हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम निशा है. दोस्तों में एक बार फिर से अपनी एक और दूसरी नई कहानी के साथ आप लोगों के सामने आई हूँ. अब में पहली बार अपनी चुदाई किसी मर्द से कर रही हूँ और यह मेरा पहला सेक्स अनुभव है, जिसको आज में सुनाने जा रही हूँ.
दोस्तों में पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियों को पढ़कर उनके मज़े लेने लगी, जिसकी वजह से मेरा जोश पहले से ज्यादा बढ़ गया और मुझे अपनी चूत में किसी लंड की कमी महसूस होने लगी थी, इसलिए में अब अपने गोरे सेक्सी जिस्म की आग को ठंडा करने के लिए अपनी बहुत अच्छी दोस्त वंदना को कहा कि में किसी मर्द से अपनी चुदाई करवाना चाहती हूँ, मुझे अब बिल्कुल भी रहा नहीं जाता.
तब उसने बहुत ध्यान से मेरी परेशानी को सुनकर समझकर कुछ सोचकर मुझसे कहा कि में तुम्हारे लिए जरुर उसका इंतजाम करूंगी और फिर मैंने उसको पूछा कि वो कौन है? तब उसने मुझसे कहा कि वो हमारा नौकर है और उसका नाम रवि है, उनको में अंकल कहकर पुकारती थी, उसकी उस बात को सुनकर पहले में बहुत चकित थी, लेकिन फिर मैंने अपने ठंडे दिमाग से सोचा कि वो मुझे बात तो एकदम सही कह रही थी.
दोस्तों वो एक 40 साल के हट्टेकट्टे बहुत दमदार इंसान थे और वो हर रोज सवेरे जल्दी उठकर कसरत किया करते थे, वो अब तक अकेले थे, मतलब उसकी शादी भी नहीं हुई थी और वैसे में सच कहूँ तो मुझे उसके साथ अपनी चुदाई का विचार अच्छा भी लगा और में अब उसको अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए ऐसे काम करने लगी कि उनकी नजर हमेशा मुझे खा जाने के लिए तैयार रहने लगी थी, वो अब मेरे पास आने मुझे किसी भी बहाने से छूने के मौके देखने लगे थे, मुझे घूर घूरकर देखने लगे थे.
दोस्तों रवि अंकल को में कई बार कसरत करते हुए देख चुकी थी, वो सिर्फ़ अंडरवियर पहनकर ही कसरत किया करते थे, उनके अंडरवियर में होने की वजह से उनका लंड का उभार भी मुझे साफ साफ दिखता था.
फिर एक दिन उस रात को वंदना अपने घरवालों से मेरे साथ रात में रुकने के लिए कहकर वो मेरे घर पर आ गई और उसको मैंने अपनी बाहों में भर लिया और में उसको प्यार करने लगी थी.
कुछ देर बाद उसने एक एक करके मेरे पूरे कपड़े उतार दिए और देखते ही देखते उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया. उसके बाद मैंने भी वंदना को नंगा कर दिया और उसके बाद हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गये और हम दोनों एक दूसरे की चूत को चाटने चूसने लगे थे और मुझे बहुत अच्छी तरह से पता था कि अंकल हमें छुपकर यह सब करते हुए देख रहे है, क्योंकि पहले भी में उनको मेरे ऊपर नजर रखते हुए देख चुकी थी और इसलिए में अब उनको दिखने के लिए जोश में आकर ज़्यादा ज़ोर से वंदना की चूत चाट रही थी.
थोड़ी देर बाद अंकल अपने आपको रोक ना सके और वो अब मेरे पीछे आ गए और मेरी गांड को सहलाने चाटने लगे थे. फिर में एकदम से चौंक गयी, क्योंकि वो अब मेरी चूत और गांड दोनों को एक साथ पागलों की तरह चाटे जा रहे थे, जिसकी वजह से मेरे शरीर में बिजली का करंट दौड़ने लगा था और में उउउफ़्फुफुफुउ ओह्ह्ह्हह हाँ और ज़ोर से चूसो अंकल कहने लग गयी और कुछ ही देर बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और उसको वंदना ने पी लिया.
