शिखा की चुदाई
शिखा मेरे साथ काम करती है। वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की है। ऑफिस के सभी लड़के उस पर लाइन मारते हैं। पर वो किसी को लिफ्ट नही देती थी, पर मुझे वो थोड़ी बहुत लिफ्ट दे देती थी। मैं उसे बहुत ही चाहता था। उसका जिस्म एकदम सेक्सी और मलाई जैसा दिखता था। मैं उसे चोदना चाहता था। मेरे मन में बड़ी ही तमन्ना थी कि उस से शादी करूँ और उसके साथ सुहागरात मनाऊँ। उसकी चूची बड़ी ही अकर्षक थी।
आखिर एक दिन आ ही गया जब वो मेरे साथ सेक्स करने को तैयार हो गई। मैं उसे ऑफिस के एक खाली अकेले कमरे में ले गया। उसके दिल की धडकनों की आवाज़ मुझे ज़ोरों से सुनाई दे रहे थी। मैंने उसे कमरे में एक मेज पर बिठा कर उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया।
उसकी साँसें तेज़ी से चलने लगीं। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया मैंने उसके चूचियों को ऊपर से सहलाने लगा। उसके मुँह से अहह्ह्ह्ह्हह की सिसकरियाँ निकलने लगीं। मैंने अपना हाथ नीचे की तरफ़ खिसकाना शुरू किया, उसके दिल की धड़कनें बढती ही जा रहीं थीं। मैंने अपना हाथ अब उसकी सलवार के अन्दर घुसा दिया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा। शिखा अब बिल्कुल गरम हो चुकी थी, वो अब चुदने के लिए बेकरार थी।
मैंने उसका सलवार-कुर्ता उतार दिया। अब शिखा केवल ब्रा और पैंटी में ही थी। गुलाबी रंग की ब्रा-पैंटी में वह बहुत ही सेक्सी लग रही थी। उसकी चूचियाँ ब्रा में से निकलने को बेताब हो रहीं थीं। मैंने उसकी ब्रा को अलग किया। शिखा के दोनों दूध अलग हो गए। शिखा की चूचियाँ कठोर हो रहीं थीं। मैंने जैसे ही शिखा की चूची के निप्पल को मुँह में लेकर चूसा, उसकी सिसकारी निकल गई। शिखा ने भी अब अपना हाथ मेरे पैंट के अन्दर डाल दिया। मैं उसकी चुचियों को पागलों की तरह चूस रहा था। उसने अपने हाथ से मेरा लंड मसलना शुरू कर दिया।
मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी योनि का एक चुम्बन लिया, शिखा पागलों की तरह चिल्ला उठी। मैंने उसकी पैंटी को उतार दिया। शिखा अपनी चूत को अपने हाथों से छुपा रही थी, उसे शरम आ रही थी। मैंने उसके हाथों को हटा कर उसकी चूत को जैसे ही देखा मैं हैरान रह गया। गुलाबी रंग की चूत बिना बालों के बड़ी ही सुंदर लग रही थी। मैंने उसके जिस्म को पैरों से लेकर उसके होठों तक बड़ी ही जोश से चूमा, कोई भी अंग और जगह खाली नही बची होगी, जहाँ मैंने उसे नही चूमा हो।
अब शिखा बोली- प्लीज़ जल्दी करो मेरे बदन में आग लग रही है !
मैं बोला- मेरी जान ऐसी भी क्या जल्दी है। पहले मुझे तुम्हारी चूत को चूसने तो दो। और मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया। शिखा के मुँह से जोर-जोर की सिसकारियाँ निकल रहीं थीं। हाय ये क्या कर रहे हो ? मेरे तो आआआआआआ उस्स्स्स्स्स्स्स……………… स्स्स्स्स्स्स्स्स… धीरे… प्लीज़… दर्द हो रहाआआआ है… उईए… म्माआआआ…. आआआहह….. रुक्कककककक….. जाओ….. मैं उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा।
शिखा बोली- प्लीज़ अब मुझे मत तरसाओ, प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत में घुसा दो।
मैं बोला- अभी नहीं डार्लिंग… अभी तो मज़ा आया है। मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर जैसे ही अन्दर बाहर किया, उसने मेरा सिर अपने हाथों से ज़ोर से पकड़ कर अपनी जांघों से जोरों से दबा लिया और उसकी चूत से पानी निकलने लगा, शिखा झड़ने वाली थी। मैं रुक गया और बोला- अब तुम मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसो।
शिखा शरमाने लगी, पर वो मान गई और मुँह में मेरा लंड लेकर चूसने लगी। उसने काफी देर तक मेरा लंड चूसा और मैं अपने एक हाथ की ऊँगली उसकी चूत में करने लगा। उसके मुंह से फुच्च-फुच्च की आवाज़ आ रही थी। अब मैंने अपना लंड उसके मुंह से निकाल कर उसके चूत की फाँकों पर रगड़ने लगा, शिखा के मुँह से सिसकरियाँ निकल रहीं थीं। शिखा पागल हो रही थी चुदने के लिए।
मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख कर थोड़ा सा धक्का दिया, सुपाडा पूरा चूत के अन्दर चला गया। शिखा की चीख़ निकल गई और वह बोली, हाय मैं मर गई, प्लीज़ बाहर निकालो !
मैं बोला- अभी एक मिनट में दर्द बन्द हो जाएगा और तुम्हें मज़ा आने लगेगा। अब मैंने थोड़ा सा लंड और अन्दर किया, शिखा चिल्लाने लगी, बोली, “प्लीज़ बाहर निकाल लो, नहीं तो मर जाऊँगी ! रुक जाओ प्लीज़ ! दर्द हो रहा है, अभी इतना ही अंदर डाल कर चोदो मुझे।”