कड़क हो चुका था. दोस्तों वैसे में अपनी मम्मी के बारे में भी बता दूं, मेरी मम्मी का नाम मोनिका है और उनकी उम्र 40 के आसपास है उनकी हाईट 5.6 है और उनका रंग गोरा बिल्कुल गोल सुंदर चेहरा और तंदुरुस्त शरीर है. फिर करीब पांच मिनट में ही मम्मी बाथरूम से बाहर आ गयी और बेड की तरफ बढ़ने लगी.
अब में अपनी मम्मी को सामने से पूरा नंगी देख रहा था. उन्होंने अपने सर के बालों को पीछे की तरफ हल्का सा बांधा हुआ था. सुंदर चेहरा, बड़ी बड़ी आखें, तीखा नाक, बहुत कामुक बिल्कुल गुलाबी होंठ फूले हुए गाल, एकदम भरा हुआ चेहरा, फिर नीचे की तरफ आते हुए बड़े और नुकीले बूब्स इस उम्र में भी उनके बूब्स कसे हुए थे. भरी हुई बाहें फिर और नीचे मजबूत कमर, लेकिन पेट बाहर नहीं था गोल और गहरी नाभि जिस में लंड का सुपाड़ा डालने का मन करे. उसके नीचे बिना बालों वाली चिकनी चूत.
मैंने अपनी अब तक की उम्र में आज पहली बार किसी की चूत देखी थी और किस्मत से वो चूत देखी जिस में से में निकलकर इस दुनिया में आया था. मम्मी के पैर भी चिकने और भरे हुए थे. मम्मी का शरीर बहुत चिकना और गदराया हुआ था उनके जिस्म पर फालतू बाल बिल्कुल भी नहीं थे. तो इतने में मम्मी आकर बेड के पास खड़ी हो गयी और मौसा जी को देखकर मुस्कुराने लगी. मौसा जी उनसे बोले कि सचमुच जब से तुम मेरे जीवन में आई हो मेरे जीवन में खुशी आ गयी है. अपनी पत्नी से में कभी भी खुश नहीं था और मुझे जवानी में अपने बाप के कहने पर मजबूरी में उससे शादी करनी पढ़ी और उस बेकार औरत को मैंने दिल से कभी भी स्वीकार नहीं किया था और उसके पास ना सुंदर चेहरा है और ना ही तुम्हारे जैसा गदराया हुआ सेक्सी बदन.
अब मेरी मम्मी ने मौसा जी की यह बात सुनकर पास की टेबल से बियर की बोतल को उठाकर उसमे बची हुई बियर को गिलास में डालकर मौसा जी को हाथ में देते हुआ कहा कि भाई साहब अगर आप ना होते तो हमारा क्या होता? रोहन के पापा की मौत के बाद मुझे उनकी जगह नौकरी मिल गयी, लेकिन साधारण पैसों में आज कल की महंगाई के दौर में गुजारा बहुत मुश्किल से होता है इसलिए में हमेशा बहुत चिंता में रहती थी कि आगे स्कूल के बाद रोहन के कॉलेज हॉस्टल के खर्चे में कैसे चला पाऊँगी, लेकिन वक़्त पर आपका साथ मुझे मिल गया और यह बात कहते कहते मेरी मम्मी भावुक हो गई थी और मम्मी की यह सभी बातें सुनकर मेरा खड़ा लंड भी बैठने लगा था.
इतने में मौसा जी बोल पड़े कि तुमने मेरी ज़रूरत पूरी की है और मैंने तुम्हारी ज़रूरत पूरी की है, इसलिए मेरा मानना तो यह है कि हम दोनों ने एक दूसरे पर कोई एहसान नहीं किया, लेकिन बस मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि मुझे तुमसे वो प्यार मिल गया जिसके लिए में बहुत सालों से तरस रहा था. में रोहन के लिए वो सब करूँगा जो एक बाप अपने बेटे के लिए कर सकता है, लेकिन यह बात तुम्हारे और मेरे बीच ही रहे. तो मम्मी मौसा जी से लिपटकर बोली कि हाँ यह बात आपके और मेरे बीच ही रहेगी में बहुत अच्छी तरह से जानती हूँ कि आप रोहन को एक बाप की तरह ही प्यार करते है इसलिए ही तो मैंने अपने आप को आपकी पत्नी मान लिया है.
अब मौसा जी ने मम्मी की बात सुनकर खुशी से उनके चिकने और फूले हुए गाल पर प्यारी सी पप्पी ले ली और फिर मौसा जी बोले कि क्यों आज दूसरी बार चुदाई का खेल भी खेल लें? तो मम्मी उनकी इस बात का मतलब समझकर मुस्करा पढ़ी और फिर मम्मी बेड पर एक कुतिया वाली पोज़िशन में सेट हो गयी. मौसा जी उठे और उन्होंने पास की ड्रेसिंग टेबल से तेल की एक छोटी बोतल को उठाया और उससे थोड़ा तेल निकालकर अपने लंड पर लगा लिया. दोस्तों में यह सब देखकर समझ गया कि मम्मी की अब गांड चुदाई होने वाली है मेरा लंड यह सब बातें सोचते ही एक बार फिर से धीरे धीरे खड़ा होने लगा था और उधर मौसा जी ने मम्मी के गोल गोल, गोरे गोरे विशाल बेदाग चिकने फुटबॉल जैसे चूतड़ो पर प्यार से हाथ घुमाया और फिर उन्हे चूमा और अपने लंड का सुपड़ा मम्मी की गांड के छेद पर रख दिया.