कुछ देर बाद वंदना भी झड़ गई और मैंने उसका पानी पी लिया और फिर में पीछे मुड़ी और में देखकर बिल्कुल हैरान रह गई, क्योंकि मैंने देखा कि अब अंकल पूरे नंगे होकर खड़े हुए थे और उनका लंड तो एकदम तना हुआ था. उनका लंड करीब 5 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था. अब मैंने तुरंत झपटकर उसको अपने मुहं में ले लिया और में पागलों की तरह उसको लोलीपॉप समझकर चूसने लगी थी और यह मेरा पहला मौका था कि में किसी आदमी का लंड इतने पास से देख रही थी और आज उसको चूसकर उसके मज़े भी ले रही थी.
अब मेरे साथ साथ अंकल को भी बड़ा मज़ा आ रहा था, वो आह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फ़ और ज़ोर से निशा तुम कितना अच्छा लंड चूसती हो, में तो एकदम पागल हो रहा हूँ, वो ऐसा कह रहे थे. अब वंदना भी उनकी गांड के छेद को चाट रही थी.
हम सब लोग 69 की पोज़िशन में आ गए और में अंकल का लंड चूस रही थी और अब अंकल वंदना की चूत को चूस रहे थे और वंदना मेरी चूत को चूस रही थी और हम तीनों को बहुत मज़ा आ रहा था, में तो हवा में उड़ रही थी, आह्ह्ह्हह्ह ऊईईइईईई उूउुफ़ुउऊुुउुफुफूफ और ज़ोर से चूसो इस तरह की आवाज़े निकाल रहे थे और कुछ देर बाद में वंदना के मुहं में झड़ गयी और वंदना अंकल के मुहं में झड़ गयी और अब अंकल भी झड़ने वाले थे, लेकिन कुछ देर धक्के देने के बाद वो भी मेरे मुहं में झड़ गये.
वंदना और अंकल मेरे मुहं को किस करने लगे. दोस्तों मुझे वो स्वाद बड़ा अच्छा लग रहा था, क्योंकि मुझे उस दिन पहली बार एक साथ लंड और चूत का पानी पीने को मिल रहा था. फिर कुछ देर मेहनत करके अंकल का लंड वंदना ने चूसकर एक बार फिर से खड़ा कर दिया और फिर अंकल ने अपने खड़े लंड को ज्यादा देर ना करके तुरंत मेरी चूत में डाल दिया.
अब में उस असहनीए दर्द की वजह से ज़ोर से चिल्ला उठी, ऊईईईई माँ में मर गई उफ्फ्फ्फ़ प्लीज अंकल अब आप बाहर निकालो, आह्ह्ह्हह मुझे बहुत दर्द हो रहा है. दोस्तों वो मेरे दर्द को देखकर रुक गए और मैंने अपने हाथ से छूकर देखा कि अंकल का लंड अभी मुश्किल से मेरी चूत में बस तीन इंच भी नहीं गया था, अभी भी उनका दो इंच लंड मेरी चूत से बाहर ही था, लेकिन अपनी पहली चुदाई और अंकल का मोटा लंड होने की वजह से में एकदम तड़प गई थी. फिर अंकल ने अपना लंड बाहर निकाल दिया और उसको वंदना चाट रही थी. अब अंकल ने अपनी तरफ से दोबारा एक ज़ोर का झटका लगा दिया. फिर उनका लंड अब मेरी चूत में कुछ इंच तक चला गया.
मुझे बहुत ज़ोर से दर्द हो रहा था और में उसकी वजह से चिल्ला भी नहीं सकती थी, क्योंकि अब वंदना ने उसकी चूत को मेरे मुहं पर रख दिया था और फिर अंकल ने दोबारा ज़ोर का धक्का देकर अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया और में उस दर्द से तड़प रही थी. मुझे कुछ देर बाद मज़ा भी आने लगा, इसलिए में अब अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी थी और कहने लगी थी आह्ह्ह्ह हाँ और ज़ोर से चोदो अंकल अपनी इस रांड को उफ्फ्फ्फ़ फाड़ दो मेरी चूत को, मुझे चुदाई का पूरा मज़े दो जमकर चोदो.
मुझे दोस्तों में अब गंदे शब्द काम में ले रही थी, जिसको सुनकर अंकल भी अब जोश में आ गए और वो मुझे धक्के देते हुए कहने लगे, हाँ ले मेरी रंडी में आज तेरी चूत को पूरा फाड़ दूँगा, तुझे में अपना वीर्य भी पिलाऊंगा, वो मुझसे यह कह रहे थे.
कुछ देर बाद में सिसकियाँ लेने लगी और में आह्ह्ह्हह उऊफ्फुफ़्फुफु अंकल में अब गई काम से इतना कहकर में झड़ गयी, लेकिन अब भी अंकल नहीं झड़े थे, बाद में वो झड़ गये तो सारा पानी मेरे वंदना के मुहं में डाल दिया और में बहुत तेज़ी से अंकल का लंड चूस रही थी और उसके लंड पर लगे बचे हुए वीर्य को अपनी जीभ से चाटकर साफ कर रही थी और वंदना भी अब अंकल का लंड चूस रही थी.
फिर मैंने वंदना की गांड को चटाना शुरू कर दिया और अब अंकल वंदना की गांड को मारना चाहते थे और फिर अंकल मेरी चूत और गांड दोनों को ही बारी बारी से चाट रहे थे. में वंदना की गांड में अपनी जीभ को अंदर डालकर चाट रही थी.
अब अंकल ने अपने लंड पर वेसलीन लगाकर एकदम चिकना कर लिया और फिर वंदना को अपने सामने घोड़ी बनाकर उसकी गांड में अपने लंड को घुसाया और उस दर्द की वजह से वंदना चिल्ला उठी, में उसके बूब्स को दबा रही थी और मेरी चूत उसके मुहं में थी, अंकल उसका चीखना चिल्लाना नहीं सुन रहे थे और वो बिल्कुल बेरहम बनकर उसकी कमर को अपनी मजबूत पकड़ से पकड़कर उसकी गांड को बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहे थे.
फिर मैंने एक रबर के लंड को अपनी चूत पर बाँध लिया और में अंकल की गांड को अपनी जीभ से कुतिया की तरह चाटने लगी. दोस्तों अंकल की गांड एकदम साफ थी और उस पर एक भी बाल नहीं थे और फिर मैंने अपनी एक उंगली को उनकी गांड के अंदर डाली तो अंकल चकित हो गये. उसके बाद में अपनी जीभ से उनकी गांड को चाट रही थी.
कुछ देर के बाद मैंने उस लंड को अंकल की गांड के अंदर डाल दिया. दोस्तों वो लंड दस इंच का था और वो मेरे एक ही जोरदार झटके में आधा अंदर चला गया, अंकल दर्द की वजह से चीख उठे और वो कहने लगे, उफ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्ह निशा तुम यह क्या कर रही हो? अब मैंने उनसे पूछा क्या आपको दर्द होता है?
अंकल बोले हाँ रे मुझे बहुत दर्द हो रहा है. तब वंदना बोली हरामी क्या तूने मेरी गांड मारते समय भी ऐसा सोचा था? और फिर वंदना बोली कि जल्दी से अब तुम मेरी गांड को धक्के मारना चालू करो हरामी उफ़फफफफफ्फ़ आईईईईईइ आह्ह्ह्हह्ह हाँ और ज़ोर से मारो, फाड़ डालो आज मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और अब अंकल ज़ोर से वंदना की गांड को मार रहे थे और में अंकल की गांड मार रही थी और हम दोनों मज़े ले रहे थे.
इतने में अंकल वंदना की गांड में झड़ गए और में वंदना की गांड जो कि अंकल के वीर्य से भरी हुई थी, वो चाट रही थी आह्ह्हह्ह्ह्ह वाह बहुत मज़ा आ रहा है ओह्ह्ह्ह उूउफ्फ्फ क्या मस्त स्वादिष्ट मजेदार है और फिर दोस्तों उस रात को हम तीनों ने रात भर बहुत जमकर चुदाई के मज़े लिए.
अंकल ने एक एक करके हम दोनों को चोदा और हम दोनों ने भी रबर का लंड लगाकर बारी बारी से उसकी गांड मारकर मज़े लिए, जिसकी वजह से हम तीनों ही बहुत खुश होकर वैसे ही पूरे नंगे सो गए और सीधे दूसरे दिन सुबह उठे.