मम्मी ने इसके आगे मिलने वाले आनंद की कल्पना से ही अपनी दोनों आखें बड़ी बड़ी बंद कर ली और अपने चूतड़ को और अधिक उभारकर अपनी गांड का छेद बिल्कुल ढीला छोड़ दिया था. फिर मौसा जी ने एक हल्का सा धक्का दिया और लंड का सुपड़ा मम्मी की गांड के अंदर चला गया. मम्मी के मुहं से बड़ी ही मजेदार सिसकियाँ निकली और यह सीन देखकर मेरे लंड में भी दोबारा जान आ गई और मेरा हाथ अब अपने लंड पर फिसलने लगा और उधर मौसा जी ने फिर धक्का मारा और अब उनका आधा लंड मम्मी की गांड के अंदर था. मम्मी के मुहं से थोड़ा तेज़ आवाज़ में वाहहहह निकला और इधर मेरा हाथ मेरे लंड पर तेज़ होने लगा.
फिर मौसा जी ने धक्का मारा और फिर उनका पूरा लंड मम्मी की गांड के अंदर चला गया और अपना पूरा लंड मम्मी की गांड के अंदर करने के बाद मौसा जी करीब दो मिनट तक मम्मी की चिकनी गोरी बेदाग और चिकनी पीठ को चूमते रहे. मम्मी अपनी सुंदर आखें बंद किए आने वाले धक्को का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी और यह सब देखकर मेरे लंड दिल और दिमाग़ का बहुत बुरा हाल हो चला था.
मौसा जी ने अपने लंड को मम्मी की गांड से थोड़ा सा बाहर निकाल लिया और फिर से थोड़ा अंदर धकेल दिया. इस तरह मौसा जी धीरे धीरे अपने लंड को मम्मी की गांड में अंदर बाहर करने लगे थे. मम्मी अपनी आखें बंद किए अपने कामुक होठों से मस्ती भरी सिसकियाँ निकाल रही थी और उधर मौसा जी भी अपने लंड की रफ़्तार तेज़ कर रहे थे और धक्के देते हुए लगातार बोल रहे थे वाह मेरी जान मोनिका तुम बहुत अच्छी हो तुम बहुत हॉट, सेक्सी हो आह्ह्ह.
दोस्तों मौसा जी और मम्मी की सेक्सी सिसकियों से बेडरूम धीरे धीरे गूँज उठा और इधर मेरा यह सब देखकर बहुत बुरा हाल हो रहा था और फिर वही हुआ जिस बात का मुझे डर था. अब मेरे लंड से गरम गरम पानी निकलकर मेरा हाथ गंदा कर रहा था और मुझे उस समय ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे सर से बुखार धीरे धीरे उतर रहा हो, क्योंकि में पहले भी मुठ मारा करता था, लेकिन दोस्तों मेरे लंड से इतना पानी और इतनी गर्मी पहले कभी नहीं निकली और ना ही इतना मज़ा मुझे इससे पहले कभी मुठ मारने में आया था.
फिर मैंने खिड़की से अंदर झाँका तो उधर मौसा जी भी अपने लंड को मम्मी की गांड के अंदर खाली कर रहे थे मम्मी के ऊपर लेटे हुए उनकी पीठ और गर्दन को चूम रहे थे और इससे पहले कि कोई मुझे देख ना ले में खिड़की से एकदम दूर हट गया और अपनी जेब से रुमाल निकालकर मैंने अपना हाथ साफ किया और फिर में चुपचाप बिना कोई शोर किए घर से बाहर निकल गया. अब में घर से थोड़ा दूर आकर सिगरेट निकालकर पीने लगा. मेरी सिगरेट खत्म होते ही मैंने मौसा जी की कार को वहाँ से जाते हुए देखा और फिर बहुत कुछ सोच विचार करके मैंने अपने मन में फ़ैसला किया कि यह सब मम्मी मेरे लिए कर रही है और मम्मी की खुद की भी तो कुछ ज़रूरत और चाहतें है, इसलिए में इस बात को अब हमेशा के लिए अनदेखा कर दूँगा और मम्मी को भी कभी यह पता नहीं चलेगा कि में भी अब यह बात जान गया हूँ. फिर में कुछ देर बाद उन सभी बातों से बिल्कुल अंजान होकर अपने घर पर चला गया.
मेरी माँ ने दरवाजा खोला मुझे देखकर पहले तो एकदम चकित हो गई और फिर उनके चेहरे का रंग एकदम उड़ चुका था, पूरे चेहरे पर बहुत पसीना था, लेकिन अब शायद वो भगवान को मन ही मन मुझे उनका काम खत्म हो जाने के बाद पहुँचाने के लिए धन्यवाद देती हुई थोड़ी खुश दिखने लगी और फिर उन्होंने मुझे अचानक से बिना बताए चले आने की बात पूछी. तो मैंने भी उनको सभी बातें बताते हुए अपना सर दर्द होने का बहाना बनाया और में अपने कमरे में जाकर लेट गया . दोस्तों यह थी मेरी माँ की समझदारी.
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